सूर्य
ग्रहण और शनि अमावस्या दोनों एक साथ
11- अगस्त- 2018 को लगने वाला सूर्य ग्रहण इस साल का आखिरी सूर्य
ग्रहण है। यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका खास असर
भारत में नहीं लेगा। यह 11 अगस्त को उत्तरी गोलार्ध में सुबह के शुरुआती समय में दिखाई देगा।
यह भारत में दोपहर 01:32:08 बजे शुरू होगा और शाम 5 बजे यह समाप्त हो
जाएगा। आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण हमेशा चंद्र ग्रहण के दो सप्ताह पहले या बाद
में लगता है। इस बार सूर्य ग्रहण का समय कुल 3 घंटे 30 मिनट तक होगा।
ग्रहण
का वैज्ञानिक आधार :-
विज्ञान के मुताबिक
ग्रहण पूरी तरह खगौलीय घटना है. आइए जानते हैं कब और कैसे होता है ग्रहण:
सूर्य ग्रहण:
(1) जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य की चमकती सतह चंद्रमा के कारण दिखाई नहीं पड़ती है.
(2) चंद्रमा की वजह से जब सूर्य ढकने लगता है तो इस स्थिति को सूर्यग्रहण कहते हैं.
(3) जब सूर्य का एक भाग छिप जाता है तो उसे आंशिक सूर्यग्रहण कहते हैं.
(4) जब सूर्य कुछ देर के लिए पूरी तरह से चंद्रमा के पीछे छिप जाता है तो उसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहते हैं.
(5) पूर्ण सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या को ही होता है.
चंद्रग्रहण:
(1) जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य की पूरी रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती है. इसे चंद्रग्रहण कहते हैं.
(2) जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं तो चंद्रग्रहण की स्थिति होती है.
(3) चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा की रात में ही होता है.
(4) एक साल में अधिकतम तीन बार पृथ्वी के उपछाया से चंद्रमा गुजरता है, तभी चंद्रग्रहण लगता है.
(1) जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य की चमकती सतह चंद्रमा के कारण दिखाई नहीं पड़ती है.
(2) चंद्रमा की वजह से जब सूर्य ढकने लगता है तो इस स्थिति को सूर्यग्रहण कहते हैं.
(3) जब सूर्य का एक भाग छिप जाता है तो उसे आंशिक सूर्यग्रहण कहते हैं.
(4) जब सूर्य कुछ देर के लिए पूरी तरह से चंद्रमा के पीछे छिप जाता है तो उसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहते हैं.
(5) पूर्ण सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या को ही होता है.
चंद्रग्रहण:
(1) जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य की पूरी रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती है. इसे चंद्रग्रहण कहते हैं.
(2) जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं तो चंद्रग्रहण की स्थिति होती है.
(3) चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा की रात में ही होता है.
(4) एक साल में अधिकतम तीन बार पृथ्वी के उपछाया से चंद्रमा गुजरता है, तभी चंद्रग्रहण लगता है.
शिव आराधना
जाप से मिटेंगे सारे दुख
यह ग्रहण सावन में पड़
रहा है और साथ शनि अमावस्या का शुभ संयोग भी बन रहा है. इस ग्रहण काल के समय अगर
शिव जी का पूजन किया जाए तो जिन पर शनि की साढ़े साती और ढैया चल रही है, उसकी सभी मुश्किलें दूर हो जाएंगी. शनि का और ग्रहण का जिनकी कुंडली
में सूर्य और राहु या सूर्य शनि का संबंध हो तो वो अवश्य पूजा कर लें.
पुजा करने की विधि:-
इस दिन गन्ने के रस, शहद और केसर मिश्रित दूध से शिव जी का पूजन करें. इस दिन शमी वृक्ष
का पूजन भी अवश्य करना चाहिए, जिससे सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है.
हालांकि यह ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा जिस कारण इसका असर भारत में नहीं
पड़ेगा. इसी कारण यहां पर सूतक का विचार भी नहीं किया जाएगा.
किन
राशियों पर रहेगा असर :-
आखिरी
सूर्य ग्रहण का वृष, सिंह, वृ्श्चिक और कुंभ राशि पर कुछ असर देखने को मिल
सकता है। कुंभ राशि वालों के लिए थोड़ा परेशानी का कारण बन सकता है, इसलिए उन्हें हर फैसले संभल कर लेने होंगे। कन्या
राशि वालों को लाभ हो सकता है, वहीं वृषभ राशि
वालों को भी थोड़ी सचेत रहने की जरुरत है। सिंह राशि वाले सेहत को लेकर सचेत रहें ।
आचार्य राजेश कुमार