Sunday 1 March 2020


होली और  होलाष्टक-2020
         होली के त्‍योहार का इंतजार लोग पूरे साल करते हैं. ये हिंदू धर्म के बड़े पर्वों में से एक है . हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो जाएगा। यह तिथि 03 मार्च को पड़ रही है यानि होलाष्टक 03 मार्च से शुरु और 09 मार्च को समाप्त होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य (शादी, विवाह, वाहन खरीदना या घर खरीदना, अन्य मंगल कार्य) नहीं किए जाते हैं। हालांकि इस दौरान पूजा पाठ करने और भगवान का स्मरण और उनके भजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

होलिका दहन 2020

होलिका दहन, होली त्यौहार का पहला दिन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों से खेलने की परंपरा है जिसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि आदि नामों से भी जाना जाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है।  इसके लिए मुख्यतः दो नियम ध्यान में रखने चाहिए -

1. पहला, उस दिन भद्रान हो। भद्रा का ही एक दूसरा नाम विष्टि करण भी है, जो कि 11 करणों में से एक है। एक करण तिथि के आधे भाग के बराबर होता है।

2. दूसरा, पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए। सरल शब्दों में कहें तो उस दिन सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए।

होलिका दहन (जिसे छोटी होली भी कहते हैं) के अगले दिन पूर्ण हर्षोल्लास के साथ रंग खेलने का विधान है और अबीर-गुलाल आदि एक-दूसरे को लगाकर व गले मिलकर इस पर्व को मनाया जाता है।

होलिका दहन शुभ मुहूर्त

9 मार्च-2020

होलिका दहन मुहूर्त- 18:22 से 20:49

भद्रा पूंछ- 09:37 से 10:38

भद्रा मुख- 10:38 से 12:19

रंगवाली होली- 10 मार्च-2020

होलिका दहन का इतिहास

होली का वर्णन बहुत पहले से हमें देखने को मिलता है। प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी में 16वीं शताब्दी का चित्र मिला है जिसमें होली के पर्व को उकेरा गया है। ऐसे ही विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता है। कुछ लोग मानते हैं कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध किया था। इसी ख़ुशी में गोपियों ने उनके साथ होली खेली थी।

होलिका दहन की पौराणिक कथाये

पुराणों के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के शिवाय किसी अन्य को नहीं भजता, तो वह क्रुद्ध हो उठा और अंततः उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए; क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुक़सान नहीं पहुँचा सकती। किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत -- होलिका जलकर भस्म हो गयी और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है। होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं।

लेकिन होली की केवल यही नहीं बल्कि और भी कई कहानियां प्रचलित है।
कामदेव को किया था भस्म

होली की एक कहानी कामदेव की भी है। पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थीं लेकिन तपस्या में लीन शिव का ध्यान उनकी ओर गया ही नहीं। ऐसे में प्यार के देवता कामदेव आगे आए और उन्होंने शिव पर पुष्प बाण चला दिया।तपस्या भंग होने से शिव को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और उनके क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। कामदेव के भस्म हो जाने पर उनकी पत्नी रति रोने लगीं और शिव से कामदेव को जीवित करने की गुहार लगाई। अगले दिन तक शिव का क्रोध शांत हो चुका था, उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवित किया। कामदेव के भस्म होने के दिन होलिका जलाई जाती है और उनके जीवित होने की खुशी में रंगों का त्योहार मनाया जाता है।

महाभारत की ये कहानी

महाभारत की एक कहानी के मुताबिक युधिष्ठर को श्री कृष्ण ने बताया- एक बार श्री राम के पूर्वज रघु, के शासन मे एक असुर महिला धोधी थी। उसे कोई भी नहीं मार सकता था, क्योंकि वह एक वरदान द्वारा संरक्षित थी। उसे गली मे खेल रहे बच्चों, के अलावा किसी से भी डर नहीं था। एक दिन, गुरु वशिष्ठ, ने बताया कि- उसे मारा जा सकता है, यदि बच्चे अपने हाथों में लकड़ी के छोटे टुकड़े लेकर, शहर के बाहरी इलाके के पास चले जाएं और सूखी घास के साथ-साथ उनका ढेर लगाकर जला दे। फिर उसके चारों ओर परिक्रमा दे, नृत्य करे, ताली बजाए, गाना गाएं और ड्रम बजाए। फिर ऐसा ही किया गया। इस दिन को,एक उत्सव के रूप में मनाया गया, जो बुराई पर एक मासूम दिल की जीत का प्रतीक है।
श्रीकृष्ण और पूतना की कहानी

होली का श्रीकृष्ण से गहरा रिश्ता है। जहां इस त्योहार को राधा-कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। वहीं,पौराणिक कथा के अनुसार जब कंस को श्रीकृष्ण के गोकुल में होने का पता चला तो उसने पूतना नामक राक्षसी को गोकुल में जन्म लेने वाले हर बच्चे को मारने के लिए भेजा। पूतना स्तनपान के बहाने शिशुओं को विषपान कराना था। लेकिन कृष्ण उसकी सच्चाई को समझ गए। उन्होंने दुग्धपान करते समय ही पूतना का वध कर दिया। कहा जाता है कि तभी से होली पर्व मनाने की मान्यता शुरू हुई।



होलाष्टक क्या है

 होली से पहले के आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है। इस वर्ष होलाष्टक 03 मार्च से प्रारंभ हो रहा है, जो 09 मार्च यानी की होलिका दहन तक रहेगा। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा ​तिथि तक होलाष्टक माना जाता है। 09 मार्च को होलिका दहन के बाद अगले दिन 10 मार्च को रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया जाएगा। ज्योषित शास्त्र के अनुसार, होलाष्टक के आठ दिनों में मांगलिक कार्यों को करना निषेध होता है। इस समय किसी भी मांगलिक कार्य करने पर अपशगुन माना जाता है।

8 दिनों का होता है होलाष्टक

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार:-
होलाष्टक 03 मार्च से प्रारंभ होकर 09 मार्च को समाप्त हो रही है, ऐसे में यह कुल 7 दिनों का हुआ।

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार:-
तिथियों को ध्यान में रखकर गणना करेंगे तो यह अष्टमी से प्रारंभ होकर पूर्णिमा तक है, ऐसे में कुछ दिनों की संख्या 8 होती है।

होलाष्टक में न करें ये कार्य

1. विवाह: होली से पूर्व के 8 दिनों में भूलकर भी विवाह न करें। यह समय शुभ नहीं माना जाता है, जब तक कि कोई विशेष योग आदि न हो।

2. नामकरण एवं मुंडन संस्कार: होलाष्टक के समय में अपने बच्चे का नामकरण या मुंडन संस्कार कराने से बचें।

3. भवन निर्माण: होलाष्टक के समय में किसी भी भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ न कराएं। होली के बाद नए भवन के निर्माण का शुभारंभ कराएं।
. हवन-यज्ञ: होलाष्टक में कोई यज्ञ या हवन अनुष्ठान करने की सोच रहे हैं, तो उसे होली बाद कराएं। इस समय काल में कराने से आपको उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा।

5. नौकरी: होलाष्टक के समय में नई नौकरी ज्वॉइन करने से बचें। अगर होली के बाद का समय मिल जाए तो अच्छा होगा। अन्यथा किसी ज्योतिषाचार्य से मुहूर्त दिखा लें।

6. भवन, वाहन आदि की खरीदारी: संभवत हो तो होलाष्टक के समय में भवन, वाहन आदि की खरीदारी से बचें। शगुन के तौर पर भी रुपए आदी न दें।
होलाष्टक में पूजा-अर्चना की नहीं है मनाही

होलाष्टक के समय में अपशकुन के कारण मांगलिक कार्यों पर रोक होती है। हालांकि होलाष्टक में भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है। इस समय में आप अपने ईष्ट देव की पूजा-अर्चना, आचार्य राजेश कुमार ( www.divyanshjyotish.com)


जीवनकाल मे होने वाली विभिन्न परेशानियों से बचने के लिए होली के दिन किये जाने वाले पांच अचूक ज्योतिषीय उपाय:-
महाशिवरात्रि के पावन पर्व के बाद हर भारतीय रंगों के त्यौहार होली का बड़ी ही बेसब्री से इन्तजार करता है। हिन्दू धर्म में भी इस पर्व का बहुत अधिक महत्व होता है।


होली की रात को किए जाने वाले कुछ ज्योतिष उपाय-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा यानी की होली के दिन किए गए उपाय बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करते हैं। आज हम आपको होली पर किए जाने वाले कुछ साधारण उपाय बता रहे हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं-

1-धन की कमी से बचने का उपाय:-

होली की रात चंद्रमा के उदय होने के बाद अपने घर की छत पर या खुली जगह, जहां से चांद नजर आए, वहां खड़े हो जाएं। फिर चंद्रमा का स्मरण करते हुए चांदी की प्लेट में सूखे छुहारे तथा कुछ मखाने रखकर शुद्ध घी के दीपक के साथ धूप एवं अगरबत्ती अर्पित करें। अब दूध से चंद्रमा को अर्घ्य दें।

अर्घ्य के बाद सफेद मिठाई तथा केसर मिश्रित साबूदाने की खीर अर्पित करें। चंद्रमा से समृद्धि प्रदान करने का निवेदन करें। बाद में प्रसाद और मखानों को बच्चों में बांट दें। फिर लगातार आने वाली प्रत्येक पूर्णिमा की रात चंद्रमा को दूध का अर्घ्य दें। कुछ ही दिनों में आप महसूस करेंगे कि आर्थिक संकट दूर होकर समृद्धि निरंतर बढ़ रही है।

2-ग्रहों की शांति के लिए उपाय:
होली की रात उत्तर दिशा में बाजोट (पटिया) पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर मूंग, चने की दाल, चावल, गेहूं, मसूर, काले उड़द एवं तिल की ढेरी बनाएं। अब उस पर नवग्रह यंत्र स्थापित करें। उस पर केसर का तिलक करें, घी का दीपक लगाएं एवं नीचे लिखे मंत्र का जाप करें। जाप स्फटिक की माला से करें। जाप पूरा होने पर यंत्र को पूजा स्थान पर स्थापित करें, ग्रह अनुकूल होने लगेंगे।

मंत्र- ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरान्तकारी भानु शशि भूमि-सुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव: सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु।।

3-
व्यापार में सफलता पाने का उपाय:-


एकाक्षी नारियल को लाल कपड़े में गेहूं के आसन पर स्थापित करें और सिंदूर का तिलक करें। अब मूंगे की माला से नीचे लिखे मंत्र का जाप करें। 21 माला जाप होने पर इस पोटली को दुकान में ऐसे स्थान पर टांग दें, जहां ग्राहकों की नजर इस पर पड़ती रहे। इससे व्यापार में सफलता मिलने के योग बन सकते हैं।

मंत्र- ऊं श्रीं श्रीं श्रीं परम सिद्धि व्यापार वृद्धि नम:।

4-शीघ्र विवाह के लिए उपाय:-

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होली के दिन सुबह एक साबूत पान पर साबूत सुपारी एवं हल्दी की गांठ शिवलिंग पर चढ़ाएं तथा पीछे पलटे बगैर अपने घर आ जाएं। यही प्रयोग अगले दिन भी करें। जल्दी ही आपके विवाह के योग बन सकते हैं।

5-रोग नाश के लिए उपाय:-

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अगर आप किसी बीमारी से पीडि़त हैं, तो इसके लिए भी होली की रात को खास उपाय करने से आपकी बीमारी दूर हो सकती है। होली की रात आप नीचे लिखे मंत्र का जाप तुलसी की माला से करें।

मंत्र- ऊं नमो भगवते रुद्राय मृतार्क मध्ये संस्थिताय मम शरीरं अमृतं कुरु कुरु स्वाहा
उपरोक्त उपाय आजमा कर देखें, शीघ्रातिशीघ्र लाभ होगा।
आचार्य राजेश कुमार ( www.divyanshjyotish.com)