क्यों खरमास में मंगल कार्यों को करना उत्तम नही बताया गया है/गुरू का ध्यान सूर्यदेव पर:-
------------------------------------------------
🌞🌞🌞🌞🌞🌝🌝🌘🌘🌝
सूर्यदेव के गुरू की राशि में प्रवेश करते ही 14 मार्च 2018 से खरमास शुरू हो जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्य जब गुरू की राशि धनु या मीन में विराजमान रहते है तो उस घड़ी को खरमास माना जाता है और खरमास में मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं। यह मास 14 मार्च 2018 से प्रारंभ होकर 14 अप्रैल 2018 तक रहेगा।
इस माह में सूर्यदेव की उपासना से मिलता है सर्वश्रेष्ठ फल :-
खरमास की इस अवधि में जनेऊ संस्कार, मुंडन संस्कार, नव गृह प्रवेश, विवाह आदि नहीं करना चाहिए। इसे शुभ नही माना गया है। वहीं विवाह आदि शुभ संस्कारों में गुरू एवं शुक्र की उपस्थिति आवश्यक बतायी गई है। ये सुख और समृद्धि के कारक माने गए हैं। खरमास में धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, किंतु मंगल शहनाई नही बजती। इस माह में सभी राशि वालों को सूर्यदेव की उपासना अवश्य करनी चाहिए।
गुरू का ध्यान सूर्यदेव पर:-:
इसका एक धार्मिक पक्ष यह भी माना जाता है कि जब सूर्यदेव जब बृहस्पति के घर में प्रवेश करते हैं जो देव गुरू का ध्यान एवं संपूर्ण समर्पण उन पर ही केंद्रित हो जाता है। इससे मांगलिक कार्यों पर उनका प्रभाव सूक्ष्म ही रह जाता है जिससे की इस दौरान शुभ कार्यों का विशेष लाभ नही होता। इसलिए भी खरमास में मंगल कार्यों को करना उत्तम नही बताया गया है।
आचार्य राजेश कुमार
------------------------------------------------
🌞🌞🌞🌞🌞🌝🌝🌘🌘🌝
सूर्यदेव के गुरू की राशि में प्रवेश करते ही 14 मार्च 2018 से खरमास शुरू हो जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्य जब गुरू की राशि धनु या मीन में विराजमान रहते है तो उस घड़ी को खरमास माना जाता है और खरमास में मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं। यह मास 14 मार्च 2018 से प्रारंभ होकर 14 अप्रैल 2018 तक रहेगा।
इस माह में सूर्यदेव की उपासना से मिलता है सर्वश्रेष्ठ फल :-
खरमास की इस अवधि में जनेऊ संस्कार, मुंडन संस्कार, नव गृह प्रवेश, विवाह आदि नहीं करना चाहिए। इसे शुभ नही माना गया है। वहीं विवाह आदि शुभ संस्कारों में गुरू एवं शुक्र की उपस्थिति आवश्यक बतायी गई है। ये सुख और समृद्धि के कारक माने गए हैं। खरमास में धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, किंतु मंगल शहनाई नही बजती। इस माह में सभी राशि वालों को सूर्यदेव की उपासना अवश्य करनी चाहिए।
गुरू का ध्यान सूर्यदेव पर:-:
इसका एक धार्मिक पक्ष यह भी माना जाता है कि जब सूर्यदेव जब बृहस्पति के घर में प्रवेश करते हैं जो देव गुरू का ध्यान एवं संपूर्ण समर्पण उन पर ही केंद्रित हो जाता है। इससे मांगलिक कार्यों पर उनका प्रभाव सूक्ष्म ही रह जाता है जिससे की इस दौरान शुभ कार्यों का विशेष लाभ नही होता। इसलिए भी खरमास में मंगल कार्यों को करना उत्तम नही बताया गया है।
आचार्य राजेश कुमार