Monday, 14 August 2017

चातुर्मास में असाध्य बीमारियों से बचने के उपाय श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को अवश्य करें

अत्यधिक बीमारियों का समय चातुर्मास(15 जुलाई से 16 नवम्बर)- श्रीकृष्णजन्माष्टमी के दिनों में ही इन बीमारियों से बचने के निरोग रहने के वैज्ञानिक व अचूक उपाय:-
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प्रिय मित्रों, आप सभी प्रत्येक वर्ष माह जुलाई से नवम्बर के मध्य होने वाली बड़ी छोटी साध्य असाध्य सभी बीमारियों(  विभिन्न प्रकार के बुखार ,इंसेफलाइटिस, फ्लू, चर्म रोग, खांसी ,स्वांस रोग इत्यादि) से अच्छी तरह परिचित हैं ।अभी हाल ही में जिला गोरखपुर के बी आर डी अस्पताल में इंसेफलाइटिस से 35-40 बच्चों की अकाल मौत से पूरे देशवासी व सरकारी तंत्र हिल गया। जबकि ऐसी घटनाएं प्रयेक वर्ष इस समय होती हैं और वैक्सीन, ऑक्सीजन, सही ईलाज के अभाव में लोग दम तोड़ देते हैं ।
    इनदिनों घरों में खुले में रखे खाद्य पदार्थ जल्दी खराब हो जाते हैं। इसका मुख्य कारण वातावरण में तेजी से बढ़ते खतरनाक वायरस और  बैक्टिरिया  हैं।
    मित्रों मैं आपको लेकर इतिहास की तरफ जाना चाहता हूं कि सैकड़ों वर्ष पूर्व भी इन दिनों मे ऐसी ही बीमारियां होती थीं तब आज की तरह विज्ञान इतना बृद्धि नहीं किया था । इसके बावजूद भी लोग  पेड़ पौधों , जड़ी बूटियों के माध्यम से अपनी रक्षा स्वयं कर लेते थे और आज से अधिक जीवित रहते थे।

              आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आपके रसोई घर( किचन) में इस्तेमाल होने वाले मसालों में इन बीमारियों से लड़ने व इन बीमारियों को खत्म करने का अचूक उपाय है।
                          उन्हीं मसालों में सुखी धनिया व  तेजपत्ता पाउडर को भाद्रपद के कृष्ण पक्ष ,अष्टमी के रोहिणी नक्षत्र में इन पाउडर को भूनकर चीनी मिलाकर पंजीरी बना कर जन्माष्टमी के प्रसाद के रूप में खाने से ये बीमारियां रफूचक्कर हो जाती थीं। किन्तु धीरे धीरे बदलते समय के साथ-साथ  लोग इस अचूक उपाय को भूलते चले गए। आज भी भारत वर्ष के कई प्रान्तों में इस प्रसाद को ग्रहण करने की परंपरा यथावत बनी हुई है।

           अतः आप सभी से निवेदन है कि अपने पूरे परिवार के सुरक्षा कवच हेतु आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी को रात्रि में अपने घर में भगवान के जन्म समय पर सुखी धनिया व तेजपत्ता के पाउडर की पंजीरी बनाकर प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें तथा प्रत्येक दिन सुबह ब्रश करने के पश्चात दो चम्मच जरूर ग्रहण करें। इससे चातुर्मास में होने वाली खतरनाक बीमारियों से कोसों दूर रहेंगे।
           आचार्य राजेश कुमार

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