Wednesday 12 September 2018


गणेश चतुर्थी / विनायक चतुर्थी व्रत पूजा विधि :-

सबसे पहले एक ईशान कोण में स्वच्छ जगह पर रंगोली डाली जाती हैं, जिसे चौक पुरना कहते हैं.

उसके उपर पाटा अथवा चौकी रख कर उस पर लाल अथवा पीला कपड़ा बिछाते हैं.

उस कपड़े पर केले के पत्ते को रख कर उस पर मूर्ति की स्थापना की जाती हैं.

इसके साथ एक पान पर सवा रूपये रख पूजा की सुपारी रखी जाती हैं.

कलश भी रखा जाता हैं एक लोटे पर नारियल को रख कर उस लौटे के मुख कर लाल धागा बांधा जाता हैं. यह कलश पुरे दस दिन तक ऐसे ही रखा जाता हैं. दसवे दिन इस पर रखे नारियल को फोड़ कर प्रशाद खाया जाता हैं.

सबसे पहले कलश की पूजा की जाती हैं जिसमे जल, कुमकुम, चावल चढ़ा कर पुष्प अर्पित किये जाते हैं.

कलश के बाद गणेश देवता की पूजा की जाती हैं. उन्हें भी जल चढ़ाकर वस्त्र पहनाए जाते हैं फिर कुमकुम एवम चावल चढ़ाकर पुष्प समर्पित किये जाते हैं.

गणेश जी को मुख्य रूप से दूर्बा चढ़ायी जाती हैं.

इसके बाद भोग लगाया जाता हैं. गणेश जी को मोदक प्रिय होते हैं.

फिर सभी परिवार जनो के साथ आरती की जाती हैं. इसके बाद प्रसाद वितरित किया जाता हैं.

गणेश जी की उपासना में गणेश  अथर्वशीर्ष  का बहुत अधिक महत्व हैं. इसे रोजाना भी पढ़ा जाता हैं. इससे बुद्धि का विकास होता हैं एवम सभी संकट दूर होते हैं.

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