Sunday, 9 February 2020

महाशिवरात्रि के दिन आपकी कुंडली मे तीन – तीन ग्रह स्वराशि और उच्च  के होकर बना रहे हैं दुर्लभ संयोग / कैसे होते हैं महाशिवरात्रि के दिन जन्म लेने वाले बच्चे / इसका कैसा परिणाम मिलने वाला है आपको/ कैसे करें अपनी राशि अनुसार रुद्राभिषेक / महाशिवरात्रि की कथायेँ :-

“शिवरात्रि” का अर्थ है “भगवान शिव की महान रात्रि । ऐसे तो प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि का व्रत रखने का बड़ा महत्व है इस तरह सालभर में 12 शिवरात्रि व्रत किए जाते हैं परन्तु उन सभी में महाशिवरात्रि का व्रत रखने का खास महत्व होता है। महाशिवरात्रि व्रत काशी पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है।  इस दिन रंक हो या राजा सभी बड़ी धूमधाम से इस त्योहार को मनाते हैं । 
इस वर्ष महाशिवरात्रि 21 फरवरी 2020  को शाम को 5 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी कि 22 फरवरी दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 9 मिनट तक रहेगी। रात्रि प्रहर की पूजा शाम को 6 बजकर 57 मिनट से रात 12 बजकर 54 मिनट तक होगी। 
117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग :-
 इस बार शिवरात्रि पर 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बन रहा है। इस साल शिवरात्रि पर शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में और शुक्र ग्रह अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा।  इस साल गुरु भी अपनी स्वराशि धनु राशि में स्थित है। इस योग में शिव पूजा करने पर शनि, गुरु, शुक्र के दोषों से भी मुक्ति मिल सकती है। 21 फरवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। पूजन के लिए और नए कार्यों की शुरुआत करने के लिए ये योग बहुत ही शुभ माना गया है।

शिवरात्रि पर 28 साल बाद बनेगा विष योग :-

 शिवरात्रि को शनि के साथ चंद्रमाँ  भी रहेगा। शनि-चंद्र की युति की वजह से विष योग बन रहा है। इस साल से पहले करीब 28 साल पहले शिवरात्रि पर विष योग बना था । 
इस योग में शनि और चंद्रमाँ के लिए विशेष पूजा करनी चाहिए। शिवरात्रि पर ये योग बनने से इस दिन शिव पूजा का महत्व और अधिक बढ़ गया है। कुंडली में शनि और चंद्र के दोष दूर करने के लिए शिव पूजा करने की सलाह दी जाती है ।


शिवरात्रि के पावन पर्व में शिव मंदिरों की रौनक खूब दिखती है। प्रातःकाल से ही शिव मंदिरों में भक्तों का तांता जुटने लगता है। और सभी भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते हैं। इस दिन शिव जी को दूध और जल से अभिषेक कराने की भी प्रथा है

महाशिवरात्रि की कथायेँ :-

महाशिवरात्रि को लेकर एक या दो नहीं बल्कि हिंदू पुराणों में कई कथाएं प्रचलित हैं:-पुराणों में महाशिवरात्रि मानाने के पीछे एक कहानी है जिसके अनुसार
कथा 1- 
समुद्र मंथन के दौरान जब देवतागण एवं असुर पक्ष अमृत-प्राप्ति के लिए मंथन कर रहे थे, तभी समुद्र में से कालकूट नामक भयंकर विष निकला।
देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने भयंकर विष को अपने शंख में भरा और भगवान विष्णु का स्मरण कर उसे पी गए। भगवान विष्णु अपने भक्तों के संकट हर लेते हैं।
उन्होंने उस विष को शिवजी के कंठ (गले) में ही रोक कर उसका प्रभाव समाप्त कर दिया। विष के कारण भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया और वे संसार में नीलंकठ के नाम से प्रसिद्ध हुए।


कथा 2-
शिव पुराण में एक अन्य कथा के अनुसार एक बार ब्रह्माजी व विष्णुजी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है। ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता होने के कारण श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे और भगवान विष्णु पूरी सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ कह रहे थे। तभी वहां एक विराट लिंग प्रकट हुआ। दोनों देवताओं ने सहमति से यह निश्चय किया गया कि जो इस लिंग के छोर का पहले पता लगाएगा उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा

अत: दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग की छोर ढूढंने निकले। छोर न मिलने के कारण विष्णुजी लौट आए। ब्रह्मा जी भी सफल नहीं हुए परंतु उन्होंने आकर विष्णुजी से कहा कि वे छोर तक पहुँच गए थे। उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया। ब्रह्मा जी के असत्य कहने पर स्वयं शिव वहाँ प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी की एक सिर काट दिया, और केतकी के फूल को श्राप दिया कि शिव जी की पूजा में कभी भी केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं होगा।
चूंकि यह फाल्गुन के महीने का 14 वा दिन था जिस दिन शिव ने पहली बार खुद को लिंग रूप में प्रकट किया था। इस दिन को बहुत ही शुभ और विशेष माना जाता है और महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन शिव की पूजा करने से उस व्यक्ति को सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।

कथा 3- 
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक आदमी जो शिव का परम भक्त था, एक बार लकड़ियाँ कटाने के लिए जंगल गया, और खो गया। बहुत रात हो चुकी थी इसीलिए उसे घर जाने का रास्ता नहीं मिल रहा था। क्योंकि वह जंगल में काफी अंदर चला गया था इसलिए जानवरों के डर से वह एक पेड़ पर चढ़ गया।
लेकिन उसे डर था कि अगर वह सो गया तो वह पेड़ से गिर जाएगा और जानवर उसे खा जाएंगे। इसलिए जागते रहने के लिए वह रात भर शिवजी नाम लेके पत्तियां तोड़ के गिरता रहा। जब सुबह हुई तो उसने देखा कि उसने रात में हजार पत्तियां तोड़ कर शिव लिंग पर गिराई हैं, और जिस पेड़ की पत्तियां वह तोड़ रहा था वह बेल का पेड़ था।
अनजाने में वह रात भर शिव की पूजा कर रहा था जिससे खुश हो कर शिव ने उसे आशीर्वाद दिया। यह कहानी महाशिवरात्रि को उन लोगों को सुनाई जाती है जो व्रत रखते हैं। और रात शिव जी पर चढ़ाया गया प्रसाद खा कर अपना व्रत तोड़ते हैं।

एक कारण यह भी है इस पूजा को करने  कि यह रात अमावस की रात होती है जिसमें चाँद नहीं दीखता है और हम ऐसे मे भगवान की पूजा करते हैं ।

महाशिवरात्रि के तुरंत बाद पेड़ फूलों से भर जाते हैं जैसे सर्दियों के बाद होता है। पूरी धरती फिर से उपजाऊ हो जाती है। यही कारण है कि पूरे भारत में शिव लिंग को उत्पत्ति का प्रतीक माना जाता है। भारत के हर कोने में शिवरात्रि को अलग अलग तरीके से मनाया जाता है।

अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है़ स्नान करना या कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक ।

भगवान शिव को रुद्र कहा गया है और उनका रूप शिवलिंग में देखा जाता है। इसका अर्थ हुआ शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना।
 अभिषेक के कई रूप तथा प्रकार होते हैं। शिव जी को प्रसन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना या फिर श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा करवाना। अपनी जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना गया है।
जानिए किस धारा का अभिषेक शुभ है आपकी राशि के लिए....

कैसे करें अपनी राशि अनुसार रुद्राभिषेक -

1. मेष- शहद और गन्ने का रस

2. वृष- दुग्ध ,दही
3. मिथुन-
दूर्वा से

4. कर्क- दुग्ध, शहद

5. सिंह- शहद, गन्ने के रस से

6. कन्या- दूर्वा एवं
दही

7. तुला- दुग्ध, दही

8. वृश्चिक- गन्ने का रस, शहद, दुग्ध

9. धनु- दुग्ध, शहद

10. मकर- गंगा जल में गुड़ डाल कर मीठे रस से

11. कुंभ- दही से

12. मीन- दुग्ध, शहद, गन्ने का रस

कैसे होते हैं महाशिवरात्रि के दिन जन्मक लेने वाले बच्चे:-


क्या आपका जन्म भी महाशिवरात्रि के दिन हुआ है। महाशिवरात्रि को जन्म लेने वाले बच्चे बहुत ही दयालु और दानी होते हैं। यह बच्चे जीवन में खूब यश और प्रतिष्ठा की प्राप्ति करते हैं। हालांकि बहुत खर्चीले भी होते हैं और दान पुण्य खुले हाथ से करते हैं। ऐसे बच्चें प्रायः शासन और प्रशासन में रहते हैं।


माना जाता है कि महाशिवरात्रि पर जन्मस लेने वाले बच्चों। में जो पुत्र होते हैं वे योग्य साबित होते हैं। पुत्रियां भी यश कमाती हैं। इस दिन जन्मे बच्चे अचल और चल संपत्ति की प्राप्ति करते हैं। सुंदर व सुयोग्य होते हैं। स्वलभाव से क्रोधी भी होते हैं।


महाशिवरात्रि के दिन जन्म लेने वाले लोग कला, पत्रकारिता और फिल्म उद्योग के
क्षेत्र में बहुत यश व प्रतिष्ठा की प्राप्ति करते हैं।

आचार्य राजेश कुमार ( Divyansh Jyotish Kendra )

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