Friday 20 January 2017

हस्तरेखाओं की कुछ रोचक जानकारी

आपके हाथ में उपस्थित रेखाओं की कुछ रोचक जानकारी
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प्रिय मित्रों,
समस्त उंगलियों पर चिन्हों के फल का संयुक्त सारांश
मित्रों हाथ की प्रत्येक उँगलियों मे तीन पर्व(खाने)होते हैं। उंगली के ऊपरी खाने को प्रथम पर्व,बीच के खाने को द्वितीय एवं तीसरे खाने को तृतीय पर्व कहते हैं।

1-तर्जनी उंगली एवं गुरु पर्वत पर विभिन्न चिन्हों का फलाफल:-

*तर्जनी उंगली के प्रथम पर्व पर यदि सितारे का निशान हो तो जातक के जीवन में एक गंभीर हादसा हो कर भाग्योदय होता है अर्थात उक्त गंभीर घटना ही भाग्य को बदल डालती है।

*प्रथम पर्व पर त्रिभुज का चिन्ह हो तो जातक योगी य जादूगर होगा।धर्म शास्त्र जादू टोना व गूढ़ विद्या का जानकर होता है।साथ ही विवेकी व निष्ठावान परम भक्त होता है।

*यदि प्रथम पर्व पर वक्र (~)रेखा है तो जातक नास्तिक बुद्धि का होता है।

*यदि (// + )रेखाएं हैं तो जातक धार्मिक उन्मादी ज़िहादी  होता है।

*यदि त्रिभुज(△) है तो यह नम्रता सज्जनता व सफलता का सूचक है। ऐसा व्यक्ति अपने कुल व खानदान को यश प्रतिष्ठा व मान दिलाता है।

*यदि प्रथम पर्व पर जाली(##) का निशान या तो सन्यासी बना कर एकांत जीवन व्यतीत करता है या तो जेहादी जूनून के कारण जेल की सज़ा दिलवाता है।

* यदि (×) का चिन्ह  पागलपन व आकस्मिक मृत्यु का सूचक है।
*द्वितीय खंड पर तारा(*) शुभव सफल प्रेमी का चिन्ह है।
*द्वितीय खंड पर त्रिभुज(△) का निशान सफल राजनीतिज्ञ बनाता है।

* द्वितीय खंड पर(//)हो तो ईर्ष्यालु प्रवित्ति का द्योतक है। (##)है तो विश्वास घाती बनाती हैं। (||||)रेखाएं आदर्श मनोवृति एवं मित्रमंडली वाला बनाती हैं।इनकी सभी आकांछाएं पूर्ण होती हैं।

नोट-उपरोक्त चिन्हों से फलादेश देखने के लिए उक्त के साथ ही साथ  अन्य पहलू भी देखने के बाद ही वास्तविक निर्णय पर पहुचा जा सकता है।

 हाथ मे बने विभिन्न त्रिभुज,तिल,सितारे,यव,वर्ग,जाली,त्रीशुलादि चिन्हों का फलाफल बताएंगे:-    
                 1.तिल का चिन्ह,हथेली पर जिस किसी ग्रह के क्षेत्र पर होगा,उसी के शुभफल की हानी करेगा। जैसे संतान रेखा पर तिल हो तो संतान हानि,विवाह रेखा पर तिल हो तो पति-पत्नी में अनबन या अमिलं या विलंब से विवाह इत्यादि।शुक्र पर्वत पर होने से यौन दुर्बलता इत्यादि समझना चाहिए।।    

                 2.यदि जातक की तर्जनी उंगली के प्रथम पर्व पर सितारे का निशान हो तो ,जातक के जीवन में एक गंभीर हादसा हो कर भाग्योदय होता है यानी गंभीर घटना ही भाग्य को बदल डालती है।।    


मित्रों हाथ की प्रत्येक उँगलियों मे तीन पर्व(खाने)होते हैं।

 उंगली के ऊपरी खाने को प्रथम पर्व,बीच के खाने को द्वितीय एवं तीसरे खाने को तृतीय पर्व कहते हैं।

1-तर्जनी उंगली एवं गुरु पर्वत पर विभिन्न चिन्हों का फलाफल:-

*तर्जनी उंगली के प्रथम पर्व पर यदि सितारे का निशान हो तो जातक के जीवन में एक गंभीर हादसा हो कर भाग्योदय होता है अर्थात उक्त गंभीर घटना ही भाग्य को बदल डालती है।

*प्रथम पर्व पर त्रिभुज का चिन्ह हो तो जातक योगी य जादूगर होगा।धर्म शास्त्र जादू टोना व गूढ़ विद्या का जानकर होता है।साथ ही विवेकी व निष्ठावान परम भक्त होता है।

*यदि प्रथम पर्व पर वक्र (~)रेखा है तो जातक नास्तिक बुद्धि का होता है।

*यदि (// + )रेखाएं हैं तो जातक धार्मिक उन्मादी ज़िहादी  होता है।

*यदि त्रिभुज(△) है तो यह नम्रता सज्जनता व सफलता का सूचक है। ऐसा व्यक्ति अपने कुल व खानदान को यश प्रतिष्ठा व मान दिलाता है।

*यदि प्रथम पर्व पर जाली(##) का निशान या तो सन्यासी बना कर एकांत जीवन व्यतीत करता है या तो जेहादी जूनून के कारण जेल की सज़ा दिलवाता है।
* यदि (×) का चिन्ह  पागलपन व आकस्मिक मृत्यु का सूचक है।

*द्वितीय खंड पर तारा(*) शुभव सफल प्रेमी का चिन्ह है।

*द्वितीय खंड पर त्रिभुज(△) का निशान सफल राजनीतिज्ञ बनाता है।

* द्वितीय खंड पर(//)हो तो ईर्ष्यालु प्रवित्ति का द्योतक है। (##)है तो विश्वास घाती बनाती हैं। (||||)रेखाएं
नोट-उपरोक्त चिन्हों से फलादेश देखने के लिए उक्त के साथ ही साथ  अन्य पहलू भी देखने के बाद ही वास्तविक निर्णय पर पहुचा ज सकता है।

तर्जनी उंगली के तृतीय खंड यानी मूल पर निशान

-तीसरे पर्व पर तारा(*)हो तो व्यक्ति को विद्वान किन्तु घमंडी व बेशर्म बनाता है।

- (△)त्रीभज का निशान  प्रकाशन कार्य द्वारा सफलता मिलती है।सभी महत्वकनछाओं की पूर्ति होती है।

-यदि क्रॉस(×)का निशान बुरी आदतें प्रदान करता है। मुकदमेबाजी,पाचन शक्ति कमजोर,पैतृक संपत्ति प्राप्त होती है।

-यदि (+×) का चिन्ह जिद्दीपन व हथीपं की आदत,कुतर्क करने की प्रवित्ति व बुरी आदतें दर्शाता है।
-वर्गाकार चिन्ह सामाजिक व राजनैतिक पद-प्रतिष्ठा का सूचक है।

गुरु पर्वत पर निशान-
-गुरु पर्वत पर सितारा(*) अचानक भाग्योदय,सफलता,बड़े-बड़े राजनेता प्रतिष्टित पदाधिकारी एवं पूज्य लोगों से विशेष संपर्क बनाता है।

-यदि(△)का निशान भाग्य व समृद्धि का सूचक है।

--स्वस्तिक का चिन्ह धनी सुखी ज्ञानी दानी व सौभाग्यशाली बनाता है।

-यदि⊙वृत्त का चिन्ह हो तो गूढ़ विद्या की प्राप्ति।
-पड़ी रेखाएं असफलता की सूचक हैं।

-उर्ध्व रेखाएं प्रत्येक कार्य मे सफलता की सूचक।

-यदि(#) जाली का चिन्ह परिश्रमी पर अहंकारी व नास्तिक बनाता है।

-यदि गुरु पर्वत पर दोनो हाथों में (×)का चिन्ह हो तो विवाह किसी धनी कन्या के साथ होकर प्रसिद्धि व दानी होता है।

मित्रों ,भाग-4 में मध्यमा उंगली के द्वितीय पर्व  की विवेचना की गयी थी अब आगे.....

 मध्यमा उंगली (शनि उंगली) के तीसरे पर्व पर निशान काफल :-
 1 यदि × का चिन्ह हो तो बांझ बनाता है। दो क्रास चोर थाग डाकू बनाता है।
 2 यदि वर्ग का चिंह हो तो निर्दयी व कंजूस बनाता है।
 3 यदि *  का चिन्ह है तो हत्यारा बनाता है।
 4 यदि ∆ त्रभुज का चिन्ह शंकालु भाग्यहीन व दुष्ट बनाता है।
 5 वृत्त का चिन्ह भौतिक शाश्त्रों का ज्ञाता सफलता व दार्शनिक बनाता है।

 शनि पर्वत का चिन्ह:-
 6 सितारा का चिन्ह दुरभज्ञासुचक है।
 7 ∆का चिन्ह बैज्ञानिक तार्किक रहस्यमयी विद्याओं का जानकार बताता है।
 8  (0) का चिन्ह शुभ ही शुभ।
 9 पड़ी रेखाएं शारीरिक कष्ट । खड़ी रेखाएं कठिन परिश्रम से सफलता।
 10 यदि * का चिन्ह संतानहीनता  एवं ठीक नही
11 वर्ग का चिन्ह आर्थिक सम्पन्नता।
मध्यमा(शनि) उंगली के दूसरे पर्व पर पड़ी रेखाएं ;गुप्त शत्रुओं से शारीरिक चोट ,विष भय , आत्महत्या का भय का संकेत।

2. माध्यम उंगली के दूसरे पर्व पर खड़ी ||| रेखाएं मित्रों से लाभ की सूचक परंतु कुछ उदासीनता।

मध्यमा उंगली का तीसरा पर्व:-

3.तीसरे पर्व पर × का चिन्ह बांझ बनाता है।

4. तीसरे पर्व पर वर्ग का चिन्ह निर्दयी तथा कंजूस बनाता है।

5- तीसरे पर्व पर स्टार का चिन्ह  प्रायः हत्यारा बनाता है।

6- तीसरे पर्व पर ∆ का चिन्ह शंकालु भाग्यहीन व दुष्ट बनाता है।

7. माध्यम उंगली के तीसरे पर्व पर वृत्त का चिन्ह भौतिक शाश्त्रो का ज्ञाता, सफलता एवं दार्शनिक बनाता है।

8. तीसरे पर्वत पर × का चिन्ह संतानहीनता या बांझ का सूचक।

9-तीसरे पर्वत पर वर्ग का चिन्ह निर्दयी कठोर एवं निर्दयी ,कंजूस प्रवृत्ति का बनाता है।

शनि पर्वत पर चिन्ह-

10. शनि पर्वत पर जाली का चिन्ह अस्थिर मति ,अधीर,एकांत प्रिय।

11. शनि पर्वत पर * का चिन्ह दुर्भाग्य सूचक, लकवा टीवी या अन्य कोई दीर्घकालिक बीमारी,शांप काटने का भय।

12. शनि पर्वत पर  ∆ का निशान बैज्ञानिक,तार्किक, विद्धान, कला जादू  इत्यादि का सूचक

13. शनि पर्वत पर वृत्त का निशान सफलता ,शुभ सूचक।

14. पड़ी रेखाएं शारीरिक कष्ट ,शत्रुता जीवन में बाधक होती हैं।

15.खड़ी रेखाएं कठिन परिश्रम से कुछ प्राप्ति का योग।

16. शनि पर्व पर × का चिन्ह संतान हीनता , रहस्यमय मृत्यु का संकेत।

17. शनि पर्वत पर वर्ग का चिन्ह आर्थिक एवं व्यवहारिक सफलता प्रदान करता है।

       
मध्यमा(शनि) उंगली के दूसरे पर्व पर पड़ी रेखाएं ;गुप्त शत्रुओं से शारीरिक चोट ,विष भय , आत्महत्या का भय का संकेत।

2. माध्यम उंगली के दूसरे पर्व पर खड़ी ||| रेखाएं मित्रों से लाभ की सूचक परंतु कुछ उदासीनता।

मध्यमा उंगली का तीसरा पर्व:-

3.तीसरे पर्व पर × का चिन्ह बांझ बनाता है।

4. तीसरे पर्व पर वर्ग का चिन्ह निर्दयी तथा कंजूस बनाता है।

5- तीसरे पर्व पर स्टार का चिन्ह  प्रायः हत्यारा बनाता है।

6- तीसरे पर्व पर ∆ का चिन्ह शंकालु भाग्यहीन व दुष्ट बनाता है।

7. माध्यम उंगली के तीसरे पर्व पर वृत्त का चिन्ह भौतिक शाश्त्रो का ज्ञाता, सफलता एवं दार्शनिक बनाता है।

8. तीसरे पर्वत पर × का चिन्ह संतानहीनता या बांझ का सूचक।

9-तीसरे पर्वत पर वर्ग का चिन्ह निर्दयी कठोर एवं निर्दयी ,कंजूस प्रवृत्ति का बनाता है।

शनि पर्वत पर चिन्ह-

10. शनि पर्वत पर जाली का चिन्ह अस्थिर मति ,अधीर,एकांत प्रिय।

11. शनि पर्वत पर * का चिन्ह दुर्भाग्य सूचक, लकवा टीवी या अन्य कोई दीर्घकालिक बीमारी,शांप काटने का भय।

12. शनि पर्वत पर  ∆ का निशान बैज्ञानिक,तार्किक, विद्धान, कला जादू  इत्यादि का सूचक

13. शनि पर्वत पर वृत्त का निशान सफलता ,शुभ सूचक।

14. पड़ी रेखाएं शारीरिक कष्ट ,शत्रुता जीवन में बाधक होती हैं।

15.खड़ी रेखाएं कठिन परिश्रम से कुछ प्राप्ति का योग।

16. शनि पर्व पर × का चिन्ह संतान हीनता , रहस्यमय मृत्यु का संकेत।

17. शनि पर्वत पर वर्ग का चिन्ह आर्थिक एवं व्यवहारिक सफलता प्रदान करता है
       
     
1.मध्यमा(शनि) उंगली के दूसरे पर्व पर पड़ी रेखाएं ;गुप्त शत्रुओं से शारीरिक चोट ,विष भय , आत्महत्या का भय का संकेत।

2. माध्यम उंगली के दूसरे पर्व पर खड़ी ||| रेखाएं मित्रों से लाभ की सूचक परंतु कुछ उदासीनता।

मध्यमा उंगली का तीसरा पर्व:-

3.तीसरे पर्व पर × का चिन्ह बांझ बनाता है।

4. तीसरे पर्व पर वर्ग का चिन्ह निर्दयी तथा कंजूस बनाता है।

5- तीसरे पर्व पर स्टार का चिन्ह  प्रायः हत्यारा बनाता है।

6- तीसरे पर्व पर ∆ का चिन्ह शंकालु भाग्यहीन व दुष्ट बनाता है।

7. माध्यम उंगली के तीसरे पर्व पर वृत्त का चिन्ह भौतिक शाश्त्रो का ज्ञाता, सफलता एवं दार्शनिक बनाता है।

8. तीसरे पर्वत पर × का चिन्ह संतानहीनता या बांझ का सूचक।

9-तीसरे पर्वत पर वर्ग का चिन्ह निर्दयी कठोर एवं निर्दयी ,कंजूस प्रवृत्ति का बनाता है।

शनि पर्वत पर चिन्ह-

10. शनि पर्वत पर जाली का चिन्ह अस्थिर मति ,अधीर,एकांत प्रिय।

11. शनि पर्वत पर * का चिन्ह दुर्भाग्य सूचक, लकवा टीवी या अन्य कोई दीर्घकालिक बीमारी,शांप काटने का भय।

12. शनि पर्वत पर  ∆ का निशान बैज्ञानिक,तार्किक, विद्धान, कला जादू  इत्यादि का सूचक

13. शनि पर्वत पर वृत्त का निशान सफलता ,शुभ सूचक।

14. पड़ी रेखाएं शारीरिक कष्ट ,शत्रुता जीवन में बाधक होती हैं।

15.खड़ी रेखाएं कठिन परिश्रम से कुछ प्राप्ति का योग।

16. शनि पर्व पर × का चिन्ह संतान हीनता , रहस्यमय मृत्यु का संकेत।

17. शनि पर्वत पर वर्ग का चिन्ह आर्थिक एवं व्यवहारिक सफलता प्रदान करता है
       
हस्तरेखाओं की जानकारी भाग -6
अनामिका(सूर्य) उंगली पर चिन्हों का फलादेश
प्रथम खंड:-
*प्रथम खंड पर तारा का निशान आध्यात्मिक उन्माद का सूचक है परंतु पागल नही बनाता।
* त्रिभुज का निशान सौंदर्य प्रसाधन एवं श्रेष्ट कलाकृतियों मे रुचि,सुंदरता का प्रेमी बनाता है।
* वृत्त का चिन्ह प्रत्येक क्षेत्र मे अद्वितीय सफलता। विदेशों से धन प्राप्ति  का अवसर।
* पड़ी रेखाओं का निशान कलाप्रिय मनोवृत्ति एवं ज्ञान होते हुए भी असफलताओं बाधाओं का सामना। अभिमान उसे पागल बना देता है।
* खड़ी रेखाएं भी कलाप्रिय मनोवृत्ति की अधिकता।
* (+) का निशान कारीगरी व हुनर के द्वारा पर्याप्त धन कमाते हुए भी धनाभाव।
रेखाओं का जाल हो तो निम्न स्तर का पागल बनाता है

हस्त रेखाओं की जानकारी भाग 7:-

पिछले भाग मे हम अनामिका उंगली के पर्वों पर निशान के फल की बात किये थे ।

अब हम कनिष्का उंगली(बुद्ध की उंगली) के पर्वों की बात:-
प्रथम खंड:-
1 प्रथम खंड पर( *)का चिन्ह हो तो जातक वक्ता ,अभिनेता,राजनीतिक व पंडित होता हुआ भी आर्थिक दृष्टिकोण से सम्पन्न नहीं होता।

2 त्रिभुज का चिंह हो तो गूढ़ विद्द्या का ज्ञानी ।

3 यदि वृत्त का चिन्ह हो तो  व्यापार के क्षेत्र मे अद्वितीय सफलता।

4 यदि पड़ी रेखाएं हों तो धूर्त, चोर, झूठ बोलने वाला,असफलताओं,बाधाओं का सामना।

5 खड़ी रेखाएं हों तो कुशल नेतृत्व शक्ति, सफलता व व्यापारिक मित्रता से लाभ पर दूसरों के काम मे दखल।

6 यदि(+×) का निशान हो तो शाश्त्रो का ज्ञाता परअन्य अशुभ चिन्हों के साथ हो तो मिथ्यभशी,चोर व कलहप्रिय।

7 यदि रेखाओं का जाल हो तो जादू-टोना का जानकार।
8  दो शाखाओ का चिन्ह व्यवसाय में पूरी सफलता नहीं देता।
       मित्रों समय-समय पर अपने जीवन में होने वाली अच्छी-बुरी घटनाओं का विश्लेषण किसी सुयोग्य एवं प्रकांड "ज्योतिषी "से अवश्य कराते रहना चाहिये ताकि आप अपने बहुमूल्य लक्ष्य को समय रहते अवश्य प्राप्त कर सकें। वरना वही कहावत चरितार्थ होगी-
       "अब पछताए का हॉट है जब चिड़िया चुग गई खेत"
     

सधन्यवाद,
           
 जय माता की,
                आचार्य राजेश कुमार
                        9454320396/7607718546

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