" गुरु पुर्णिमा के दिन करें अपने गुरु का सम्मान"
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जब आषाढ महीने का अंतिम दिन होता है तो उस दिन गुरु पूर्णिमा का त्योहार पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 9 जुलाई यानि मंगलवार को है। हिन्दू धर्म में गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर माना जाता है।
1-महर्षि वेदव्यास को प्रथम गुरु माना जाता है कहा जाता है कि आषाढ़ पूर्णिमा को वेद व्यास का जन्म हुआ था।
2- जिस माता-पिता ने हमें जन्म दिया है वे ही आपके प्रथम गुरु हैं ।
3-हमेशा ज्ञान देने वाला शिक्षक को गुरु के बराबर सम्मान देना चाहिए। क्योंकि शिक्षक ही हमें कई विषयो के बारे में हमे शिक्षित करता है।
4-जो हमे ज्ञान देता है उसका आदर करना धर्म माना जाता है। यही नहीं उनकी सेवा करने का भी कोई मौका नहीं छोड़ना चाहिए।
5-मनु स्मृति के अनुसार, सिर्फ वेदों की शिक्षा देने वाला ही गुरु नहीं होता। हर वो व्यक्ति जो हमारा सही मार्गदर्शन करे, उसे भी गुरु के समान ही समझना चाहिए।
6-ऐसा व्यक्ति जिसने आपको नौकरी दिलाने में मदद की हो, वो आपका सबसे बड़ा गुरु होता है। फिर चाहे वो दफ्तर में ही क्यों न हों। हमेशा उनसे सलाह लेनी चाहिए।
7-जो व्यक्ति धर्म के कार्यो में हमेशा लगा रहता है उसे भी गुरु के बराबर का दर्जा देने चाहिए। अगर धर्मात्मा व्यक्ति कभी कोई सलाह दे तो उसे भी गुरु के समान समझकर उसका पालन करना चाहिए।
8- जिनसे आप गुरु दीक्षा लेते हैं वे है आपके गुरु ।
इसीलिए कबीर दास जी ने कहा है कि -
"गुरु-गोविंद दोउ खड़े, काके लागौ पाय ।
बलिहारी गुरु आपने,गोविंद दियो बताय ।।
आचार्य राजेश कुमार
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जब आषाढ महीने का अंतिम दिन होता है तो उस दिन गुरु पूर्णिमा का त्योहार पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 9 जुलाई यानि मंगलवार को है। हिन्दू धर्म में गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर माना जाता है।
1-महर्षि वेदव्यास को प्रथम गुरु माना जाता है कहा जाता है कि आषाढ़ पूर्णिमा को वेद व्यास का जन्म हुआ था।
2- जिस माता-पिता ने हमें जन्म दिया है वे ही आपके प्रथम गुरु हैं ।
3-हमेशा ज्ञान देने वाला शिक्षक को गुरु के बराबर सम्मान देना चाहिए। क्योंकि शिक्षक ही हमें कई विषयो के बारे में हमे शिक्षित करता है।
4-जो हमे ज्ञान देता है उसका आदर करना धर्म माना जाता है। यही नहीं उनकी सेवा करने का भी कोई मौका नहीं छोड़ना चाहिए।
5-मनु स्मृति के अनुसार, सिर्फ वेदों की शिक्षा देने वाला ही गुरु नहीं होता। हर वो व्यक्ति जो हमारा सही मार्गदर्शन करे, उसे भी गुरु के समान ही समझना चाहिए।
6-ऐसा व्यक्ति जिसने आपको नौकरी दिलाने में मदद की हो, वो आपका सबसे बड़ा गुरु होता है। फिर चाहे वो दफ्तर में ही क्यों न हों। हमेशा उनसे सलाह लेनी चाहिए।
7-जो व्यक्ति धर्म के कार्यो में हमेशा लगा रहता है उसे भी गुरु के बराबर का दर्जा देने चाहिए। अगर धर्मात्मा व्यक्ति कभी कोई सलाह दे तो उसे भी गुरु के समान समझकर उसका पालन करना चाहिए।
8- जिनसे आप गुरु दीक्षा लेते हैं वे है आपके गुरु ।
इसीलिए कबीर दास जी ने कहा है कि -
"गुरु-गोविंद दोउ खड़े, काके लागौ पाय ।
बलिहारी गुरु आपने,गोविंद दियो बताय ।।
आचार्य राजेश कुमार