Thursday, 8 February 2018

कैसे होते हैं महाशिवरात्रि के दिन जन्‍म लेने वाले बच्‍चे ,कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है....

महाशिवरात्रि 13 फरवरी या 14 कोइस प्रश्न का उत्तर धर्मसिंधु नामक ग्रंथ में दिया गया है। इसमें कहा गया है,
कैसे करें अपनी राशि अनुसार रुद्राभिषेक - क्‍या है महाशिवरात्रि -2018 का मुहूर्त

कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
कैसे होते हैं महाशिवरात्रि के दिन जन्‍म लेने वाले बच्‍चे 


वैसे तो वर्ष भर में 12 शिवरात्रियां आती है लेकिन इन सभी में फाल्गुन माह की शिवरात्रि को सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना जाता है । माना जाता है की  इस व्रत के प्रभाव से कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर प्राप्त होता है और जिन महिलाओं का विवाह हो चुका है उनके पति का जीवन और स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है।

2018 में शिवरात्रि का त्यौहार :-

शिवभक्तों के लिए इस साल बड़ी उलझन की स्थिति बनी हुई है कि महाशिवरात्रि का त्योहार किस दिन मनाया जाएगा। 
ऐसी स्थिति इसलिए बनी हुई है क्योंकि महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। 13 जनवरी को पूरे दिन त्रयोदशी तिथि है और मध्यरात्रि में 11 बजकर 35 मिनट से चतुर्दशी तिथि लग रही है। जबकि 14 फरवरी को पूरे दिन और रात 12 बजकर 47 मिनट तक चतुर्दशी तिथि है। 
ऐसे में लोग दुविधा में हैं कि महाशिवरात्रि 13 फरवरी को मनेगी या 14 फरवरी को। इस प्रश्न का उत्तर धर्मसिंधु नामक ग्रंथ में दिया गया है। इसमें कहा गया है
 'परेद्युर्निशीथैकदेश-व्याप्तौ पूर्वेद्युः सम्पूर्णतद्व्याप्तौ पूर्वैव।।'
 यानी चतुर्दशी तिथि दूसरे दिन निशीथ काल में कुछ समय के लिए हो और पहले दिन सम्पूर्ण भाग में हो तो पहले दिन ही यह व्रत करना चाहिए। 
निशीथ काल रात के मध्य भाग के समय को कहा जाता है
क्‍या है महाशिवरात्रि -2018 का मुहूर्त

महाशिवरात्रि का पर्व 13 फरवरी 2018 दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त 13 फरवरी की आधी रात से शुरू होकर 14 फरवरी तक रहेगा। 
शिवरात्रि निशिता काल पूजा का समय रात 12:0 9 बजे से 13:01 am तक रहेगा। मुहूर्त की अवधि कुल 51 मिनट की है।
- 14 फरवरी को महाशिवरात्रि का पारण होगा। पारण का समय सुबह 07:04 से दोपहर 15:20 तक रहेगा।

कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
 इस दिन कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए सुबह शिव मंदिर में जाएं और भगवान शिव को धतूरा चढ़ाएं। इसके बाद ओम नमः शिवाय का जाप करें। यह भी कहा जाता है कि इस दिन नाग-नागिन के जोड़े को शिवलिंग पर अर्पित करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। 
अगर किसी तरह की शारीरिक परेशानी है तो किसी योग्य पंडित  से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करवाना चाहिए। इससे शारीरिक परेशानी समाप्त हो जाती है। इसके अलावा अगर घर में अशांति रहती है तो पंचमुखी रुद्राक्ष की माला लेकर ओम नमः शिवाय का जाप करें।
श‍िव-पार्वती की व‍िवाह तिथ‍ि होने के नाते महाशिवरात्रि का मुहूर्त बेहद पव‍ित्र व शुभ फल देने वाला माना जाता है। इस द‍िन व‍िवाह का योग भी अच्‍छा माना जाता है तो महाशिवरात्रि पर जन्‍म लेने वाले बच्‍चे भी गुण व रूप में किसी से कम नहीं होते हैं।
कैसे होते हैं महाशिवरात्रि के दिन जन्‍म लेने वाले बच्‍चे 

  महाशिवरात्रि को जन्म लेने वाले बच्चे बहुत ही दयालु और दानी होते हैं। ये बच्‍चे जीवन में खूब यश और प्रतिष्ठा की प्राप्ति करते हैं। हालांकि ये बहुत ही खर्चीले होते हैं और दान पुण्य भी खुले हाथ से करते हैं। ऐसे बच्‍चे प्रायः शासन और प्रशासन में रहते हैं। वहीं माना जाता है कि महाशिवरात्रि पर जन्‍म लेने वाले बच्‍चों में पुत्र अधिक होते हैं और ये योग्य साबित होते हैं। वहीं ये अचल और चल संपत्ति की प्राप्ति करते हैं। साथ देखने में भी बहुत सुंदर होते हैं। हालांकि स्‍वभाव से ये क्रोधी भी होते हैं। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन जन्म लेने वाले लोग कला और फ‍िल्म के फील्ड में बहुत यश व प्रतिष्ठा की प्राप्ति करते हैं।
महाशिवरात्रि को माना जाता है विवाह का उत्‍तम मुहूर्त 

महाशिवरात्र को विवाह का अति उत्तम मुहूर्त माना जाता है। ऐसी लड़कियां विवाह के बाद अखंड सौभाग्यवती होती हैं और इनका वैवाहिक जीवन बहुत ही सुखद होता है। आपसी सामंजस्य और विवाह के बाद प्रबल भाग्योदय होता है। ज्‍योतिष के जानकार सुजीत म‍हाराज ने बताया कि इस दिन  विवाह करने से राहुमंगल और शनि से संबंधित सारे दोष स्वतः समाप्त हो जाते हैं। इस दिन विवाह करने वाले दंपत्ति को पूरा जीवन भगवान शिव आशीर्वाद बनाये रखते हैं। इस दिन विवाह करने वालों को महाशिवरात्रि का व्रत प्रत्येक वर्ष रखना चाहिए।
जहां तक महाशिवरात्रि  पर भगवान शिव के पूजन की बात है तो इस दिन रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। बताया जाता है कि अगर रुद्राभिषेक अपनी राशि के अनुसार किया जाए तो इसके ज्‍यादा फायदे मिलते हैं। यह तमाम दोष दूर करने के साथ पुण्‍य द‍िलाने वाला माना जाता है। 

जानें क्‍या है रुद्राभ‍िषेक 
अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है – स्नान करना या कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक। भगवान श‍िव को रुद्र कहा गया है और उनका रूप श‍िवलिंग में देखा जाता है। तो इसका अर्थ हुआ शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। अभिषेक के कई रूप तथा  प्रकार होते हैं। शिव जी को प्रसन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना या फ‍िर श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा कराना। वैसे भी अपनी जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना गया है।

कैसे करें अपनी राशि अनुसार रुद्राभिषेक - 
1. मेष- शहद और गन्ने का रस
2. वृष- दुग्ध ,दही
3. मिथुन-दूर्वा से
4. कर्क- दुग्धशहद
5. सिंह- शहदगन्ने के रस से
6. कन्या- दूर्वा एवं  दही
7. तुला- दुग्धदही
8. वृश्चिक- गन्ने का रसशहददुग्ध
9. धनु- दुग्धशहद
10. मकर- गंगा जल में गुड़ डाल के मीठे रस से
11. कुंभ- दही से
12. मीन- दुग्धशहदगन्ने का रस


Achary Rajesh Kumar


Monday, 5 February 2018

ऐश्वर्य और वैभव कारक शुक्र करेंगे कुंभ राशि में गोचर, जानिए सभी राशियों पर इसका प्रभाव :-



भोग और विलासिता का कारक शुक्र ग्रह तुला और वृषभ राशि का मालिक होता है। शुक्र को पति-पत्नि, प्रेम संबंध, ऐश्वर्य, आनंद आदि का भी कारक ग्रह माना गया है। कुंडली में शुक्र का प्रभाव शुभ होने से भौतिक सुख-सुविधाओं का लाभ मिलता है व वैवाहिक सुख का आनंद प्राप्त होता है।


०६ फरवरी २०१८  को शुक्र ग्रह दोपहर १३ बजकर ३१  मिनट पर  कुम्भ राशि में गोचर करेगा।  शुक्र ग्रह वृश्चिक राशि में 20 दिसंबर को शाम 6:43 बजे तक संचरण करेगा। लगभग एक महीने तक चलने वाले इस गोचर का प्रभाव हम सभी के जीवन पर पड़ेगा। आईये जानते हैं इस गोचर का आपके जीवन पर प्रभाव क्या होगा

      
आगामी 6 फरवरी, 2018 को रोमांस और लग्जरी से संबंधित ग्रह शुक्र ,मकर राशि को छोड़कर कुंभ राशि में गोचर करने जा रहे हैं। जाहिर तौर पर ये परिवर्तन सभी राशि के जातकों पर अपना प्रभाव छोड़ने जा रहा है। शुक्र को रोमांस, प्रेम संबंध, आकर्षण और भौतिक सुख-सुविधाओं से जोड़कर देखा जाता है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह कहा जाता है कि जिस जातक की कुंडली में शुक्र मजबूत और अच्छी स्थिति में होता है, उसका विवाहित जीवन बहुत अच्छा बीतता है और साथ ही साथ उसे जीवन में लगभग सभी सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। यह गोचर कुंभ और मकर के साथ-साथ अन्य सभी राशियों पर क्या प्रभाव डालेगा, आइए जानें।

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के ग्यारहवें भाव में होगा शुक्र का ये गोचर, जिसके बाद आपको बहुत से वित्तीय लाभ प्राप्त होंगे और साथ ही साथ आपको प्रोफेशन में आगे बढ़ने के भी कई अवसर मिलेंगे। हो सकता है आप कुछ जोखिम भरे निर्णय भी ले सकते हैं। उपायः सफेद चंदन नाभि जुबान व माथे पर लगाएं।



वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों की जहां तक बात है तो उनकी कुंडली के दसवें भाव में होगा शुक्र गोचर। इसके बाद आपको जीवन के बहुत से क्षेत्रों, खासकर स्वास्थ्य संबंधी मामलों में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आपके द्वारा की जाने वाली गतिविधियों के चलते आपकी सामाजिक छवि को भी नुकसान हो सकता है, इसलिए बहुत संभलकर चलें। उपायः श्री सूक्तं का पथ लाभप्रद।



मिथुन राशि

जिन लोगों की राशि मिथुन है उनके नौंवे भाव में शुक्र गोचर करने जा रहा है। इस समय आपके भांपने की क्षमता, आपके सिक्स्थ सेंस और इच्छा शक्ति अपने चरम पर रहने वाली है। यह भी संभव है कि जिन-जिन लग्जरी चीजों की आप कामना करते हैं, वह आपको हासिल हो जाए। उपायः मां कात्यायनी की सफेद फूलों से पूजा करें।


कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के आठवें भाव में होगा यह गोचर। आपको घबराने की कोई आवश्कयता नहीं है क्योंकि आपकी आर्थिक स्थिति बहुत हद तक मजबूत होने वाली है। आपको आय के नए स्त्रोत प्राप्त होंगे जो भविष्य के लिहाज से आपके लिए बहुत कारगर सिद्ध होगा। उपायः लक्ष्मी व शिव पूजन लाभप्रद ।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के सप्तम भाव में शुक्र गोचर करेंगे, जो आपके लिए काफी चुनौतीपूर्ण साबित होने वाला है। आप अपने भीतर आलस्य, थकावट और नाउम्मीदी महसूस कर सकते हैं। आपको अपने संबंधों पर ध्यान देना होगा, उनके प्रति गंभीरता रखनी होगी। स्वास्थ्य के लिहाज से आपको थोड़ा सचेत रहने की आवश्यकता है।  उपायः पूजा के समय भगवान शिव को दूध चढ़ाएं।





कन्या राशि

शुक्र का यह गोचर आपकी राशि के छठे भाव में होने जा रहा है, इसके परिणामस्वरूप आप अप्रत्याशित रूप से हताशा और परेशानियों की गिरफ्त में चले जाएंगे। विवाहित जीवन में क्लेश विकसित हो सकता है, झगड़े का कोई भी मौका ना दें। आप बेकार की चिंताओं से घिरे रहेंगे। इस दौरान किसी को भी पैसे उधार ना दें, क्योंकि आप उन्हें वापिस नहीं ले पाएंगे।  उपायः मां लक्ष्मी जी को खीर चढ़ावें। ।


तुला राशि

शुक्र आपकी ही राशि का स्वामी है और अब वह आपके पांचवें भाव में गोचर करेगा। आपके लिए यह गोचर बहुत फायदेमंद सिद्ध होगा, आप ज्ञान प्राप्ति की ओर आकर्षित रहेंगे, साथ ही आपको जॉब प्रमोशन या आय में वृद्धि भी प्राप्त हो सकती है। जो लोग रोमांटिक संबंध में हैं, उन्हें धीरज से काम लेना होगा, अन्यथा बात बिगड़ सकती है।  उपायः छोटी कन्याओं से आशीर्वाद प्राप्त करें और उन्हें मिश्री खिलावें ।



वृश्चिक राशि

आपकी राशि के चौथे भाव में शुक्र का ये गोचर होने जा रहा है, इसके चलते आके सभी प्रयत्न सफल होंगे। अगर आप नया घर खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आपको ये सलाह दी जाती है कि सभी कागजी कार्यवाही अपने सामने करवाएं, जरा सी अनदेखी आपको परेशानी में डाल सकती है।  उपायः किसी भी देवी के मंदिर में शुक्रवार के दिन बताशे दान करें।


धनु राशि

आपकी कुंडली के तीसरे भाव में होगा धनु राशि का गोचर, इस दौरान आप अपने भीतर नई ऊर्जा का अनुभव करेंगे। ऑफिस में उच्च अधिकारियों के जरिए आपको काफी लाभ प्राप्त होगा, आपके काम को भी काफी सराहा जाएगा। अत्याधिक और लंबी यात्राओं की वजह से परिवार के साथ बहुत कम समय बिता पाएंगे।  उपायः भगवान शिव का दूध से रुद्राभिषेक करें।


मकर राशि

शुक्र ग्रह आपकी राशि को छोड़ते हुए कुंभ में जा रहे हैं, यह गोचर आपकी कुंडली के दूसरे भाव में होगा। छात्रों के लिए यह समय बहुत अच्छा है। मकर राशि के लिए यह गोचर बहुत शुभ रहने वाला है, आपको दान-पुण्य करने जैसे सुखद अवसर भी प्राप्त होंगे। व्यवसायिक दृष्टिकोण से आपको बहुत लाभ प्राप्त होने वाला है, उसके लिए तैयार रहें। उपायः श्री लक्ष्मी सूक्तन पढ़े और सफेद प्रसाद चढ़ाएं।




कुंभ राशि

शुक्र का यह गोचर आपकी ही राशि में होने जा रहा है, जहां तक वितीय दृष्टिकोण की बात है तो ये आपको लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा। आप महंगी वस्तुओं, ज्सिअमें सोना, महंगे परफ्यूम आदि शामिल हैं, पर खर्च करने वाले हैं।
लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि किसी भी स्थिति में गलत संगति में ना पड़ें, अन्यथा अपना नुकसान कर बैठेंगे। अगर बिजनेस में सांझेदारी है तो इस दौरान थोड़ा संभलकर रहें। उपायः ऊं द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: मंत्र का जाप कमल गट्टे की माला से करें।
 

मीन राशि

शुक्र का यह गोचर आपकी राशि के बारहवें भाव में होने जा रहा है। इस दौरान विवाहित दंपत्तियों के संबंध काफी मधुर रहेंगे। हो सकता है आप अपने अत्याधिक व्यस्त शेड्यूल से ब्रेक लेकर परिवार या दोस्तों के साथ अच्छा समय बिताएं। आप अपने कार्यशैली और मेहनती स्वभाव के वजह से ऑफिस में अपने सीनियर्स के बीच लोकप्रिय रहेंगे उपायः शुक्रवार को पुजारिन को चावल दही करें


आचार्य राजेश कुमार

Divyansh Jyotish Kendra



Saturday, 20 January 2018

ऋतुओं का राजा बसंत ऋतू प्रारंभ होने का समय बसंत पंचमी


ऋतुओं का राजा बसंत ऋतू प्रारंभ होने का समय बसंत पंचमी
                      किसी भी शुभ कार्य को प्रारंभ करने का दिन


काशी पंचांग के अनुसार वसंन्त पंचमी का दिन माघ मास के पंचमी तिथि को दिनांक २२ जनवरी २०१८ को सुबह ७.१७ से दोपहर १२.३२ बजे के मध्य मनाया जायेगा .वसंत पंचमी के दिन किसी भी समय मां सरस्वती की पूजा की जा सकती हैं लेकिन पूर्वान्ह का समय पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है. सभी प्रतिष्ठानों ,शिक्षा केन्द्रों, विद्यालयो में पूर्वान्ह के समय ही सरस्वती पूजा कर माता सरस्वती का आशीर्वाद ग्रहण किया जता है.

पर्व  का महत्व-

वसंत पंचमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेशनेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण करती हैं।

 ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-
प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।
अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से ख़ुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी और यूँ भारत के कई हिस्सों में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है।पतंगबाज़ी का वसंत से कोई सीधा संबंध नहीं है। लेकिन पतंग उड़ाने का रिवाज़ हज़ारों साल पहले चीन में शुरू हुआ और फिर कोरिया और जापान के रास्ते होता हुआ भारत पहुँचा।

पौराणिक महत्व

इसके साथ ही यह पर्व हमें अतीत की अनेक प्रेरक घटनाओं की भी याद दिलाता है। सर्वप्रथम तो यह हमें त्रेता युग से जोड़ती है। रावण द्वारा सीता के हरण के बाद श्रीराम उसकी खोज में दक्षिण की ओर बढ़े। इसमें जिन स्थानों पर वे गये, उनमें दंडकारण्य भी था। यहीं शबरी नामक भीलनी रहती थी। जब राम उसकी कुटिया में पधारे, तो वह सुध-बुध खो बैठी और चख-चखकर मीठे बेर राम जी को खिलाने लगी। प्रेम में पगे झूठे बेरों वाली इस घटना को रामकथा के सभी गायकों ने अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत किया। दंडकारण्य का वह क्षेत्र इन दिनों गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला है। गुजरात के डांग जिले में वह स्थान है जहां शबरी मां का आश्रम था। वसंत पंचमी के दिन ही रामचंद्र जी वहां आये थे। उस क्षेत्र के वनवासी आज भी एक शिला को पूजते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रध्दा है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे। वहां शबरी माता का मंदिर भी है।

भारतीय पंचांग में छह ऋतुएं होती हैं. इनमें से बसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है. बसंत फूलों के खिलने और नई फसल के आने का त्यौहार है. ऋतुराज बसंत का बहुत महत्व है. ठंड के बाद प्रकति की छटा देखते ही बनती है. इस मौसम में खेतों में सरसों की फसल पीले फूलों के साथ, आमों के पेड़ों पर आये फूल, चारों तरफ हरियाली और गुलाबी ठंड मौसम को और भी खुश्नुमा बना देती है. यदि सेहत की दृष्टि से देखा जाये तो यह मौसम बहुत अच्छा होता है. इंसानों के साथ पशु-पक्षियों में नई चेतना का संचार होता है. इस ऋतु को काम बाण के लिए भी अनुकूल माना जाता है. यदि हिन्दु मान्याओं के मुताविक देखा जाये तो इस दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था यही कारण है कि यह त्यौहार हिन्दुओं के लिए बहुत खास है. इस त्यौहार पर पवित्र नदियों में लोग स्नान आदि करते हैं इसके साथ ही बसंत मेला आदि का भी आयोजन किया जाता है.
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती की पूजा क्यों की जाती है-

सृष्टि की रचना करते सय ब्रम्हा ने मनुष्य और जीव-जन्तु योनि की रचना की

 इसी बीच उन्हे महसूस हुआ कि कुछ कमी रह गयी है जिसके कारण सभी जगह सन्नाटा छाया रहता है. जिस पर ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुन्दर स्त्री जिसके एक हाथ में वीणा दूसरे में हाथ वर मुद्रा में था तथा अन्य दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी प्रटक हुई. व्रह्मा जीन ने वीणा वादन का अनुरोध किया जिस पर देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, जिस पर संसार के समस्त जीव जन्तुओं को वाणी, जल धारा कोलाहर करने लगी, हवा सरसराहट करने लगी. तब ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती का नाम दिया. मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणा वादनी और वाग्देवी आदि कई नामों से भी जाना जाता है. ब्रह्मा जी ने माता सरस्वती की उत्पत्ति बसंत पंचमी के दिन की थी यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती का जन्म दिन मानकर पूजा अर्चना की जाती है.

सरस्वती व्रत की विधि

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। प्रात: काल सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के उपरांत मां भगवती सरस्वती की आराधना का प्रण लेना चाहिए। इसके बाद दिन के समय यानि पूर्वाह्नकाल में स्नान आदि के बाद भगवान गणेश जी का ध्यान करना चाहिए। स्कंद पुराण के अनुसार सफेद पुष्प, चन्दन, श्वेत वस्त्रादि से देवी सरस्वती जी की पूजा करना चाहिए । सरस्वती जी का पूजन करते समय सबसे पहले उनका स्नान कराना चाहिए इसके पश्चात माता को सिन्दूर व अन्य श्रंगार की सामग्री चढ़ायें इसके बाद फूल माला चढ़ायें.

देवी सरस्वती का मंत्र

मिठाई से भोग लगाकर सरस्वती कवच का पाठ करें. मां सरस्वती जी के पूजा के वक्त इस मंत्र का जान करने से असीम पुण्ड मिलता है
श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा



मां सरस्‍वती का श्‍लोक

मां सरस्वती की आराधना करते वक्‍त इस श्‍लोक का उच्‍चारण करना चाहिए:-

ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च

विशेष उपाय
आपका बच्चा यदि पढ़ने में कमजोर है तो वसन्त पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा करें एवं उस पूजा में प्रयोग की हल्दी को एक कपड़े में बांध कर बच्चे की भुजा में बांध दे।
मां सरस्वती को वाणी की देवी कहा माना जाता है, इसलिए मीडिया, ऐंकर, अधिवक्ता, अध्यापक व संगीत आदि के क्षेत्र से जुड़े लोगों को वसन्त पंचमी के दिन मां सरस्वती पूजा जरूर करनी चाहिए।
माता सरस्वती की पूजा-अर्चना आदि करने से मन शान्त होता है व वाणी में बहुत ही अच्छा निखार आता है.
यदि आप चाहते है कि आपके बच्चे परीक्षा में अच्छे नम्बर लायें तो आप-अपने बच्चे के कमरे में मां सरस्वती की तस्वीर अवश्य लगायें।
जो लोग बहुत ही तीखा बोलते हैं जिस कारण उनके बने-बनाये काम भी बिगड़ जाते हैं. उन लोग को मां सरस्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
Achary Rajesh Kumar  rajpra.infocom@gmail.com