Monday, 19 August 2024

पूर्ण सुखी जीवन जीने के मुख्य सूत्र :-

पूर्ण सुखी जीवन जीने के मुख्य सूत्र :-

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प्राचीन  शास्त्रों के अनुसार इस संसार मे जन्म लेने वाला हर प्राणी किसी ना  किसी दुख से पीड़ित अवश्य रहता है। यदि किसी मनुष्य के पास निम्न 16 प्रकार के सुखों की अंबार  हो तो वह संसार का अब तक का पूर्ण सुखी व्यक्ति होगा । 


1 * पहला सुख निरोगी काया *

2.*दूजा सुख घर में हो माया *

3.*तीजा सुख कुलवंती नारी।*

4.*चौथा सुख सुत आज्ञाकारी।*


5.*पाँचवा सुख सदन हो अपना।*

6.*छट्ठा सुख सिर कोई ऋण ना।*

7.*सातवाँ सुख चले व्यापारा।*

8.*आठवाँ सुख हो सबका प्यारा।*


9.*नौवाँ सुख भाई और बहन हो ।*

10.*दसवाँ सुख न बैरी स्वजन हो।*

11.*ग्यारहवाँ मित्र हितैषी सच्चा।*

12.*बारहवाँ सुख पड़ौसी अच्छा।*


13.*तेरहवां सुख उत्तम हो शिक्षा।*

14.*चौदहवाँ सुख सद्गुरु से दीक्षा।*

15.*पंद्रहवाँ सुख हो साधु समागम।*

16.*सोलहवां सुख संतोष बसे मन।*


*सोलह सुख ये होते भाविक जन।*

*जो पावैं सोइ धन्य हो जीवन।।* 🐙  

*हालांकि आज के समय में ये सभी सुख हर किसी को मिलना मुश्किल है*

*लेकिन इनमें से जितने भी  सुख मिलें उससे खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए*


आचार्य राजेश कुमार (www.divyanshjyotish.com)

वास्तु शास्त्र:- कहीं आपके घर मे भी वास्तुदोष तो नहीं है !!

वास्तु शास्त्र घर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, भवन अथवा मन्दिर निर्माण करने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसे आधुनिक समय के विज्ञान आर्किटेक्चर का प्राचीन स्वरुप माना जा सकता है। जीवन में जिन वस्तुओं का हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होता है उन वस्तुओं को किस प्रकार से रखा जाए वह भी वास्तु है वस्तु शब्द से वास्तु का निर्माण हुआ है

डिजाइन दिशात्मक संरेखण के आधार पर कर रहे हैं। यह हिंदू वास्तुकला में लागू किया जाता है, हिंदू मंदिरों के लिये और वाहनों सहित, बर्तन, फर्नीचर, मूर्तिकला, चित्रों, आदि।

दक्षिण भारत में वास्तु का नींव परंपरागत महान साधु मायन को जिम्मेदार माना जाता है और उत्तर भारत में विश्वकर्मा को जिम्मेदार माना जाता है।


उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम ये चार मूल दिशाएं हैं। वास्तु विज्ञान में इन चार दिशाओं के अलावा 4 विदिशाएं हैं। आकाश और पाताल को भी इसमें दिशा स्वरूप शामिल किया गया है। इस प्रकार चार दिशा, चार विदिशा और आकाश पाताल को जोड़कर इस विज्ञान में दिशाओं की संख्या कुल दस माना गया है। मूल दिशाओं के मध्य की दिशा ईशान, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य को विदिशा कहा गया है। वैदिक वास्तुकला के नियमों और निर्देशों का पालन करके, वास्तुकला के कार्यक्रम में आपूर्ति और आयाम की स्थापना की जाती है, जो एक सुखी और समृद्ध आवास का सृजन करते हैं।

Wednesday, 23 February 2022

 🌸  मताधिकार का मतलब🌹

                  

 यही एक ऐसा मौका होता है जिसके माध्यम से आप अपने राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनते हैं आपके एक वोट में वो ताकत होती है जिसके माध्यम से आप  देश की दशा और दिशा को बदल सकते हैं ।यही 5 वर्ष में एक बार मिलने वाला मौका आपको देश-प्रदेश जिला-तहसील-मोहल्ले को आपकी इक्षानुसार संचालित करने वाले व्यक्ति को चुनने का मुख्य मौका देता है । " मतदान " किसी देश का सबसे बड़ा उत्सव होता है - यह होली,दीवाली,दशहरा,ईद- रमज़ान , क्रिसमस से कई गुना बड़ा उत्सव है ।

 अतः है मित्र अपने अंदर की इक्षा शक्ति को जगाओ और मतदान करने के बाद ही कहीं जाओ ।🌸🙏🙏🌹