Saturday 12 August 2017

श्रीकृष्णजन्मोत्सव को "व्रतराज" क्यों कहते हैं

श्री कृष्ण जन्मोत्सव को "व्रतराज" क्यों कहते हैं और इसका हमारे जीवन में क्या है महत्व और  कब है वास्तविक शुभ मुहूर्त
---------------------------------------------
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शास्त्रों में इसके व्रत को ‘व्रतराज’ कहा जाता है।

  मान्यता है कि इस एक दिन व्रत रखने से कई व्रतों का फल मिल जाता है। अगर भक्त पालने में भगवान को झुला दें, तो उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्णपक्ष की  अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में होने के कारण इसको कृष्णजन्माष्टमी कहते हैं।  चूंकि भगवान श्रीकृष्ण का रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी के निर्धारण में रोहिणी नक्षत्र का बहुत ज्यादा ध्यान रखते हैं।

   इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान प्राप्ति , दीर्घआयु तथा सुखसमृद्धि की प्राप्ति होती है।श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाकर हर मनोकामना पूरी की जा सकती है।

        जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर हो वे आज विशेष पूजा से लाभ पा सकते हैं।

कब है दिनांक 14/08/2017 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त और नियम:-

शास्त्रों के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस दिन वृष राशि में चंद्रमा व सिंह राशि में सूर्य था। इसलिए श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव भी इसी काल में ही मनाया जाता है। लोग रातभर मंगल गीत गाते हैं और भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं।

        इस बार अष्टमी 14 अगस्त को सायं 07:45 पर आरम्भ होगी और यह 15 अगस्त को सायं 05:40 पर समाप्त होगी।रात्रि में अष्टमी तिथि 14 अगस्त को होगी। इसलिए इस बार जन्माष्टमी 14 अगस्त को मनाना उत्तम होगा।मध्य रात्रि में श्रीकृष्ण का जन्म होगा और तभी जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
        आचार्य राजेश कुमार

No comments:

Post a Comment

U r most welcome & thank u for showing intrest in my blog .We provide exact &pin point astrological solution of any types of problem in your life