We Provide a guaranteed pin point solution for all the problems related to your life. Our Services are :- REG-. EDUCATION JOB/BUSSNESS PROPERTY/HOUSE MARRIAGE RELATED PROBLEM FOREIGN TOUR/TRAVEL ANY TYPES OF DISPUTES ANY TYPES OF DISEASE KUNDLI MILAAN PREPARATION OF KUNDLI ANY SPIRITUAL PROBLEM AND MANY MORE SERVICES
Monday 31 January 2022
Saturday 29 January 2022
साल -2022 में राहु करेगा राशि परिवर्तन, इन राशि वालों को होगा लाभ
राहु 12 अप्रैल 2022 को वृषभ राशि की अपनी यात्रा को समाप्त करते हुए मेष राशि में गोचर करने वाले हैं। केतु ग्रह भी इस दिन तुला राशि में प्रवेश करेंगे।
ज्योतिष शास्त्र में राहु व केतु को क्रूर व पाप ग्रह माना गया है। इन्हें छाया ग्रह भी कहा जाता है क्योंकि यह सौरमंडल में दिखाई नहीं देते यानी सौरमंडल में इनका वजूद नहीं है। हमारे जो 9 ग्रह हैं, उनमें सूर्य व चंद्रमा तो साक्षात नजर आते हैं। 5 ग्रहों- बुध, शुक्र , शनि, गुरु व मंगल को भी टेलिस्कोप से देखा जा सकता है लेकिन राहु और केतु 2 छायाग्रह हैं जो दिखाई नहीं देते लेकिन हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं।
राहु भले ही एक क्रूर व पाप ग्रह हैं लेकिन यदि राहु कुंडली में मजबूत स्थिति में होता है तो अच्छे परिणाम देता है। रंक से राजा बना देता है लेकिन जब राहु खराब स्थिति में होता है तो राजा से रंक भी बना देता है यानी कपड़े उतरवा लेता है ।
ज्योतिष में राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है लेकिन वृषभ राशि में यह उच्च होता है और वृश्चिकराशि में यह नीच भाव में होता है। 27 नक्षत्रों में राहु आद्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्रों का स्वामी है।
राहु को शनि के बाद दूसरा धीमे गोचर करने वाला ग्रह माना जाता है। राहु के प्रभावों की तुलना शनि के प्रभावों से की जाती है। इस ग्रह को एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने में करीब 1.5 वर्ष का समय लगता है।
12 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 18 मिनट पर राहु वृषभ राशि से मेष राशि में गोचर करेंगे ।
राहु के मेष राशि में गोचर का मेष राशि पर प्रभाव:-
इस गोचर के दौरान मेष राशि वालों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी और यह चिंता का कारण बनेगा। राहु के प्रभाव से मेष राशि वालों को सुस्ती का अनुभव होगा, उनके संकल्प में भी कमी आएगी। अतिश्योक्ति और आत्म-संदेह प्रबल होगा। इस गोचर के दौरान नौकरी में परिवर्तन भी हो सकता है। जीवन साथी के साथ परेशानी होगी। गलतफहमी होगी।
वृष राशि पर प्रभाव
वृष राशि वालों के स्वास्थ्य में सुधार होगा, लेकिन इस गोचर के दौरान उनका रवैया कठोर रहेगा। वृष राशि वालों को विरोधी परेशान कर सकते हैं। अचानक खर्चों में वृद्धि होगी। इस दौरान यात्राएं होंगी। वृष राशि वालों को सलाह दी जाती है कि कार्यस्थल पर सहकर्मियों के साथ वाद-विवाद से बचें। नौकरी में बदलाव की तलाश कर रहे लोग ऐसा करने में सफल होंगे। कर्ज से मुक्ति मिलेगी। गंभीर चिंता के पुराने मामले अब वृष राशि वालों को परेशान नहीं करेंगे।
मिथुन राशि पर प्रभाव
मिथुन राशि वालों को कार्यस्थल पर पदोन्नति और अन्य लाभ प्राप्त होंगे। शेयर बाजार से जुड़े लोगों को मुनाफा होगा। व्यवसाय भी फल-फूलेंगे। घरेलू क्षेत्र में दिक्कतें आएंगी। सामाजिक मान-सम्मान बरकरार रहेगा। मिथुन राशि वालों पर झूठे आरोप लग सकते हैं। छात्र अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाएंगे।
कर्क राशि पर प्रभाव
कर्क राशि वालों के करियर में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। निवास में परिवर्तन हो सकता है। आय में वृद्धि होगी, इसके बाद पदोन्नति होगी। इस दौरान नए वाहन खरीदे जाएंगे। पारिवारिक विवाद होंगे। माता-पिता से विवाद होगा। माता-पिता का स्वास्थ्य भी भारी चिंता का विषय रहेगा।
सिंह राशि पर प्रभाव
सिंह राशि के लिए यह गोचर अनुकूल रहेगा। जिन कामों में देरी हो रही थी, वे सभी इस गोचर के दौरान पूरे होंगे। राहु के प्रभाव के कारण निरंतर प्रयासों के बावजूद भाग्य पक्ष में नहीं रहेगा। यात्राएं होंगी। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। जो लोग शादी करना चाहते हैं उन्हें सफलता मिलेगी।
कन्या राशि पर प्रभाव
कन्या राशि वालों के लिए यह गोचर कठिन रहेगा। खान-पान की आदतों में सुधार करना चाहिए। स्वास्थ्य प्रभावित होगा और कुछ वायरस परेशान कर सकते हैं। विषाणुजनित रोग कन्या राशि को प्रभावित कर सकते हैं। मानसिक तनाव बढ़ेगा। करियर चुनौतियों का गवाह बनेगा। शेयर बाजार से जुड़े लोगों को सावधान रहना चाहिए। किसी खास सौदे में पैसा फंस सकता है। कन्या राशि वालों को विवादों से दूर रहना चाहिए और दूसरों से बात करते समय विनम्र भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
तुला राशि पर प्रभाव
आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी। इस चरण में भाग्य तुला राशि का साथ देगा। उन्हें प्रयास करते रहना चाहिए। सफलता मिलेगी, लेकिन तुला राशि वालों को विरोधियों से सावधान रहना होगा। तुला राशि वाले चिड़चिड़े रहेंगे और स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा। जीवनसाथी अत्यधिक चिंता का विषय बनेगा। प्रोफेशनल्स को ऑफिस में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। व्यापार भागीदारों के साथ विवाद व्यापार में परेशानी का कारण बनेंगे।
वृश्चिक राशि पर प्रभाव
वृश्चिक राशि वालों को आर्थिक मामलों को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। कर्ज से बचना चाहिए। उधार भी नहीं देना चाहिए क्योंकि दिया गया धन वृश्चिक राशि में वापस नहीं आएगा। अचानक खर्चा आ सकता है। लंबे समय से परेशान लोगों का स्वास्थ्य बेहतर होगा। हालांकि किसी का स्वास्थ्य चिंता का विषय हो सकता है। गुप्त शत्रुओं को लेकर वृश्चिक राशि वालों को सतर्क रहना चाहिए। कानूनी मामलों में वृश्चिक राशि की जीत होगी।
धनु राशि पर प्रभाव
यह गोचर धनु राशि को वित्तीय लाभ प्राप्त करने में सक्षम करेगा। अटका हुआ पैसा वापस मिलेगा। मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। व्यावसायिक जीवन समृद्ध होगा। प्रमोशन होंगे। बाधाएं दूर होंगी। सामाजिक प्रतिष्ठा चिंता का कारण बनेगी। घरेलू मुद्दे प्रबल रहेंगे। प्रोफेशनल लाइफ में तरक्की होगी।
मकर राशि पर प्रभाव
इस गोचर के दौरान मकर राशि वालों को मिले-जुले परिणाम मिलेंगे। नौकरी मकर राशि के कार्ड पर होगी, खासकर व्यक्तिगत संपर्कों में। सरकारी अधिकारियों का कार्यस्थल पर तबादला होगा। स्वास्थ्य मध्यम रहेगा। संपत्ति और वाहन से जुड़े मुद्दे समस्याग्रस्त होंगे। माता-पिता के साथ विवाद होगा
कुंभ राशि पर प्रभाव
कुंभ राशि वालों के स्वास्थ्य में सुधार होगा। काम में देरी दूर होगी। मित्रों का सहयोग मिलेगा और कुंभ राशि के जातक पराजित होंगे। राहु के प्रभाव से मानसिक तनाव बढ़ेगा। भाई-बहन में झगड़ा होगा। करियर में प्रगति होगी, लेकिन अति आत्मविश्वास से दूर रहना चाहिए। यात्रा कष्टकारी हो सकती है।
मीन राशि पर गोचर का प्रभाव
स्वास्थ्य मध्यम रहेगा। मीन राशि वालों को वाहन चलाते समय सतर्क रहना चाहिए। व्यवसाय में बुद्धि का उपयोग करें। एक गलत निर्णय बड़ी समस्या का कारण बन सकता है। खर्चों में अचानक हुई बढ़ोतरी कुंभ राशि को परेशान करेगी। वाणी और व्यवहार पर नियंत्रण रखना चाहिए। रिश्तेदारों के बीच वाद-विवाद हो सकता है।
आचार्य राजेश कुमार
(https://www.divyanshjyotish.com)
Wednesday 26 January 2022
Monday 24 January 2022
Sunday 23 January 2022
Sunday 16 January 2022
करियर निर्माण में बृहस्पति या गुरु ग्रह की भूमिका
जिन व्यक्तियों की कुंडली में गुरु ग्रह बलवान स्थिति में होता है ऐसे व्यक्तियों के अंदर ज्ञान की कभी कोई कमी नहीं रहती है। साथ ही ऐसे व्यक्ति शिक्षा के क्षेत्र में बिना किसी बाधा और परेशानी के आगे बढ़ते हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह या बृहस्पति ग्रह अनुकूल स्थिति में होते हैं ऐसे व्यक्तियों का करियर खराब से खराब परिस्थिति के बावजूद बृहस्पति की दशा अंतर्दशा में या अनुकूल गोचर होने पर करियर में सफलता अवश्य प्राप्त होती है।
ज्योतिष में गुरु ग्रह को दर्शन, धर्म, ज्ञान, आदि का कारक माना गया है। यदि कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत स्थिति में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति वकील, बैंक मैनेजर, बड़ी कंपनी में डायरेक्टर, ज्योतिषी, शिक्षक, शेयर मार्केट में उच्च पद पर काम करने वाले, शिक्षा क्षेत्र में, शिक्षण संस्थानों के संचालक, हलवाई या फिल्म निर्माता, आदि बन सकते हैं।
कार्यों में मुद्रा का क्रय-विक्रय, कूटनीतिक सलाहकार, चिकित्सा, पुजारी तथा धर्म-कर्म के कार्य, प्रवक्ता, धार्मिक संस्थानों के अधिकारी व ट्रस्टी, संचालक, दार्शनिक, साहित्यकार, कैशियर, मंत्री और राजनीतिज्ञ आदि भी बृहस्पति की ही देन हैं, इसलिए जिन व्यक्तियों की कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत है या बृहस्पति अनुकूल स्थिति में होता है वह इन क्षेत्रों में भी सफलता कमा सकते हैं।
आपकी कुंडली में भी है राजयोग? जानिए अपनी राजयोग रिपोर्ट
विभिन्न भावों में गुरु ग्रह का प्रभाव
गुरु की भावगत स्थिति | सामान्य फल |
प्रथम भाव में गुरु | व्यक्ति ज्ञानी और अच्छा परामर्शदाता बन सकता है। |
दूसरे भाव में गुरु | व्यक्ति शानदार वक्ता और प्रवक्ता बन सकता है। |
तीसरे भाव में गुरु | व्यक्ति धार्मिक आचरण वाला होता है और पुजारी बन सकता है। |
चौथे भाव में गुरु | व्यक्ति को पैतृक कार्यों से लाभ मिल सकता है। |
पंचम भाव में गुरु | व्यक्ति को शिक्षा में सफलता मिलती है और उसी से धन प्राप्त हो सकता है। |
छठे भाव में गुरु | इस स्थिति को अनुकूल नहीं माना जाता है क्योंकि इससे व्यक्ति को बीमारी आदि की आशंका बढ़ जाती है |
सप्तम भाव में गुरु | व्यक्ति को व्यापार में लाभ मिल सकता है। |
अष्टम भाव में गुरु | व्यक्ति आध्यात्मिक क्षेत्र में झुकाव रखता है और उसमें सफलता हासिल कर सकता है। |
नवम भाव में गुरु | व्यक्ति के यश व कीर्ति में इजाफ़ा होता है। |
दशम भाव में गुरु | व्यक्ति कार्यक्षेत्र में निपुण होता है और तमाम सफलता हासिल कर सकता है। |
एकादश भाव में गुरु | व्यक्ति कथावाचक और उपदेशक बन सकता है। |
द्वादश भाव में गुरु | व्यक्ति धर्म और परोपकार में धन |
Sunday 6 December 2020
क्या वाकई रत्न आपके भविष्य को सुधार सकते हैं, क्या रत्नो मे इतनी ताकत होती है की इंसान की जिंदगी बदल दे ? / हमारे जीवन मे इसका कितना महत्व है? क्यों पहनते हैं कुछ लोग रत्न ?
प्राचीन काल मे प्राप्त रत्नो का उल्लेख :-प्राचीन काल से ही रत्न अपने आकर्षक रंगों, प्रभाव, आभा तथा बहुमूल्ता के कारण मानव को प्रभावित करते आ रहे है। अग्नि पुराण ,गरुण पुराण, देवी भागवत पुराण, महाभारत आदि अनेक ग्रंथों में रत्नों का विस्तृत वर्णन मिलता है। ऋग्वेद तथा अथर्ववेद में सात रत्नों का उल्लेख है।
तुलसीदास ने रामायण के उत्तर काण्ड में अवध पुरी कि शोभा का वर्णन करते हुए मूंगा, पन्ना, स्फटिक और हीरे आदि रत्नों का उल्लेख किया है।
कौटिल्य ने भी अपने अर्थ शास्त्र में रत्नों के गुण दोषों का उल्लेख किया है। वराहमिहिर कि बृहत्संहिता के रत्न परीक्षा ध्याय में नव रत्नों का विस्तार से वर्णन किया गया है। ईसाई, जैन और बौद्ध धर्म कि अनेक प्राचीन पुस्तकों में भी रत्नों के विषय में लिखा हुआ मिलता है ।
रत्नो की उत्पत्ति :-
रत्नों कि उत्पत्ति के विषय में अनेक पौराणिक मान्यताएं हैं। अग्नि पुराण के अनुसार जब दधीचि ऋषि कि अस्थियों से देवराज इंद्र का प्रसिद्ध अस्त्र वज्र बना था तो जो चूर्ण अवशेष पृथ्वी पर गिरा था उनसे ही रत्नों कि उत्पत्ति हुई थी। गरुण-पुराण के अनुसार बल नाम के दैत्य के शरीर से रत्नों कि खानें बनी। समुद्र मंथन के समय प्राप्त अमृत कि कुछ बूंदे छलक कर पृथ्वी पर गिरी जिनसे रत्नों कि उत्पत्ति हुई, ऐसी भी मान्यता है ।
मूलरूप से असली रत्नो की उत्पत्ति पहाड़ों , पेड़ पौधों ,जीव जंतुओं से ही होती है ।
रत्न केवल आभूषणों कि शोभा में ही वृद्धि नहीं करते अपितु इनमें दैवीय शक्ति भी निहित रहती है, ऐसी मान्यता विश्व भर में पुरातन काल से चली आ रही है। महाभारत में स्मयन्तक मणि का वर्णन है जिसके प्रभाव से मणि के आस पास के क्षेत्र में सुख समृद्धि, आरोग्यता तथा दैवीय कृपा रहती थी।
पश्चिमी देशों में बच्चों को अम्बर कि माला इस विश्वास से पहनाई जाती है कि इस से उनके दांत बिना कष्ट के निकल आयेंगे। यहूदी लोग कटैला रत्न भयानक स्वप्नों से बचने के लिए धारण करते हैं। प्राचीन रोम निवासी, बच्चों के पालने में मूंगे के दाने लटका देते थे ताकि उन्हें अरिष्टों से भय न रहे। जेड रत्न को चीन में आरोग्यता देने वाला माना जाता है ।
आधुनिक युग मे रत्नो की व्याख्या कुछ इस प्रकार है की –
यदि आपकी शारीरिक व्याधियों( बीमारियों ) को ठीक करने हेतु मेडिकल साइन्स मे दवा या कोई इन्स्ट्रुमेंट दिया जाता है उदाहरण के लिए जैसे आपकी दृष्टि मे दोष होने पर डॉक्टर उतने पावर का चश्मा बताते हैं जितनी आपकी आँख कमजोर होती है और ऊस चश्मे को पहनतें ही आपका दृष्टि दोष दूर हो जाता है ।
ठीक इसी प्रकार आपके जन्म कालीन ग्रह के कमजोर होने पर यदि जानकार astrologer ठीक उतने ही पावर का रत्न धारण करा दे जितने पावर की उस ग्रह को आवश्यकता है तो उस रत्न के धारण करने पर आपकी उन समस्याओं का समाधान होने लगता है जिस ज़िम्मेदारी को प्रकृति ने आपके जीवन मे उस ग्रह को दे रखा था । लेकिन कभी भी नीच और मरकेश ग्रहों का रत्न धारण करने की सलाह नहीं दी जाती है।
वैसे तो रत्नों कि संख्या बहुत है पर उनमें 84 रत्नों को ही महत्व दिया गया है। इनमें भी प्रतिष्ठित 9 को रत्न और शेष को उपरत्न कि संज्ञा दी गई है।
नवरत्न : 1.माणिक्य 2.नीलम 3.हीरा 4.पुखराज 5.पन्ना 6.मूंगा 7.मोती 8.गोमेद 9.लहसुनिया
उपरत्न : 10 लालड़ी 11.फिरोजा 12.एमनी 13.जबरजदद 14.ओपल 15.तुरमली 16.नरम 17.सुनैला 18.कटैला 19.संग-सितारा 20.सफ ेद बिल्लोर 21.गोदंती 22.तामड़ा 23.लुधिआ 24.मरियम 25.मकनातीस 26.सिंदूरिया 27.नीली 28.धुनेला 29.बैरूंज 30.मरगज 31.पित्तोनिया 32.बांसी 33.दुरवेजफ 34.सुलेमानी 35.आलेमानी 36.जजे मानी 37.सिवार 38.तुरसावा 39.अहवा 40.आबरी 41.लाजवर्त 42.कुदरत 43.चिट्टी 44.संग-सन 45.लारू 46.मारवार 47.दाने-फिरंग 48.कसौटी 49.दारचना 50.हकीक 51.हालन 52.सीजरी 53.मुबेनज्फ 54.कहरुवा 55.झना 56.संग बसरी 57.दांतला 58.मकड़ा 59.संगीया 60.गुदड़ी 61.कामला 62.सिफरी 63.हरीद 64.हवास 65.सींगली 66.डेड़ी 67.हकीक 68.गौरी 69.सीया 70.सीमाक 71.मूसा 72.पनघन 73.अम्लीय 74.डूर 75.लिलियर 76.खारा 77.पारा-जहर 78.सेलखड़ी 79.जहर मोहरा 80.रवात 81.सोना माखी 82.हजरते ऊद 83.सुरमा 84.पारस
उपरोक्त उपरत्नों में से कुछ उपरत्न ही आज कल प्रचलित हैं। किस ग्रह का कौन सा रत्न है, उसे कब और किस प्रकार धारण करना चाहिए, रत्नों और उपरत्नों कि और क्या विशेषताएं हैं, किस रोग में किस रत्न को धारण करने से लाभ होगा इत्यादि की सलाह आपको एक्सपर्ट जरूर लेनी चाहिए।
रत्नों की शक्ति:-
रत्नों में अद्भूत शक्ति होती है. रत्न अगर किसी के भाग्य को आसमन पर पहुंचा सकता है तो किसी को आसमान से ज़मीन पर लाने की क्षमता भी रखता है. रत्न के विपरीत प्रभाव से बचने के लिए सही प्रकर से जांच करवाकर ही रत्न धारण करना चाहिए. ग्रहों की स्थिति के अनुसार रत्न धारण करना चाहिए. रत्न धारण करते समय ग्रहों की दशा एवं अन्तर्दशा का भी ख्याल रखना चाहिए. रत्न पहनते समय मात्रा का ख्याल रखना आवश्यक होता है. अगर मात्रा सही नहीं हो तो फल प्राप्ति में विलम्ब या नहीं होता है.
बिना सिद्धि के रत्न कभी काम नहीं करते -
यही कारण है कि व्यापारी दिन भर लगभग सभी रत्न को स्पर्श करता है लेकिन उस कोई असर नहीं होता है। अतः रत्न को धारण करने से पूर्व उसे सिद्ध जरूर करा लेना चाहिए ।
सिद्धि के लिए किसी की मदद भी ली जा सकती है। शनि और राहु के रत्न कुंडली के सूक्ष्म निरीक्षण के बाद ही पहनना चाहिए अन्यथा इनसे भयंकर नुकसान भी हो सकता है।
Divyansh Jyotish Kendra - 9454320396