"दिव्यांश ज्योतिष केंद्र"
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"आज-कल की बात"
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मित्रों,
क्या आप जानते हैं की आजकल मौसम में बीमारियां ज्यादा फैलने लगती है जैसे डायरिया, फीवर ,सर्दी-ख़ासी शरीर के भागों में दर्द या पुरानी बीमारी का उभरना इत्यादि।
आजकल खाने-पीने के समान जल्दी खराब हो जाते हैं।
क्या आप जानते हैं की इसका क्या कारण है !
दरअसल इस मौसम में वातावरण में नमी( मॉइस्चर) बहुत बढ़ जाता है। क्योंकि आसमान में बादल होने के कारण अल्ट्रावॉयलेट रेज़ पृथ्वी पर कम पहुंच पाती है और यह पृथ्वी पर पैदा होने वाले बॅक्टेरिया virus इत्यादि हार्मफुल जिवाणुओं को नष्ट नहीँ कर पाते हैं।
हम सभी के जीवन में सूर्य की रोशनी का बड़ा ही महत्व है। इसी सूर्य की रोशनी में अल्ट्रा वॉयलेट रेज़ होती है जो पृथ्वी पर अधिकतर पैदा होनेवाले जिवाणुओं को मरता है क्यों की प्रतिदिन पृथ्वी पर हमारे घरो, फैक्टरियों से निकलने वाले कूड़ा करकट सड़े-गले पदार्थ निकलते रहते हैं जो जगह-जगह इकट्ठा होते रहते हैं। यदि सूर्य से निकलने वाले अल्ट्रावॉयलेट रेज़ पृथ्वी पर नही पहुचें तो जगह- जगह सडन सुरु हो जाती है और उससे निकलने वाले जीवाणु हमारे तक पहुच कर हमें बीमार कर देते हैं।
इन दिनों डेंगू, मलेरिया ,डायरिया कालरा, टायफायड इत्यादि के जीवाणु वातावरण एवं जगह-जगह चिपके रहते हैं।
यही कारण है की इन दिनों हमें निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
1- हाथ अच्छी तरह से धोकर ही खाएं।
2-पानी इकठ्ठा नही होने दें।
3-यदि कूलर या अन्य जगहों पर इकठ्ठे पानी में मिट्टी का तेल या दवा डालें ताकि मच्छर पैदा नहीं हो सके।
3- संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें।
4- बच्चों को डॉक्टर से परामर्श लेकर विभिन्न वैक्सीन जरूर लगवाएं।
5- खुला खाना बासी खाना, काफी समय से कटा फल इत्यादि खाने से परहेज करें।
6- मक्खी-मच्छर को घर में रोकने के लिए दवा का छिड़काव करें।
7- अधिक ठंडी चीजों का सेवन से परहेज करें। टायफाइड के जीवाणु ठंडी चीजों मे 60 से70 दिन तक जीवित रह सकते हैं।
8- किसी का भी जूठा न खाये या पियें।
9-तबियत खराब होने पर बिना डॉक्टर के सलाह के दवा नही खाएं।
10-कोल्डड्रिंक आइसक्रीम से परहेज करें।
11-डिस्प्रिन ,एस्पिरिन ,ब्रूफेन संबंधित दवा कभी भी इस्तेमाल न करें।
12- हाथ पोछने के लिए टॉवेल की जगह tissu paper का इस्तेमाल करे
मित्रों इन बातो, खास तौर पर साफ- सफाई का ध्यान रखने पर हम कई बीमारियों से बच सकते हैं।
कृपया इसे अपने और लोगों से शेयर जरूर करें।
सधन्यवाद,
आचार्य राजेश कुमार
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"आज-कल की बात"
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मित्रों,
क्या आप जानते हैं की आजकल मौसम में बीमारियां ज्यादा फैलने लगती है जैसे डायरिया, फीवर ,सर्दी-ख़ासी शरीर के भागों में दर्द या पुरानी बीमारी का उभरना इत्यादि।
आजकल खाने-पीने के समान जल्दी खराब हो जाते हैं।
क्या आप जानते हैं की इसका क्या कारण है !
दरअसल इस मौसम में वातावरण में नमी( मॉइस्चर) बहुत बढ़ जाता है। क्योंकि आसमान में बादल होने के कारण अल्ट्रावॉयलेट रेज़ पृथ्वी पर कम पहुंच पाती है और यह पृथ्वी पर पैदा होने वाले बॅक्टेरिया virus इत्यादि हार्मफुल जिवाणुओं को नष्ट नहीँ कर पाते हैं।
हम सभी के जीवन में सूर्य की रोशनी का बड़ा ही महत्व है। इसी सूर्य की रोशनी में अल्ट्रा वॉयलेट रेज़ होती है जो पृथ्वी पर अधिकतर पैदा होनेवाले जिवाणुओं को मरता है क्यों की प्रतिदिन पृथ्वी पर हमारे घरो, फैक्टरियों से निकलने वाले कूड़ा करकट सड़े-गले पदार्थ निकलते रहते हैं जो जगह-जगह इकट्ठा होते रहते हैं। यदि सूर्य से निकलने वाले अल्ट्रावॉयलेट रेज़ पृथ्वी पर नही पहुचें तो जगह- जगह सडन सुरु हो जाती है और उससे निकलने वाले जीवाणु हमारे तक पहुच कर हमें बीमार कर देते हैं।
इन दिनों डेंगू, मलेरिया ,डायरिया कालरा, टायफायड इत्यादि के जीवाणु वातावरण एवं जगह-जगह चिपके रहते हैं।
यही कारण है की इन दिनों हमें निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
1- हाथ अच्छी तरह से धोकर ही खाएं।
2-पानी इकठ्ठा नही होने दें।
3-यदि कूलर या अन्य जगहों पर इकठ्ठे पानी में मिट्टी का तेल या दवा डालें ताकि मच्छर पैदा नहीं हो सके।
3- संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें।
4- बच्चों को डॉक्टर से परामर्श लेकर विभिन्न वैक्सीन जरूर लगवाएं।
5- खुला खाना बासी खाना, काफी समय से कटा फल इत्यादि खाने से परहेज करें।
6- मक्खी-मच्छर को घर में रोकने के लिए दवा का छिड़काव करें।
7- अधिक ठंडी चीजों का सेवन से परहेज करें। टायफाइड के जीवाणु ठंडी चीजों मे 60 से70 दिन तक जीवित रह सकते हैं।
8- किसी का भी जूठा न खाये या पियें।
9-तबियत खराब होने पर बिना डॉक्टर के सलाह के दवा नही खाएं।
10-कोल्डड्रिंक आइसक्रीम से परहेज करें।
11-डिस्प्रिन ,एस्पिरिन ,ब्रूफेन संबंधित दवा कभी भी इस्तेमाल न करें।
12- हाथ पोछने के लिए टॉवेल की जगह tissu paper का इस्तेमाल करे
मित्रों इन बातो, खास तौर पर साफ- सफाई का ध्यान रखने पर हम कई बीमारियों से बच सकते हैं।
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सधन्यवाद,
आचार्य राजेश कुमार