Thursday 8 February 2018

कैसे होते हैं महाशिवरात्रि के दिन जन्‍म लेने वाले बच्‍चे ,कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है....

महाशिवरात्रि 13 फरवरी या 14 कोइस प्रश्न का उत्तर धर्मसिंधु नामक ग्रंथ में दिया गया है। इसमें कहा गया है,
कैसे करें अपनी राशि अनुसार रुद्राभिषेक - क्‍या है महाशिवरात्रि -2018 का मुहूर्त

कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
कैसे होते हैं महाशिवरात्रि के दिन जन्‍म लेने वाले बच्‍चे 


वैसे तो वर्ष भर में 12 शिवरात्रियां आती है लेकिन इन सभी में फाल्गुन माह की शिवरात्रि को सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना जाता है । माना जाता है की  इस व्रत के प्रभाव से कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर प्राप्त होता है और जिन महिलाओं का विवाह हो चुका है उनके पति का जीवन और स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है।

2018 में शिवरात्रि का त्यौहार :-

शिवभक्तों के लिए इस साल बड़ी उलझन की स्थिति बनी हुई है कि महाशिवरात्रि का त्योहार किस दिन मनाया जाएगा। 
ऐसी स्थिति इसलिए बनी हुई है क्योंकि महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। 13 जनवरी को पूरे दिन त्रयोदशी तिथि है और मध्यरात्रि में 11 बजकर 35 मिनट से चतुर्दशी तिथि लग रही है। जबकि 14 फरवरी को पूरे दिन और रात 12 बजकर 47 मिनट तक चतुर्दशी तिथि है। 
ऐसे में लोग दुविधा में हैं कि महाशिवरात्रि 13 फरवरी को मनेगी या 14 फरवरी को। इस प्रश्न का उत्तर धर्मसिंधु नामक ग्रंथ में दिया गया है। इसमें कहा गया है
 'परेद्युर्निशीथैकदेश-व्याप्तौ पूर्वेद्युः सम्पूर्णतद्व्याप्तौ पूर्वैव।।'
 यानी चतुर्दशी तिथि दूसरे दिन निशीथ काल में कुछ समय के लिए हो और पहले दिन सम्पूर्ण भाग में हो तो पहले दिन ही यह व्रत करना चाहिए। 
निशीथ काल रात के मध्य भाग के समय को कहा जाता है
क्‍या है महाशिवरात्रि -2018 का मुहूर्त

महाशिवरात्रि का पर्व 13 फरवरी 2018 दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त 13 फरवरी की आधी रात से शुरू होकर 14 फरवरी तक रहेगा। 
शिवरात्रि निशिता काल पूजा का समय रात 12:0 9 बजे से 13:01 am तक रहेगा। मुहूर्त की अवधि कुल 51 मिनट की है।
- 14 फरवरी को महाशिवरात्रि का पारण होगा। पारण का समय सुबह 07:04 से दोपहर 15:20 तक रहेगा।

कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
 इस दिन कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए सुबह शिव मंदिर में जाएं और भगवान शिव को धतूरा चढ़ाएं। इसके बाद ओम नमः शिवाय का जाप करें। यह भी कहा जाता है कि इस दिन नाग-नागिन के जोड़े को शिवलिंग पर अर्पित करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। 
अगर किसी तरह की शारीरिक परेशानी है तो किसी योग्य पंडित  से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करवाना चाहिए। इससे शारीरिक परेशानी समाप्त हो जाती है। इसके अलावा अगर घर में अशांति रहती है तो पंचमुखी रुद्राक्ष की माला लेकर ओम नमः शिवाय का जाप करें।
श‍िव-पार्वती की व‍िवाह तिथ‍ि होने के नाते महाशिवरात्रि का मुहूर्त बेहद पव‍ित्र व शुभ फल देने वाला माना जाता है। इस द‍िन व‍िवाह का योग भी अच्‍छा माना जाता है तो महाशिवरात्रि पर जन्‍म लेने वाले बच्‍चे भी गुण व रूप में किसी से कम नहीं होते हैं।
कैसे होते हैं महाशिवरात्रि के दिन जन्‍म लेने वाले बच्‍चे 

  महाशिवरात्रि को जन्म लेने वाले बच्चे बहुत ही दयालु और दानी होते हैं। ये बच्‍चे जीवन में खूब यश और प्रतिष्ठा की प्राप्ति करते हैं। हालांकि ये बहुत ही खर्चीले होते हैं और दान पुण्य भी खुले हाथ से करते हैं। ऐसे बच्‍चे प्रायः शासन और प्रशासन में रहते हैं। वहीं माना जाता है कि महाशिवरात्रि पर जन्‍म लेने वाले बच्‍चों में पुत्र अधिक होते हैं और ये योग्य साबित होते हैं। वहीं ये अचल और चल संपत्ति की प्राप्ति करते हैं। साथ देखने में भी बहुत सुंदर होते हैं। हालांकि स्‍वभाव से ये क्रोधी भी होते हैं। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन जन्म लेने वाले लोग कला और फ‍िल्म के फील्ड में बहुत यश व प्रतिष्ठा की प्राप्ति करते हैं।
महाशिवरात्रि को माना जाता है विवाह का उत्‍तम मुहूर्त 

महाशिवरात्र को विवाह का अति उत्तम मुहूर्त माना जाता है। ऐसी लड़कियां विवाह के बाद अखंड सौभाग्यवती होती हैं और इनका वैवाहिक जीवन बहुत ही सुखद होता है। आपसी सामंजस्य और विवाह के बाद प्रबल भाग्योदय होता है। ज्‍योतिष के जानकार सुजीत म‍हाराज ने बताया कि इस दिन  विवाह करने से राहुमंगल और शनि से संबंधित सारे दोष स्वतः समाप्त हो जाते हैं। इस दिन विवाह करने वाले दंपत्ति को पूरा जीवन भगवान शिव आशीर्वाद बनाये रखते हैं। इस दिन विवाह करने वालों को महाशिवरात्रि का व्रत प्रत्येक वर्ष रखना चाहिए।
जहां तक महाशिवरात्रि  पर भगवान शिव के पूजन की बात है तो इस दिन रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। बताया जाता है कि अगर रुद्राभिषेक अपनी राशि के अनुसार किया जाए तो इसके ज्‍यादा फायदे मिलते हैं। यह तमाम दोष दूर करने के साथ पुण्‍य द‍िलाने वाला माना जाता है। 

जानें क्‍या है रुद्राभ‍िषेक 
अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है – स्नान करना या कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक। भगवान श‍िव को रुद्र कहा गया है और उनका रूप श‍िवलिंग में देखा जाता है। तो इसका अर्थ हुआ शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। अभिषेक के कई रूप तथा  प्रकार होते हैं। शिव जी को प्रसन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना या फ‍िर श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा कराना। वैसे भी अपनी जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना गया है।

कैसे करें अपनी राशि अनुसार रुद्राभिषेक - 
1. मेष- शहद और गन्ने का रस
2. वृष- दुग्ध ,दही
3. मिथुन-दूर्वा से
4. कर्क- दुग्धशहद
5. सिंह- शहदगन्ने के रस से
6. कन्या- दूर्वा एवं  दही
7. तुला- दुग्धदही
8. वृश्चिक- गन्ने का रसशहददुग्ध
9. धनु- दुग्धशहद
10. मकर- गंगा जल में गुड़ डाल के मीठे रस से
11. कुंभ- दही से
12. मीन- दुग्धशहदगन्ने का रस


Achary Rajesh Kumar


No comments:

Post a Comment

U r most welcome & thank u for showing intrest in my blog .We provide exact &pin point astrological solution of any types of problem in your life