Monday, 19 June 2017

अद्भुत अकल्पनीय अविश्वनीय

काशी विश्वनाथ मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े 11 अद्भुत तथ्य


वाराणसी. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख काशी विश्वनाथ के दरबार में शिवरात्रि पर आस्था का जन सैलाब उमड़ता है। यहां वाम रूप में स्थापित बाबा विश्वनाथ शक्ति की देवी मां भगवती के साथ विराजते हैं। यह अद्भुत है। ऐसा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता है।

1. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में है। दाहिने भाग में शक्ति के रूप में मां भगवती विराजमान हैं। दूसरी ओर भगवान शिव वाम रूप (सुंदर) रूप में विराजमान हैं। इसीलिए काशी को मुक्ति क्षेत्र कहा जाता है।

2. देवी भगवती के दाहिनी ओर विराजमान होने से मुक्ति का मार्ग केवल काशी में ही खुलता है। यहां मनुष्य को मुक्ति मिलती है और दोबारा गर्भधारण नहीं करना होता है। भगवान शिव खुद यहां तारक मंत्र देकर लोगों को तारते हैं। अकाल मृत्यु से मरा मनुष्य बिना शिव अराधना के मुक्ति नहीं पा सकता।

3. श्रृंगार के समय सारी मूर्तियां पश्चिम मुखी होती हैं। इस ज्योतिर्लिंग में शिव और शक्ति दोनों साथ ही विराजते हैं, जो अद्भुत है। ऐसा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता है।

4. विश्वनाथ दरबार में गर्भ गृह का शिखर है। इसमें ऊपर की ओर गुंबद श्री यंत्र से मंडित है। तांत्रिक सिद्धि के लिए ये उपयुक्त स्थान है। इसे श्री यंत्र-तंत्र साधना के लिए प्रमुख माना जाता है।

5. बाबा विश्वनाथ के दरबार में तंत्र की दृष्टि से चार प्रमुख द्वार इस प्रकार हैं :- 1. शांति द्वार। 2. कला द्वार। 3. प्रतिष्ठा द्वार। 4. निवृत्ति द्वार। इन चारों द्वारों का तंत्र में अलग ही स्थान है। पूरी दुनिया में ऐसा कोई जगह नहीं है जहां शिवशक्ति एक साथ विराजमान हों और तंत्र द्वार भी हो।

6. बाबा का ज्योतिर्लिंग गर्भगृह में ईशान कोण में मौजूद है। इस कोण का मतलब होता है, संपूर्ण विद्या और हर कला से परिपूर्ण दरबार। तंत्र की 10 महा विद्याओं का अद्भुत दरबार, जहां भगवान शंकर का नाम ही ईशान है।

7. मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण मुख पर है और बाबा विश्वनाथ का मुख अघोर की ओर है। इससे मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवेश करता है। इसीलिए सबसे पहले बाबा के अघोर रूप का दर्शन होता है। यहां से प्रवेश करते ही पूर्व कृत पाप-ताप विनष्ट हो जाते हैं।

8. भौगोलिक दृष्टि से बाबा को त्रिकंटक विराजते यानि त्रिशूल पर विराजमान माना जाता है। मैदागिन क्षेत्र जहां कभी मंदाकिनी नदी और गौदोलिया क्षेत्र जहां गोदावरी नदी बहती थी। इन दोनों के बीच में ज्ञानवापी में बाबा स्वयं विराजते हैं। मैदागिन-गौदौलिया के बीच में ज्ञानवापी से नीचे है, जो त्रिशूल की तरह ग्राफ पर बनता है। इसीलिए कहा जाता है कि काशी में कभी प्रलय नहीं आ सकता।

9. बाबा विश्वनाथ काशी में गुरु और राजा के रूप में विराजमान है। वह दिनभर गुरु रूप में काशी में भ्रमण करते हैं। रात्रि नौ बजे जब बाबा का श्रृंगार आरती किया जाता है तो वह राज वेश में होते हैं। इसीलिए शिव को राजराजेश्वर भी कहते हैं।

10. बाबा विश्वनाथ और मां भगवती काशी में प्रतिज्ञाबद्ध हैं। मां भगवती अन्नपूर्णा के रूप में हर काशी में रहने वालों को पेट भरती हैं। वहीं, बाबा मृत्यु के पश्चात तारक मंत्र देकर मुक्ति प्रदान करते हैं। बाबा को इसीलिए ताड़केश्वर भी कहते हैं।

11. बाबा विश्वनाथ के अघोर दर्शन मात्र से ही जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। शिवरात्रि में बाबा विश्वनाथ औघड़ रूप में भी विचरण करते हैं। उनके बारात में भूत, प्रेत, जानवर, देवता, पशु और पक्षी सभी शामिल होते हैं।

Thursday, 15 June 2017

आपके हाथ में उपस्थित रेखाओं से जाने स्वयं अपना भविष्य फल

भाग -1
प्रिय मित्रों यदि आपका सही जनम विवरण आपके पास उपलब्ध नहीं है और आप अपना और अपनों के भविष्य के विषय में जानकारी चाहते हैं तो अपने हाथ की रेखाओं को देख कर बहुत कुछ विश्लेषण कर सकते हैं क्योंकि एक बार जन्म विवरण गलत हो सकता है किन्तु हाथ की रेखाएं कभी गलत नहीं हो सकतीं I इतना ही नहीं बल्कि इन्हीं रेखाओं से जन्म तारीख ,जन्म का महिना ,जन्म वर्ष व् जन्म समय समय भी ज्ञात कर सकते हैं i
आज से आपको आपकी हाथों में बनी हस्त रेखाओं के बारे में कुछ ऐसी रोचक जानकारी देना चाहता हु जिससे आप देख कर बहुत सी घटनाओं को स्वयं जान सकेंगे i
हाथ मे बने विभिन्न त्रिभुज,तिल,सितारे,यव,वर्ग,जाली,त्रीशुलादि चिन्हों का फलाफल बताएंगे:-

1.
तिल का चिन्ह,हथेली पर जिस किसी ग्रह के क्षेत्र पर होगा उसी के शुभफल की हानी करेगा। जैसे संतान रेखा पर तिल हो तो संतान हानि, विवाह रेखा पर तिल हो तो पति-पत्नी में अनबन या अमिलन या विलंब से विवाह इत्यादि। शुक्र पर्वत पर होने से यौन दुर्बलता इत्यादि समझना चाहिए।।

मित्रों हाथ की प्रत्येक उँगलियों मे तीन पर्व(खाने)होते हैं।

उंगली के ऊपरी खाने को प्रथम पर्व, बीच के खाने को द्वितीय पर्व एवं तीसरे खाने को तृतीय पर्व कहते हैं।

            तर्जनी उंगली के प्रथम पर्व पर विभिन्न चिन्हों का फलाफल:-

*
तर्जनी उंगली के प्रथम पर्व पर यदि सितारे का निशान हो तो जातक के जीवन में एक गंभीर हादसा हो कर भाग्योदय होता है अर्थात उक्त गंभीर घटना ही भाग्य को बदल डालती है।

*
प्रथम पर्व पर त्रिभुज का चिन्ह हो तो जातक योगी य जादूगर होगा।धर्म शास्त्र जादू टोना व गूढ़ विद्या का जानकर होता है।साथ ही विवेकी व निष्ठावान परम भक्त होता है।

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यदि प्रथम पर्व पर वक्र (~)रेखा है तो जातक नास्तिक बुद्धि का होता है।

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यदि (// + )रेखाएं हैं तो जातक धार्मिक उन्मादी ज़िहादी होता है।
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यदि त्रिभुज() है तो यह नम्रता सज्जनता व सफलता का सूचक है। ऐसा व्यक्ति अपने कुल व खानदान को यश प्रतिष्ठा व मान दिलाता है।
*
यदि प्रथम पर्व पर जाली(##) का निशान या तो सन्यासी बना कर एकांत जीवन व्यतीत करता है या तो जेहादी जूनून के कारण जेल की सज़ा दिलवाता है।
*
यदि (×) का चिन्ह पागलपन व आकस्मिक मृत्यु का सूचक है।

Saturday, 10 June 2017

विवाह : कब, कहां, किस उम्र में होगा, बताता है ज्योतिष

विवाह : कब, कहां, किस उम्र में होगा, बताता है ज्योतिष: ज्योतिष् विज्ञान के आधार पर हम जान सकते हैं कि जातक का विवाह कब, कहां, किस उम्र में कैसे युवक या युवती से कितनी दूरी पर होगा।

Monday, 5 June 2017

आश्चर्यजनक किन्तु कड़वा सच

प्रिय मित्रों ,
             यदि आपके पास फुरसत के क्षण हो तभी पढ़ना उसके बाद डिलीट या फारवर्ड करना:-
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रामायण मे दो ऐसे व्यक्ती थे...
एक विभीषण और एक कैकेयी...
विभीषण रावण के राज मे रहता था
फिर भी नही बिगडा...
कैकेयी राम के राज मे रहती
थी
फिर भी नही सुधरी..!!
तात्पर्य...
सुधरना एवं बिगडना केवल मनुष्य के सोच और स्वभाव पर निर्भर
होता है
माहौल पर नहीं..


: रावण सीता को समझा समझा कर हार गया था पर
सीता ने रावण की तरफ एक
बार देखा तक नहीं..!
तब मंदोदरी ने उपाय बताया कि तुम राम बन के सीता के
पास जाओ वो तुम्हे जरूर देखेगी..!
रावण ने कहा - मैं ऐसा कई बार कर चुका हू..!
मंदोदरी - तब क्या सीता ने आपकी ओर देखा..?
.रावण - मैं खुद सीता को नहीं देख सका..!
क्योंकि मैं जब- जब राम बनता हूँ,
मुझे परायी नारी अपनी माता और
अपनी पुत्री सी दिखती है..!
.
अपने अंदर राम को ढूंढे,
और उनके चरित्र पर चलिए..!
आपसे भूलकर भी भूल नहीं होगी..!
.
॥ जय श्री राम ॥               : मंदिर के बाहर लिखा हुआ एक खुबसुरत सच......

"अगर उपवास करके भगवान खुश होते,

तो इस दुनिया में बहुत दिनो तक खाली पेट
रहनेवाला भिखारी सबसे सुखी इन्सान होता..

उपवास अन का नही विचारों का करे....

इंसान खुद की नजर में सही होना चाहिए, दुनिया तो भगवान से भी दुखी है!

🍌🍎🍏🍊🌞🌿😄
आज का विचार:

चिड़िया जब जीवित रहती है
           तब वो चिंटी🐜 को खाती है

चिड़िया जब मर जाती है तब
           चींटिया उसको खा जाती है।

इसलिए इस बात का ध्यान रखो की समय और स्तिथि कभी भी बदल सकते है.

👍इसलिए कभी किसी का अपमान मत करो
👍कभी किसी को कम मत आंको।
👍तुम शक्तिशाली हो सकते हो पर समय तुमसे भी शक्तिशाली है।
👍एक पेड़ से लाखो माचिस की तीलिया बनाई जा सकती है
👍 पर एक माचिस की तिल्ली से लाखो पेड़ भी जल सकते है।

👍कोई चाहे कितना भी महान क्यों ना हो जाए, पर कुदरत कभी भी किसी को महान  बनने का मौका नहीं देती।

👉कंठ दिया कोयल को, तो रूप छीन लिया ।
👉रूप दिया मोर को, तो ईच्छा छीन ली ।
👉दी ईच्छा इन्सान को, तो संतोष छीन लिया ।
👉दिया संतोष संत को, तो संसार छीन लिया ।
👉दिया संसार चलाने देवी-देवताओं को, तो उनसे भी मोक्ष छीन लिया ।

☝मत करना कभी भी ग़ुरूर अपने आप पर 'ऐ इंसान'
☝ भगवान ने तेरे और मेरे जैसे कितनो को मिट्टी से बना के, मिट्टी में मिला दिए ।
🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆
👉 इंसान दुनिया में तीन चीज़ो के लिए मेहनत करता है

1-मेरा नाम ऊँचा हो .
२ -मेरा लिबास अच्छा हो .
3-मेरा मकान खूबसूरत हो ..

लेकिन इंसान के मरते ही भगवान उसकी तीनों चीज़े
सबसे पहले बदल देता है

१- नाम = (स्वर्गीय )
२- लिबास = (कफन )
३-मकान = ( श्मशान )

जीवन की कड़वी सच्चाई जिसे हम समझना नहीं चाहते  👈
👌👌👌👌👌
ये चन्द पंक्तियाँ
जिसने भी लिखी है
खूब लिखी है

एक पथ्थर सिर्फ एक बार मंदिर जाता है और भगवान बन जाता है ..
इंसान हर रोज़ मंदिर जाते है फिर भी पथ्थर ही रहते है ..!!
👍 NICE LINE👌
एक औरत बेटे को जन्म देने के लिये अपनी सुन्दरता त्याग देती है.......
और
वही बेटा एक सुन्दर बीवी के लिए अपनी माँ को त्याग देता है
********[**********]*****
जीवन में हर जगह
हम "जीत" चाहते हैं...

सिर्फ फूलवाले की दूकान ऐसी है
जहाँ हम कहते हैं कि
"हार" चाहिए।

क्योंकि

हम भगवान से
"जीत" नहीं सकते।

➖♦➖♦➖♦➖♦➖♦

धीमें से पढ़े बहुत ही
अर्थपूर्ण है यह मेसेज...

हम और हमारे ईश्वर,
दोनों एक जैसे हैं।

जो रोज़ भूल जाते हैं...


वो हमारी गलतियों को,
हम उसकी मेहरबानियों को।

➖♦➖♦➖♦➖♦➖♦

🔷 एक सुविचार 🔷

वक़्त का पता नहीं चलता अपनों के साथ.....

पर अपनों का पता चलता है,
वक़्त के साथ...

वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ,

पर अपने ज़रूर बदल जाते हैं वक़्त के साथ...!!!
➖♦➖♦➖♦➖♦➖♦

💯%✔

ज़िन्दगी पल-पल ढलती है,

जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है... Ni

शिकवे कितने भी हो हर पल,
फिर भी हँसते रहना...

क्योंकि ये ज़िन्दगी जैसी भी है,
बस एक ही बार मिलती है।
ये SMS जरुर सबको भेजना .. बहूत ही सुंदर ( कृपया एक-एक शब्द पढें )
🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀

कोई सोना चढाए , कोई चाँदी चढाए ;
कोई हीरा चढाए , कोई मोती चढाए ;

चढाऊँ क्या तुझे भगवन ; कि ये निर्धन का डेरा है ;

अगर मैं फूल चढाता हूँ , तो वो भँवरे का जूठा है ;
अगर मैं फल चढाता हूँ , तो वो पक्षी का जूठा है ;
अगर मैं जल चढाता हूँ , तो वो मछली का जूठा है ;
अगर मैं दूध चढाता हूँ , तो वो बछडे का जूठा है ;

चढाऊँ क्या तुझे भगवन ; कि ये निर्धन का डेरा है ;

अगर मैं सोना चढ़ाता हूँ , तो वो माटी का जूठा है ;
अगर मैं हीरा चढ़ाता हूँ , तो वो कोयले का जूठा है ;
अगर मैं मोती चढाता हूँ , तो वो सीपो का जूठा है ;
अगर मैं चंदन चढाता हूँ , तो वो सर्पो का जूठा है ;

चढाऊँ क्या तुझे भगवन, कि ये निर्धन का डेरा है ;

अगर मैं तन चढाता हूँ , तो वो पत्नी का जूठा है ;
अगर मैं मन चढाता हूँ , तो वो ममता का जूठा है ;
अगर मैं धन चढाता हूँ , तो वो पापो का जूठा है ;
अगर मैं धर्म चढाता हूँ , तो वो कर्मों का जूठा है ;

चढाऊँ क्या तुझे भगवन , कि ये निर्धन का डेरा है ;

❓|||||||||  प्रश्नोत्तर  |||||||||

Qus→ जीवन का उद्देश्य क्या है ?
Ans→ जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है - जो जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है। उसे जानना ही मोक्ष है..!!
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Qus→ जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त कौन है ?
Ans→ जिसने स्वयं को, उस आत्मा को जान लिया - वह जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है..!!
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Qus→संसार में दुःख क्यों है ?
Ans→लालच, स्वार्थ और भय ही संसार के दुःख का मुख्य कारण हैं..!!
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Qus→ ईश्वर ने दुःख की रचना क्यों की ?
Ans→ ईश्वर ने संसार की रचना की और मनुष्य ने अपने विचार और कर्मों से दुःख और सुख की रचना की..!!
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Qus→ क्या ईश्वर है ? कौन है वे ? क्या रुप है उनका ? क्या वह स्त्री है या पुरुष ?
Ans→ कारण के बिना कार्य नहीं। यह संसार उस कारण के अस्तित्व का प्रमाण है। तुम हो, इसलिए वे भी है - उस महान कारण को ही आध्यात्म में 'ईश्वर' कहा गया है। वह न स्त्री है और ना ही पुरुष..!!
📒
Qus→ भाग्य क्या है ?
Ans→हर क्रिया, हर कार्य का एक परिणाम है। परिणाम अच्छा भी हो सकता है, बुरा भी हो सकता है। यह परिणाम ही भाग्य है तथा आज का प्रयत्न ही कल का भाग्य है..!!
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Qus→ इस जगत में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ?
Ans→ रोज़ हजारों-लाखों लोग मरते हैं और उसे सभी देखते भी हैं, फिर भी सभी को अनंत-काल तक जीते रहने की इच्छा होती है..
इससे बड़ा आश्चर्य ओर क्या हो सकता है..!!
📒
Qus→किस चीज को गंवाकर मनुष्य
धनी बनता है ?
Ans→ लोभ..!!
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Qus→ कौन सा एकमात्र उपाय है जिससे जीवन सुखी हो जाता है?
Ans → अच्छा स्वभाव ही सुखी होने का उपाय है..!!
📒
Qus → किस चीज़ के खो जाने
पर दुःख नहीं होता ?
Ans → क्रोध..!!
📒
Qus→ धर्म से बढ़कर संसार में और क्या है ?
Ans → दया..!!
📒
Qus→क्या चीज़ दुसरो को नहीं देनी चाहिए ?
Ans→ तकलीफें, धोखा..!!
📒
Qus→ क्या चीज़ है, जो दूसरों से कभी भी नहीं लेनी चाहिए ?
Ans→ इज़्ज़त, किसी की हाय..!!
📒
Qus→ ऐसी चीज़ जो जीवों से सब कुछ करवा सकती है ?
Ans→मज़बूरी..!!
📒
Qus→ दुनियां की अपराजित चीज़ ?
Ans→ सत्य..!!
📒
Qus→ दुनियां में सबसे ज़्यादा बिकने वाली चीज़ ?
Ans→ झूठ..!!
📒
Qus→ करने लायक सुकून का
कार्य ?
Ans→ परोपकार..!!
📒
Qus→ दुनियां की सबसे बुरी लत ?
Ans→ मोह..!!
📒
Qus→ दुनियां का स्वर्णिम स्वप्न ?
Ans→ जिंदगी..!!
📒
Qus→ दुनियां की अपरिवर्तनशील चीज़ ?
Ans→ मौत..!!
📒
Qus→ ऐसी चीज़ जो स्वयं के भी समझ ना आये ?
Ans→ अपनी मूर्खता..!!  
📒
Qus→ दुनियां में कभी भी नष्ट/ नश्वर न होने वाली चीज़ ?
Ans→ आत्मा और ज्ञान..!!
📒
Qus→ कभी न थमने वाली चीज़ ?
Ans→ समय

                     दिव्यांश ज्योतिष्-
                     9454320396

                     

Sunday, 4 June 2017

सूर्य के बारे में

सूर्यदेव से संबंधित रोचक जानकारी
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1. जब ब्रह्माजी जब उत्पन्न हुए, तब उनके मुंह से ॐ महाशब्द उच्चरित हुआ। यह ओंकार परब्रह्म है और यही भगवान सूर्यदेव का शरीर है।

2. ब्रह्माजी के चारों मुखों से चार वेद आविर्भूत हुए और ओंकार के तेज से मिल कर जो स्वरूप उत्पन्न हुआ वही सूर्यदेव हैं।

3. यह सूर्यस्वरूप सृष्टि में सबसे पहले प्रकट हुआ इसलिए इसका नाम आदित्य पड़ा।

4. सूर्यदेव का एक नाम सविता भी है। जिसका अर्थ होता है सृष्टि करने वाला। इन्हीं से जगत उत्पन्न हुआ है। यही सनातन परमात्मा हैं।

5. नवग्रहों में सूर्य सर्वप्रमुख देवता हैं।

6. इनकी दो भुजाएं हैं। वे कमल के आसन पर विराजमान हैं; उनके दोनों हाथों में कमल सुशोभित हैं।

7. इनका वर्ण लाल है। सात घोड़ों वाले इनके रथ में एक ही चक्र है, जो संवत्सर कहलाता है।
महत्वपूर्ण जानकारी ह अरे हैं जो बारह महीनों के प्रतीक हैं, ऋतुरूप छ: नेमियां और चौमासे को इंगित करती तीन नाभियां हैं। चक्र, शक्ति, पाश और अंकुश इनके मुख्य अस्त्र हैं।

9. एक बार दैत्यों ने देवताओं को पराजित कर उनके सारे अधिकार छीन लिए। तब देवमाता अदिति ने इस विपत्ति से मुक्ति पने के लिये भगवान सूर्य की उपासना की, जिससे प्रसन्न होकर उन्होंने अदिति के गर्भ से अवतार लिया और दैत्यों को पराजित कर सनातन वेदमार्ग की स्थापना की। इसलिये भी इन्हें आदित्य कहा जाता है।

10. भगवान सूर्य सिंह राशि के स्वामी हैं। इनकी महादशा छ: वर्ष की होती है। इनकी प्रसन्नता के लिए इन्हें नित्य सूर्यार्घ्य देना चाहिए। इनका सामान्य मंत्र है-ॐ घृणिं सूर्याय नम:' इसका एक निश्चित संख्या में रोज जप करना चाहिए ।

11.आपके जीवन काल में सूर्य देव को चाहें जो भी जिम्मेदारी मिली हो यदि आप किसी रविवार या सूर्य के नक्षत्र से  आदित्य ह्रदय स्त्रोत व् बजरंग बाण का संकल्पित पाठ नित्य करने के पश्चात् ताम्बे के पत्र में जल, अक्षत, लाल सिंदूर, लाल पुष्प, लाल सूखे मिर्चे का बीज डाल कर सूर्य देव को अर्ध्य देते हैं तो जीवन की समस्त व्याधियां तत्काल दूर होंगी 
आचार्य राजेश कुमार