Friday 12 January 2018

मकर संक्रांति की पौराणिक बातें


मकर संक्रांति की पौराणिक बातें

१- मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके  घर जाते हैं।

२- द्वापर युग में महाभारत युद्ध के समय भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन को ही चुना था।

३- उत्तरायण का महत्व बताते हुए गीता में कहा गया है कि उत्तरायण के छह मास के शुभ काल में, जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और पृथ्वी प्रकाशमय रहती है।

४- इसी दिन भागीरथ के तप के कारण गंगा मां नदी के रूप में पृथ्वी पर आईं थीं। और राजा सगर सहित भागीरथ के पूर्वजों को तृप्त किया था।

वेदशास्त्रों के अनुसार, प्रकाश में अपना शरीर छोड़नेवाला व्यक्ति पुन: जन्म नहीं लेता, जबकि अंधकार में मृत्यु प्राप्त होनेवाला व्यक्ति पुन: जन्म लेता है। यहाँ प्रकाश एवं अंधकार से तात्पर्य क्रमश: सूर्य की उत्तरायण एवं दक्षिणायन स्थिति से ही है। संभवत: सूर्य के उत्तरायण के इस महत्व के कारण ही भीष्म ने अपना प्राण तब तक नहीं छोड़ा, जब तक मकर संक्रांति अर्थात सूर्य की उत्तरायण स्थिति नहीं आ गई। सूर्य के उत्तरायण का महत्व उपनिषद में भी किया गया है।

आज ही के दिन घर में “धन लक्ष्मी “ के  स्थाई निवास हेतु राजा-महाराजा करते थे लक्ष्मी जी का “विशेष पूजन “

मकर संक्रांति के दिन या दीपावली के दिन सर्वत्र विद्यमान, सर्व सुख प्रदान करने वाली माता "महाँ लक्ष्मी जी" का पूजन पुराने समय में हिन्दू राजा महाराजा करते थे । हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हम चाहते हैं की आप सभी मित्र अपने-अपने घरों में सपरिवार इस पूजा को करके माँ को श्री यंत्र के रूप में अपने घर में पुनः विराजमान करें।यह पूजन समस्त ग्रहों की महादशा या अन्तर्दशा के लिए लाभप्रद होता है।
इस विधि से माता लक्ष्मी की पूजा करने से "सहस्त्ररुपा सर्व व्यापी लक्ष्मी" जी सिद्ध होती हैं।

इस पूजा को सिद्ध करने का समय दिनांक १४ जनवरी २०१८ को रात्रि 11.30 बजे  से सुबह 02.57बजे  के मध्य किया जायेगा।  इस पूजन का विस्तृत विशेष पूजन अग्रिम लेख में प्राप्त होगा I

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