Tuesday 28 June 2016

"दिव्यांश ज्योतिष केंद्र"
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             "आज-कल की बात"
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मित्रों,
  क्या आप जानते हैं की आजकल मौसम में बीमारियां ज्यादा फैलने लगती है जैसे डायरिया, फीवर ,सर्दी-ख़ासी शरीर के भागों में दर्द या पुरानी बीमारी का उभरना इत्यादि।
  आजकल खाने-पीने के समान जल्दी खराब हो जाते हैं।
  क्या आप जानते हैं की इसका क्या कारण है !
 
  दरअसल इस मौसम में वातावरण में नमी( मॉइस्चर) बहुत बढ़ जाता है। क्योंकि आसमान में बादल होने के कारण अल्ट्रावॉयलेट रेज़ पृथ्वी पर कम पहुंच पाती है और यह पृथ्वी पर पैदा होने वाले बॅक्टेरिया virus इत्यादि हार्मफुल जिवाणुओं को नष्ट नहीँ कर पाते हैं।
  हम सभी के जीवन में सूर्य की रोशनी का बड़ा ही महत्व है। इसी सूर्य की रोशनी में अल्ट्रा वॉयलेट रेज़ होती है जो पृथ्वी पर अधिकतर पैदा होनेवाले जिवाणुओं को मरता है क्यों की प्रतिदिन पृथ्वी पर हमारे घरो, फैक्टरियों से निकलने वाले कूड़ा करकट सड़े-गले पदार्थ निकलते रहते हैं जो जगह-जगह इकट्ठा होते रहते हैं। यदि सूर्य से निकलने वाले अल्ट्रावॉयलेट रेज़ पृथ्वी पर नही पहुचें तो जगह- जगह सडन सुरु हो जाती है और उससे निकलने वाले जीवाणु हमारे तक पहुच कर हमें बीमार कर देते हैं।
 
  इन दिनों डेंगू, मलेरिया ,डायरिया कालरा, टायफायड इत्यादि के जीवाणु वातावरण एवं जगह-जगह चिपके रहते हैं।
  यही कारण है की इन दिनों हमें निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
 
  1- हाथ अच्छी तरह से धोकर ही खाएं।
  2-पानी इकठ्ठा नही होने दें।
  3-यदि कूलर या अन्य जगहों पर इकठ्ठे पानी में मिट्टी का तेल या दवा डालें ताकि मच्छर पैदा नहीं हो सके।
  3- संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें।
  4- बच्चों को डॉक्टर से परामर्श लेकर  विभिन्न वैक्सीन जरूर लगवाएं।
  5- खुला खाना बासी खाना, काफी समय से कटा फल इत्यादि खाने से परहेज करें।
  6- मक्खी-मच्छर को घर में रोकने के लिए दवा का छिड़काव करें।
  7- अधिक ठंडी चीजों का सेवन से परहेज करें। टायफाइड के जीवाणु ठंडी चीजों मे 60 से70 दिन तक जीवित रह सकते हैं।
 8- किसी का भी जूठा न खाये या पियें।
 9-तबियत खराब होने पर बिना डॉक्टर के सलाह के दवा नही खाएं।
 10-कोल्डड्रिंक आइसक्रीम से परहेज करें।
 11-डिस्प्रिन ,एस्पिरिन ,ब्रूफेन संबंधित दवा कभी भी इस्तेमाल न करें।
 12- हाथ पोछने के लिए टॉवेल की जगह tissu paper  का इस्तेमाल करे
 
   मित्रों इन बातो, खास तौर पर साफ- सफाई का ध्यान रखने पर हम कई बीमारियों से बच सकते हैं।
   कृपया इसे अपने और लोगों से शेयर जरूर करें।
   सधन्यवाद,
   आचार्य राजेश कुमार

1 comment:

  1. अपनी संतान से कैसा व्यवहार उचित है ?

    जैसा बीज आप बोओेगे Time आने पर वैसा ही फल पाओगे। आज की Busy lifeमें अपने children’s के लिए भी Parents के पास समय नहीं है। अपने children’s को संस्कारवान ‘cultured’ बनाने के लिए भी निम्न बातों का ध्यान रखें-

    *  Indian Culture में बच्चों के सुंदर, सार्थक और प्यारे नाम रखने की प्रथा है। जैसे- देवांष, श्रुति, शिवादित्य, राघव आदि। इस प्रथा को नहीं बिगाडें।

    * बच्चों में ऐसी habits डालें कि वे रोते हुए न उठें। बच्चों में भय ‘fear’ व लोभ पैदा करके अनुशासन बनाने का प्रयास मत करों।

    * बच्चों के सामने गाली जैसे अपशब्द, अश्लील चुटकुले व गंदे मजाक न करें।

    * यदि आप चाहते हैं कि संतान आपका सम्मान करे तो अपना जीवन व्यसन मुक्त बनायें, विषय  य वासना को नियंत्रण में रखें और ज्यादा बोलना जैसी आदतों से बचें। ध्यान रखे व्यसनी, विकारी, बातुनी व रसलोलूप पिता तिरस्कार का ही पात्र बनता है।

    * बच्चों को तू ‘न‘ कहकर ‘तुम‘ कहे आप कहना तो और भी अच्छा है। जिससे बच्चे सभ्य भाषा बोलें।

    * प्रतिदिन कम से कम आधा घंटे का समय बच्चों को अलग से दें। उनकी बातें ध्यान से सुनें।

    * बच्चों के सामने किसी भी अन्य धर्म की निन्दा व उसकी मजाक न करें।

    * बच्चो को अच्छी पुस्तक पढने की आदत डालें।

    * बच्चों की अंग्रजी शिक्षा के जमाने में बच्चों को आपकी मातृभाषा बोलना व लिखना व पढना अवष्य सिखायें। 

    * बच्चों को निश्चित समय पर भोजन दें, निश्चित समय पर ही कार्य करने की आदत डालें।

    * बच्चों को डरावनी कहानीयां नहीं सुनायें, न उनमे भय पैदा करें। न उनको नीचा दिखलायें। न उन्हें अपमानित करें, गलती होने पर भूल हो गई, माफ करों बोलने की आदत डालें।

    * बच्चों को आप देते हैं साधन और सुविधा कोई बात नहीं किन्तु यदि आप उन्हें सुखदाता बनाना चाहते हैं, संस्कार संपन्न बनाने चाहते हैं तो उन्हे समय दे। अपने धर्म और संसस्कृति का ज्ञान दें और भरपूर आत्मीयता दें।

    * जो काम आप अपने बुजुर्गों के सामने नहीं करते वह कार्य अपनी संतान के सामने भी न करें। 

    * एक बात सतत स्मरण रखें जो अपेक्षा आप अपनंी संतान से रखते हैं वैसी ही अपेक्षा आपके अभिभावक आपसे रखते है।

    * संतान से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा आप नहीं करते वैसा व्यवहार देवगुरु धर्म के तुल्य अपने माता-पिता से कदापि न करें ।

     उम्मीद है दिए गयी बातें आपको पसंद आये हो Comments के माध्यम से हमें बताएं।
    Sadhanywd,
    Divyansh Jyotish

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