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Friday, 15 February 2019
Tuesday, 5 February 2019
बसंत पंचमी 2019 को शुभ
मुहूर्त / मीडिया, ऐंकर, अधिवक्ता, अध्यापक व संगीत आदि के क्षेत्र से जुड़े
लोगों को वसन्त पंचमी के दिन मां सरस्वती पूजा जरूर करनी चाहिए
/ पढ़ाई मे नहीं कमजोर बच्चों के लिए आज के दिन करें ये अचूक उपाय
/ पढ़ाई मे नहीं कमजोर बच्चों के लिए आज के दिन करें ये अचूक उपाय
10 फरवरी-2019 को बसंत पंचमी है, प्रत्येक वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस दिन से सर्दी के महीने का अंत हो जाता है और ऋतुराज बसंत का आगमन होता है. बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष दिन माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां सरस्वती ही बुद्धि और विद्या की देवी हैं. बसंत पंचमी को हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है.
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती
पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचमी तिथि का आरंभ = 9 फरवरी 2019 को 12:25 बजे से प्रारम्भ होगा।
पंचमी तिथि समाप्त = 10 फरवरी 2019, रविवार को 14:08 बजे होगा।
वैसे तो वसंत पंचमी के दिन किसी भी समय मां सरस्वती की पूजा की जा सकती हैं लेकिन पूर्वान्ह का समय पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है. सभी शिक्षा केन्द्रों, विद्यालयो में पूर्वान्ह के समय ही सरस्वती पूजा कर माता सरस्वती का आशीर्वाद ग्रहण किया जाता है.
वसंत पंचमी का सामाजिक महत्व-
पंचमी तिथि समाप्त = 10 फरवरी 2019, रविवार को 14:08 बजे होगा।
वैसे तो वसंत पंचमी के दिन किसी भी समय मां सरस्वती की पूजा की जा सकती हैं लेकिन पूर्वान्ह का समय पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है. सभी शिक्षा केन्द्रों, विद्यालयो में पूर्वान्ह के समय ही सरस्वती पूजा कर माता सरस्वती का आशीर्वाद ग्रहण किया जाता है.
वसंत पंचमी का सामाजिक महत्व-
भारतीय पंचांग में छह ऋतुएं होती हैं. इनमें से बसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है. बसंत फूलों के खिलने और नई फसल के आने का त्यौहार है. ऋतुराज बसंत का बहुत महत्व है. ठंड के बाद प्रकति की छटा देखते ही बनती है. इस मौसम में खेतों में सरसों की फसल पीले फूलों के साथ, आमों के पेड़ों पर आये फूल, चारों तरफ हरियाली और गुलाबी ठंड मौसम को और भी खुश्नुमा बना देती है. यदि सेहत की दृष्टि से देखा जाये तो यह मौसम बहुत अच्छा होता है. इंसानों के साथ पशु-पक्षियों में नई चेतना का संचार होता है. यदि हिन्दु मान्याओं के मुताविक देखा जाये तो इस दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था यही कारण है कि यह त्यौहार हिन्दुओं के लिए बहुत खास है. इस त्यौहार पर पवित्र नदियों में लोग स्नान आदि करते हैं इसके साथ ही बसंत मेला आदि का भी आयोजन किया जाता है.
बसंत पंचमी के पौराणिक महत्व
सृष्टि की रचना करते समय ब्रम्हा ने मनुष्य और जीव-जन्तु योनि की रचना की. इसी बीच उन्हे महसूस हुआ कि कुछ कमी रह गयी है जिसके कारण सभी जगह सन्नाटा छाया रहता है. जिस पर ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुन्दर स्त्री जिसके एक हाथ में वीणा दूसरे में हाथ वर मुद्रा में था तथा अन्य दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी प्रटक हुई. व्रह्मा जीन ने वीणा वादन का अनुरोध किया जिस पर देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, जिस पर संसार के समस्त जीव जन्तुओं को वाणी, जल धारा कोलाहर करने लगी, हवा सरसराहट करने लगी. तब ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती का नाम दिया. मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणा वादनी और वाग्देवी आदि कई नामों से भी जाना जाता है. ब्रह्मा जी ने माता सरस्वती की उत्पत्ति बसंत पंचमी के दिन की थी यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती का जन्म दिन मानकर पूजा अर्चना की जाती है.
सरस्वती व्रत की विधि
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। प्रात: काल सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के उपरांत मां भगवती सरस्वती की आराधना का प्रण लेना चाहिए। इसके बाद दिन के समय यानि पूर्वाह्नकाल में स्नान आदि के बाद भगवान गणेश जी का ध्यान करना चाहिए। स्कंद पुराण के अनुसार सफेद पुष्प, चन्दन, श्वेत वस्त्रादि से देवी सरस्वती जी की पूजा करना चाहिए । सरस्वती जी का पूजन करते समय सबसे पहले उनका स्नान कराना चाहिए इसके पश्चात माता को सिन्दूर व अन्य श्रंगार की सामग्री चढ़ायें इसके बाद फूल माला चढ़ायें.
देवी सरस्वती का मंत्र -
सफ़ेद मिठाई से भोग लगाकर सरस्वती कवच का पाठ करें. मां सरस्वती जी के पूजा के वक्त इस मंत्र का जान करने से असीम पुण्ड मिलता है –
“श्रीं
ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा”
मां सरस्वती का श्लोक –
मां सरस्वती की आराधना करते वक्त इस श्लोक का उच्चारण करना चाहिए:
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च । ।
विशेष उपाय –
आपका बच्चा यदि पढ़ने में कमजोर है तो वसन्त पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा करें एवं उस पूजा में प्रयोग की हल्दी को एक कपड़े में बांध कर बच्चे की भुजा में बांध दे।
मां सरस्वती को वाणी की देवी कहा जाता है, इसलिए मीडिया, ऐंकर, अधिवक्ता, अध्यापक व संगीत आदि के क्षेत्र से जुड़े लोगों को वसन्त पंचमी के दिन मां सरस्वती पूजा जरूर करनी चाहिए।
माता सरस्वती की पूजा-अर्चना आदि करने से मन शान्त होता है व वाणी में बहुत ही अच्छा निखार आता है.
यदि आप चाहते है कि आपके बच्चे परीक्षा में अच्छे नम्बर लायें तो आप-अपने बच्चे के कमरे में मां सरस्वती की तस्वीर अवश्य लगायें।
जो लोग बहुत ही तीखा बोलते हैं जिस कारण उनके बने-बनाये काम भी बिगड़ जाते हैं. उन लोग को मां सरस्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
मां सरस्वती का श्लोक –
मां सरस्वती की आराधना करते वक्त इस श्लोक का उच्चारण करना चाहिए:
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च । ।
विशेष उपाय –
आपका बच्चा यदि पढ़ने में कमजोर है तो वसन्त पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा करें एवं उस पूजा में प्रयोग की हल्दी को एक कपड़े में बांध कर बच्चे की भुजा में बांध दे।
मां सरस्वती को वाणी की देवी कहा जाता है, इसलिए मीडिया, ऐंकर, अधिवक्ता, अध्यापक व संगीत आदि के क्षेत्र से जुड़े लोगों को वसन्त पंचमी के दिन मां सरस्वती पूजा जरूर करनी चाहिए।
माता सरस्वती की पूजा-अर्चना आदि करने से मन शान्त होता है व वाणी में बहुत ही अच्छा निखार आता है.
यदि आप चाहते है कि आपके बच्चे परीक्षा में अच्छे नम्बर लायें तो आप-अपने बच्चे के कमरे में मां सरस्वती की तस्वीर अवश्य लगायें।
जो लोग बहुत ही तीखा बोलते हैं जिस कारण उनके बने-बनाये काम भी बिगड़ जाते हैं. उन लोग को मां सरस्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
आचार्य
राजेश कुमार (दिव्यान्श ज्योतिष केंद्र )
Monday, 4 February 2019
ज्योतिषीय गड़ना के अनुसार कर्ज़ के मुख्य कारण / कर्ज़ मुक्ति के अचूक उपाय
तीन चीजें कभी- कभी इंसान को तबाह कर देती हैं वो हैं “कर्ज़,बीमारी और मुकदमा”
चाहें गरीब हो या अमीर ,हम अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कभी न कभी कर्ज़ जरूर लेते
हैं आज लगभग सभी व्यक्ति कम या अधिक कर्ज़ से ग्रस्त हैं।यहाँ तक की बड़े से बड़ा करोड़ पति भी कर्ज़ जरूर
लेता है। कई बार ऐसा देखा गया है की लाख चाहने के बावजूद भी कर्ज़ से मुक्ति नहीं मिल पति है ।
ज्योतिष शास्त्र में षष्ठम, अष्टम, द्वादश स्थान एवं मंगल ग्रह को कर्ज का कारक ग्रह माना जाता है। मंगल के
कमजोर होने पर या पापग्रह से संबंधित होने पर, अष्टम, द्वादश, षष्ठम स्थान पर नीच या अस्त स्थिति में होने
पर व्यक्ति सदैव ऋणी बना रहता है। ऐसे में यदि उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़े तो कर्ज तो होता है पर वह
बड़ी मुश्किल से उतर जाता है। शास्त्रों में मंगलवार और बुधवार को कर्ज के लेन-देन के लिए निषेध किया है।
मंगलवार को कर्ज लेने वाला जीवनभर कर्ज नहीं चुका पाता ।
यहाँ आपको इस बात की जानकारी दी जा रही है की आप कर्ज़ कब लें और कब न लें -
1-कर्ज़ कभी भी मंगलवार को या मंगल के नक्षत्र(चित्रा, मृगा और धनिष्ठा ) मे न लें। आप जो भी कर्ज़ लें उसकी
प्रथम किस्त मंगलवार से ही वापस करना प्रारम्भ करें।
2-बृद्धि नामक योग मे लिया गया कर्ज़ कभी समाप्त नहीं होगा अतः “बृद्धि योग” मे कभी भी कर्ज़ न लें ।
3-स्थिर लग्न (वृष,सिंह ,वृश्चिक एवं कुम्भ ) मे भी कभी कर्ज़ नहीं लेना चाहिए। वरना चाह कर भी कर्ज़ अदा
नहीं होगा। संभव हो तो चर लग्न मेष,कर्क,तुला और मकर) मे ही कर्ज़ लें ।
4-बुद्धवार के दिन आप किसी अन्य को कर्ज़ कभी मत दें अन्यथा वह पैसा डूब सकता है ।
5-चौकी पर डेढ़ मीटर सफेद रंग का कपड़ा बिछाएं। पूर्व दिशा की ओर मुंह रखें और पांच गुलाब के फूल लें।
अब लक्ष्मी मंत्र का जाप करते हुए एक-एक करके गुलाब का फूल सफेद कपड़े पर रखें। इसके पश्चात् कपड़े को
बांध कर किसी बहते जल में प्रवाहित कर दें। यह उपाय सात शुक्रवार को करें ।
ऋण मुक्ति के अचूक उपाय
अ-मंगलवार को शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर मसूर की दाल “ॐ ऋण-मुक्तेश्वर महादेवाय नमः”मंत्र बोलते
हुए चढ़ाएं।
ब-शनिवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद अपनी लंबाई के बराबर काल धागा लेकर उसे एक नारियल के ऊपर
लपेट लें। फिर अपनी नियमित पूजा के साथ इसका भी पूजन करें, पूजा के बाद इस नारियल को भगवान से ऋण
मुक्त के लिए प्रार्थना करते हुए बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इस छोटे से उपाय से आपको अपनी मेहनत के
श्रेष्ठ फल मिलने के योग बनेगे और आप के ऊपर शीघ्र ही कर्ज का भार कम होने लगेगा ।
स-कर्ज़ से मुक्ति का रामबाण उपाय गजेंद्र मोक्ष का पाठ । शनिवार को ऋणमुक्तेश्वर महादेव का पूजन करें ।
आचार्य राजेश कुमार “ दिव्यान्श ज्योतिष केंद्र “
तीन चीजें कभी- कभी इंसान को तबाह कर देती हैं वो हैं “कर्ज़,बीमारी और मुकदमा”
चाहें गरीब हो या अमीर ,हम अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कभी न कभी कर्ज़ जरूर लेते
हैं आज लगभग सभी व्यक्ति कम या अधिक कर्ज़ से ग्रस्त हैं।यहाँ तक की बड़े से बड़ा करोड़ पति भी कर्ज़ जरूर
लेता है। कई बार ऐसा देखा गया है की लाख चाहने के बावजूद भी कर्ज़ से मुक्ति नहीं मिल पति है ।
ज्योतिष शास्त्र में षष्ठम, अष्टम, द्वादश स्थान एवं मंगल ग्रह को कर्ज का कारक ग्रह माना जाता है। मंगल के
कमजोर होने पर या पापग्रह से संबंधित होने पर, अष्टम, द्वादश, षष्ठम स्थान पर नीच या अस्त स्थिति में होने
पर व्यक्ति सदैव ऋणी बना रहता है। ऐसे में यदि उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़े तो कर्ज तो होता है पर वह
बड़ी मुश्किल से उतर जाता है। शास्त्रों में मंगलवार और बुधवार को कर्ज के लेन-देन के लिए निषेध किया है।
मंगलवार को कर्ज लेने वाला जीवनभर कर्ज नहीं चुका पाता ।
यहाँ आपको इस बात की जानकारी दी जा रही है की आप कर्ज़ कब लें और कब न लें -
1-कर्ज़ कभी भी मंगलवार को या मंगल के नक्षत्र(चित्रा, मृगा और धनिष्ठा ) मे न लें। आप जो भी कर्ज़ लें उसकी
प्रथम किस्त मंगलवार से ही वापस करना प्रारम्भ करें।
2-बृद्धि नामक योग मे लिया गया कर्ज़ कभी समाप्त नहीं होगा अतः “बृद्धि योग” मे कभी भी कर्ज़ न लें ।
3-स्थिर लग्न (वृष,सिंह ,वृश्चिक एवं कुम्भ ) मे भी कभी कर्ज़ नहीं लेना चाहिए। वरना चाह कर भी कर्ज़ अदा
नहीं होगा। संभव हो तो चर लग्न मेष,कर्क,तुला और मकर) मे ही कर्ज़ लें ।
4-बुद्धवार के दिन आप किसी अन्य को कर्ज़ कभी मत दें अन्यथा वह पैसा डूब सकता है ।
5-चौकी पर डेढ़ मीटर सफेद रंग का कपड़ा बिछाएं। पूर्व दिशा की ओर मुंह रखें और पांच गुलाब के फूल लें।
अब लक्ष्मी मंत्र का जाप करते हुए एक-एक करके गुलाब का फूल सफेद कपड़े पर रखें। इसके पश्चात् कपड़े को
बांध कर किसी बहते जल में प्रवाहित कर दें। यह उपाय सात शुक्रवार को करें ।
ऋण मुक्ति के अचूक उपाय
अ-मंगलवार को शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर मसूर की दाल “ॐ ऋण-मुक्तेश्वर महादेवाय नमः”मंत्र बोलते
हुए चढ़ाएं।
ब-शनिवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद अपनी लंबाई के बराबर काल धागा लेकर उसे एक नारियल के ऊपर
लपेट लें। फिर अपनी नियमित पूजा के साथ इसका भी पूजन करें, पूजा के बाद इस नारियल को भगवान से ऋण
मुक्त के लिए प्रार्थना करते हुए बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इस छोटे से उपाय से आपको अपनी मेहनत के
श्रेष्ठ फल मिलने के योग बनेगे और आप के ऊपर शीघ्र ही कर्ज का भार कम होने लगेगा ।
स-कर्ज़ से मुक्ति का रामबाण उपाय गजेंद्र मोक्ष का पाठ । शनिवार को ऋणमुक्तेश्वर महादेव का पूजन करें ।
आचार्य राजेश कुमार “ दिव्यान्श ज्योतिष केंद्र “
Sunday, 13 January 2019
मकर संक्रांति विशेष: क्या है धार्मिक महत्व…जानिए
क्या है आपकी राशि के अनुसार से क्या करें दान?
काशी पंचांग के
अनुसार भगवान् भास्कर दिनांक 14 जनवरी 2019 दिन सोमवार को रात्रि 7 बजकर 35 मिनट पर धनु
राशी से मकर राशी में प्रवेश कर जायेंगे I धर्मशास्त्र
के अनुसार सूर्यास्त के बाद लगने वाली संक्रांति का पुण्यकाल दुसरे दिन मध्यान्ह
काल तक रहता है अतः मकरसंक्रांति दिनांक 15जनवरी 2019 को सर्वत्र
अपनी –अपनी विविध
परम्पराओं के साथ मनाया जायेगा. इसीदिन भगवान् भास्कर उत्तरापथ्गामी हो जायेंगे I
पुण्य काल मुहूर्त - 07:14 से 12:36 तक
सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात् भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है। इसी कारण यहाँ पर रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अतएव इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अन्धकार कम होगा। अत: मकर संक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी। ऐसा जानकर सम्पूर्ण भारतवर्ष में लोगों द्वारा विविध रूपों में सूर्यदेव की उपासना,आराधना एवं पूजन कर, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की जाती है।
इस
दिन दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है
माघे
मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स
भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥
पौराणिक
बातें
·
मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने
पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं।
·
द्वापर युग में महाभारत युद्ध के समय
भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन को ही चुना था।
·
उत्तरायण का महत्व बताते हुए गीता में कहा
गया है कि उत्तरायण के छह मास के शुभ काल में, जब सूर्य देव
उत्तरायण होते हैं और पृथ्वी प्रकाशमय रहती है।
·
इसी दिन भागीरथ के तप के कारण गंगा मां
नदी के रूप में पृथ्वी पर आईं थीं। और राजा सगर सहित भागीरथ के पूर्वजों को तृप्त
किया था।
·
वेदशास्त्रों के अनुसार, प्रकाश में
अपना शरीर छोड़नेवाला व्यक्ति पुन: जन्म नहीं लेता, जबकि अंधकार
में मृत्यु प्राप्त होनेवाला व्यक्ति पुन: जन्म लेता है। यहाँ प्रकाश एवं अंधकार
से तात्पर्य क्रमश: सूर्य की उत्तरायण एवं दक्षिणायन स्थिति से ही है। संभवत:
सूर्य के उत्तरायण के इस महत्व के कारण ही भीष्म ने अपना प्राण तब तक नहीं छोड़ा, जब तक मकर
संक्रांति अर्थात सूर्य की उत्तरायण स्थिति नहीं आ गई। सूर्य के उत्तरायण का महत्व
उपनिषद में भी किया गया है।
करें
घर में ‘धन
लक्ष्मी’ के
स्थाई निवास हेतु ‘विशेष
पूजन’
मकर संक्रांति के दिन या दीपावली के दिन सर्वत्र विद्यमान, सर्व सुख
प्रदान करने वाली माता “महाँ लक्ष्मी
जी”
का पूजन पुराने समय में हिन्दू राजा महाराजा करते थे । हर वर्ष
की भांति इस वर्ष भी हम चाहते हैं की आप सभी मित्र अपने-अपने घरों में सपरिवार इस
पूजा को करके माँ को श्री यंत्र के रूप में अपने घर में पुनः विराजमान करें।यह
पूजन समस्त ग्रहों की महादशा या अन्तर्दशा के लिए लाभप्रद होता है।
|इस विधि
से माता लक्ष्मी की पूजा करने
से “सहस्त्ररुपा
सर्व व्यापी लक्ष्मी”
जी सिद्ध होती हैं|
इस पूजा को सिद्ध करने का समय दिनांक 14 जनवरी 2018 को रात्रि 11.30 बजे से सुबह 02.57बजे के मध्य किया
जायेगा। इस पूजन का विस्तृत विशेष पूजन अग्रिम लेख
में प्राप्त होगा I
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व
·
मकर संक्रांति के समय नदियों में वाष्पन
क्रिया होती है। इससेतमाम तरह के रोग दूर हो सकते हैं। इसलिए इस दिन नदियों में
स्नान करने का महत्व बहुत है।
·
मकर संक्रांति में उत्तर भारत में ठंड का
समय रहता है। ऐसे में तिल-गुड़ का सेवन करने के बारे में विज्ञान भी कहता है। ऐसा
करने पर शरीर को ऊर्जा मिलती है। जो सर्दी में शरीर की सुरक्षा के लिए मदद करता
है।
·
इस दिन खिचड़ी का सेवन करने के पीछे भी
वैज्ञानिक कारण है। खिचड़ी पाचन को दुरुस्त रखती है। इसमें अदरक और मटर मिलाकर
बनाने पर यह शरीर को रोग-प्रतिरोधक बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है।
·
वेदशास्त्रोंके अनुसार, प्रकाश में
अपना शरीर छोड़नेवाला व्यक्ति पुन: जन्म नहीं लेता, जबकि अंधकार
में मृत्यु प्राप्त होनेवाला व्यक्ति पुन: जन्म लेता है। यहाँ प्रकाश एवं अंधकार
से तात्पर्य क्रमश: सूर्य की उत्तरायण एवं दक्षिणायन स्थिति से ही है। संभवत:
सूर्य के उत्तरायण के इस महत्व के कारण ही भीष्म ने अपना प्राण तब तक नहीं छोड़ा, जब तक मकर
संक्रांति अर्थात सूर्य की उत्तरायण स्थिति नहीं आ गई। सूर्य के उत्तरायण का महत्व
छांदोग्य उपनिषद में भी किया गया है।
·
इसप्रकार स्पष्ट है कि सूर्य की उत्तरायण
स्थिति का बहुत ही अधिक महत्व है। सूर्य के उत्तरायण होने पर दिन बड़ा होने से
मनुष्य की कार्य क्षमता में भी वृद्धि होती है जिससे मानव प्रगति की ओर अग्रसर
होता है। प्रकाश में वृद्धि के कारण मनुष्य की शक्ति में भी वृद्धि होती है
·
वेदशास्त्रोंके अनुसार, प्रकाश में
अपना शरीर छोड़नेवाला व्यक्ति पुन: जन्म नहीं लेता, जबकि अंधकार
में मृत्यु प्राप्त होनेवाला व्यक्ति पुन: जन्म लेता है। यहाँ प्रकाश एवं अंधकार
से तात्पर्य क्रमश: सूर्य की उत्तरायण एवं दक्षिणायन स्थिति से ही है। संभवत:
सूर्य के उत्तरायण के इस महत्व के कारण ही भीष्म ने अपना प्राण तब तक नहीं छोड़ा, जब तक मकर
संक्रांति अर्थात सूर्य की उत्तरायण स्थिति नहीं आ गई। सूर्य के उत्तरायण का महत्व
छांदोग्य उपनिषद में भी किया गया है।
·
पंजाबऔर हरियाणा में इस समय नई फसल का
स्वागत किया जाता है और लोहड़ी पर्व मनाया जाता है, वहीं असम में
बिहू के रूप में इस पर्व को उल्लास के साथ मनाया जाता है।
·
इसलिएइस दिन से रातें छोटी और दिन बड़े
होने लगते हैं। दिन बड़ा होने से सूर्य की रोशनी अधिक होगी और रात छोटी होने से
अंधकार कम होगा। इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार
से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। आंध्रप्रदेश, केरल और
कर्नाटक में इसे संक्रांति कहा जाता है|
अपनी राशि
के अनुसार करें दान
मकर संक्रांति परसूर्य का प्रवेश मकर राशी में होता है औरइसका
हर राशि पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आपके द्वारा किया
जाने वाला कौन सा दान फलदायी साबित होगाI
मेष- राशि के
लोगों को गुड़, चिक्की , तिल का दान
देना चाहिए।
वृषभ- राशि के
लोगोंके लिए सफेद कपड़े और सफ़ेद तिल का दान करना उपयुक्त रहेगा।
मिथुन -राशि के लोग
मूंग दाल, चावल और कंबल का दान करें।
कर्क -राशि के
लोगों के लिए चांदी, चावल और सफेद
वस्त्र का दान देना उचित है।
सिंह- राशि के
लोगों को तांबा और सोने के मोतीदान करने चाहिए।
कन्या -राशि केलोगों
को चावल, हरे मूंग या हरे कपड़े का दान देना चाहिए।
तुला- राशि
केजातकों को हीरे, चीनी या कंबल
का देना चाहिए।
वृश्चिक –राशि के
लोगों को मूंगा, लाल कपड़ा और
काला तिल दान करना
चाहिए।
धनु
–राशि के
जातकोंको वस्त्र, चावल, तिल और गुड़
का दान करना चाहिए।
मकर -राशि के
लोगों को गुड़, चावल और तिल
दान करने चाहिए।
कुंभ –राशि के
जातकों के लिए काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी और तिल
का दान चाहिए।
मीन- राशि के
लोगोंको रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल और तिल
दान देने चाहिए।
आचार्य
राजेश कुमार
www.Divyanshjyotish.com
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