Thursday, 25 May 2017

जन्म कुंडली व पंचांग की आवश्यक जानकारी

जन्म कुंडली व पंचांग की कुछ आवश्यक जानकारी

चन्द्र माह के नाम

01. चैत्र02. वैशाख03. ज्येष्ठ04. आषाढ़05. श्रावण06. भाद्रपद07. आश्विन08. कार्तिक09. मार्गशीर्ष10. पौष11. माघ12. फाल्गुन

नक्षत्र के नाम

01. अश्विनी02. भरणी03. कृत्तिका04. रोहिणी05. मॄगशिरा06. आर्द्रा07. पुनर्वसु08. पुष्य09. अश्लेशा10. मघा11. पूर्वाफाल्गुनी12. उत्तराफाल्गुनी13. हस्त14. चित्रा15. स्वाती16. विशाखा17. अनुराधा18. ज्येष्ठा19. मूल20. पूर्वाषाढा21. उत्तराषाढा22. श्रवण23. धनिष्ठा24. शतभिषा25. पूर्व भाद्रपद26. उत्तर भाद्रपद27. रेवती28.

योग के नाम

01. विष्कम्भ02. प्रीति03. आयुष्मान्04. सौभाग्य05. शोभन06. अतिगण्ड07. सुकर्मा08. धृति09. शूल10. गण्ड11. वृद्धि12. ध्रुव13. व्याघात14. हर्षण15. वज्र16. सिद्धि17. व्यतीपात18. वरीयान्19. परिघ20. शिव21. सिद्ध22. साध्य23. शुभ24. शुक्ल25. ब्रह्म26. इन्द्र27. वैधृति28.

करण के नाम

01. किंस्तुघ्न02. बव03. बालव04. कौलव05. तैतिल06. गर07. वणिज08. विष्टि09. शकुनि10. चतुष्पाद11. नाग12.

तिथि के नाम

01. प्रतिपदा02. द्वितीया03. तृतीया04. चतुर्थी05. पञ्चमी06. षष्ठी07. सप्तमी08. अष्टमी09. नवमी10. दशमी11. एकादशी12. द्वादशी13. त्रयोदशी14. चतुर्दशी15. पूर्णिमा16. अमावस्या

राशि के नाम

01. मेष02. वृषभ03. मिथुन04. कर्क05. सिंह06. कन्या07. तुला08. वृश्चिक09. धनु10. मकर11. कुम्भ12. मीन

आनन्दादि योगके नाम

01. आनन्द (सिद्धि)02. कालदण्ड (मृत्यु)03. धुम्र (असुख)04. धाता/प्रजापति (सौभाग्य)05. सौम्य (बहुसुख)06. ध्वांक्ष (धनक्षय)07. केतु/ध्वज (सौभाग्य)08. श्रीवत्स (सौख्यसम्पत्ति)09. वज्र (क्षय)10. मुद्गर (लक्ष्मीक्षय)11. छत्र (राजसन्मान)12. मित्र (पुष्टि)13. मानस (सौभाग्य)14. पद्म (धनागम)15. लुम्बक (धनक्षय)16. उत्पात (प्राणनाश)17. मृत्यु (मृत्यु)18. काण (क्लेश)19. सिद्धि (कार्यसिद्धि)20. शुभ (कल्याण)21. अमृत (राजसन्मान)22. मुसल (धनक्षय)23. गद (भय)24. मातङ्ग (कुलवृद्धि)25. राक्षस (महाकष्ट)26. चर (कार्यसिद्धि)27. स्थिर (गृहारम्भ)28. वर्धमान (विवाह)

सम्वत्सर के नाम

01. प्रभव02. विभव03. शुक्ल04. प्रमोद05. प्रजापति06. अङ्गिरा07. श्रीमुख08. भाव09. युवा10. धाता11. ईश्वर12. बहुधान्य13. प्रमाथी14. विक्रम15. वृष16. चित्रभानु17. सुभानु18. तारण19. पार्थिव20. व्यय21. सर्वजित्22. सर्वधारी23. विरोधी24. विकृति25. खर26. नन्दन27. विजय28. जय29. मन्मथ30. दुर्मुख31. हेमलम्बी32. विलम्बी33. विकारी34. शर्वरी35. प्लव36. शुभकृत्37. शोभन38. क्रोधी39. विश्वावसु40. पराभव41. प्लवङ्ग42. कीलक43. सौम्य44. साधारण45. विरोधकृत्46. परिधावी47. प्रमाथी48. आनन्द49. राक्षस50. नल51. पिङ्गल52. काल53. सिद्धार्थ54. रौद्र55. दुर्मति56. दुन्दुभी57. रुधिरोद्गारी58. रक्ताक्षी59. क्रोधन60. क्षय

हिन्दु कैलेण्डर

हिन्दु कैलेण्डर में दिन स्थानीय सूर्योदय के साथ शुरू होता है और अगले दिन स्थानीय सूर्योदय के साथ समाप्त होता है। क्योंकि सूर्योदय का समय सभी शहरों के लिए अलग है, इसीलिए हिन्दु कैलेण्डर जो एक शहर के लिए बना है वो किसी अन्य शहर के लिए मान्य नहीं है। इसलिए स्थान आधारित हिन्दु कैलेण्डर, जैसे की द्रिकपञ्चाङ्ग डोट कॉम, का उपयोग महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, प्रत्येक हिन्दु दिन में पांच तत्व या अंग होते हैं। इन पांच अँगों का नाम निम्नलिखित है
1. तिथि
2. नक्षत्र
3. योग
4. करण
5. वार (सप्ताह के सात दिनों के नाम)

पञ्चाङ्ग

हिन्दु कैलेण्डर के सभी पांच तत्वों को साथ में पञ्चाङ्ग कहते हैं। (संस्कृत में: पञ्चाङ्ग = पंच (पांच) + अंग (हिस्सा)). इसलिए जो हिन्दु कैलेण्डर सभी पांच अँगों को दर्शाता है उसे पञ्चाङ्ग कहते हैं। दक्षिण भारत में पञ्चाङ्ग को पञ्चाङ्गम कहते हैं।

भारतीय कैलेण्डर

जब हिन्दु कैलेण्डर में मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन त्योहार और राष्ट्रीय छुट्टियों शामिल हों तो वह भारतीय कैलेण्डर के रूप में जाना जाता है।

 पञ्चाङ्ग से सम्बन्धित अन्य पृष्ठ

रवि पुष्य

द्विपुष्कर

रवि योग

गण्ड मूल

भद्रा

पञ्चक




Wednesday, 17 May 2017

घर में किसका भाग्य काम कर रहा है

एक आदमी ने नारदमुनि से पूछा मेरे भाग्य में कितना धन है...
:
नारदमुनि ने कहा - भगवान विष्णु से पूछकर कल बताऊंगा...
:
नारदमुनि ने कहा- 1 रुपया रोज तुम्हारे भाग्य में है...
:
आदमी बहुत खुश रहने लगा...
उसकी जरूरते 1 रूपये में पूरी हो जाती थी...
:
एक दिन उसके मित्र ने कहा में तुम्हारे सादगी जीवन और खुश देखकर बहुत प्रभावित हुआ हूं और अपनी बहन की शादी तुमसे करना चाहता हूँ...
:
आदमी ने कहा मेरी कमाई 1 रुपया रोज की है इसको ध्यान में रखना...
इसी में से ही गुजर बसर करना पड़ेगा तुम्हारी बहन को...
:
मित्र ने कहा कोई बात नहीं मुझे रिश्ता मंजूर है...
:
अगले दिन से उस आदमी की कमाई 11 रुपया हो गई...
:
उसने नारदमुनि को बुलाया की हे मुनिवर मेरे भाग्य में 1 रूपया लिखा है फिर 11 रुपये क्यो मिल रहे है...??
:
नारदमुनि ने कहा - तुम्हारा किसी से रिश्ता या सगाई हुई है क्या...??
:
हाँ हुई है...
:
तो यह तुमको 10 रुपये उसके भाग्य के मिल रहे है...
इसको जोड़ना शुरू करो तुम्हारे विवाह में काम आएंगे...
:
एक दिन उसकी पत्नी गर्भवती हुई और उसकी कमाई 31 रूपये होने लगी...
:
फिर उसने नारदमुनि को बुलाया और कहा है मुनिवर मेरी और मेरी पत्नी के भाग्य के 11 रूपये मिल रहे थे लेकिन अभी 31 रूपये क्यों मिल रहे है...
क्या मै कोई अपराध कर रहा हूँ...??
:
मुनिवर ने कहा- यह तेरे बच्चे के भाग्य के 20 रुपये मिल रहे है...
:
हर मनुष्य को उसका प्रारब्ध (भाग्य) मिलता है...
किसके भाग्य से घर में धन दौलत आती है हमको नहीं पता...
:
लेकिन मनुष्य अहंकार करता है कि मैने बनाया,,,मैंने कमाया,,,
मेरा है,,,
मै कमा रहा हूँ,,, मेरी वजह से हो रहा है...
:
हे प्राणी तुझे नहीं पता तू किसके भाग्य का खा कमा रहा है...।।👌👌👌👌👌अगर अच्छा लगे तो आगे बढ़ने दो।

Friday, 12 May 2017

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Friday, 28 April 2017

अक्षय तृतीया का विशेष महत्व

              "दिव्यांश ज्योतिष् केंद्र"
                   अक्षय तृतीया
प्रत्येक वर्ष यह पर्व बैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि में पूरे भारत वर्ष में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। यह त्योहार प्रमुखता से हिन्दू और जैन धर्म के लोग मानते हैं।

दिनांक 28 अप्रैल -2017 को सुबह 10.31 के पश्चात तृतीया तिथि लगेगी, एवं दोपहर  1.40  से रोहिणी नक्षत्र  प्रारंभ होगा। अतः 28 अप्रैल को ही अक्षय तृतीया मनाई जाएगी।
 जो लोग उदया तिथि को लेकर चलते हैं वे लोग  इस पर्व को 28 व 29 दोनों दिन मनाएंगे। क्योकि शास्त्रों के अनुसार जो तिथि सूर्योदय के समय मिले वही तिथि पूरे दिन मानी जायेगी।  अतः दिनांक 29 अप्रैल 2017 को सूर्योदय के समय तृतीय तिथि व रोहिणी नक्षत्र दोनों रहेगी अतः काशी पंचांग के अनुसार यह त्योहार 29- अप्रैल -2017 को दानपुण्य , शुभ कार्य अत्यन्त शुभफलदाई होगा।

आज ही के दिन कई महापुरुषों का जन्म भी हुआ था । अक्षय तृतीया पर्व को कई नामों से जाना जाता है. इसे अखतीज और वैशाख तीज भी कहा जाता है. . इस पर्व को भारतवर्ष के खास त्यौहारों की श्रेणी में रखा जाता है.  इस दिन स्नान, दान, जप, होम आदि अपने सामर्थ्य के अनुसार जितना भी किया जाएं, अक्षय रुप में प्राप्त होता है.

अक्षय तृतीया कई मायनों से बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है. बिना पंचांग देखे किसी भी शुभ कार्य की शुरुवात,  जिनके अटके हुए काम नहीं बन पाते हैं,या व्यापार में लगातार घाटा हो रहा है अथवा किसी कार्य के लिए कोई शुभ मुहुर्त नहीं मिल पा रहै हो तो उनके लिए कोई भी नई शुरुआत करने के लिए अक्षय तृतीया का दिन बेहद शुभ माना जाता है.  अक्षय तृतीया में सोना खरीदना बहुत शुभ माना गया है. इस दिन स्वर्णादि आभूषणों की ख़रीद-फरोख्त को भाग्य की शुभता से जोडा़ जाता है.

इस पर्व से अनेक पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं. इसके साथ महाभारत के दौरान पांडवों के भगवान श्रीकृष्ण से अक्षय पात्र लेने का उल्लेख आता है. इस दिन सुदामा भगवान श्री कृष्ण के पास मुट्ठी - भर भुने चावल प्राप्त करते हैं. इस तिथि में भगवान के नर-नारायण, परशुराम, हयग्रीव रुप में अवतरित हुए थे. इसलिये इस दिन इन अवतारों की जयन्तियां मानकर इस दिन को उत्सव रुप में मनाया जाता है. एक पौराणिक मान्यता के अनुसार त्रेता युग की शुरुआत भी इसी दिन से हुई थी. इसी कारण से यह तिथि युग तिथि भी कहलाती है.

 इसी दिन प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनारायण के कपाट भी खुलते हैं.  वृन्दावन स्थित श्री बांके बिहारी जी के मन्दिर में केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं.

अक्षय तृतीया में पूजा, जप-तप, दान स्नानादि शुभ कार्यों का विशेष महत्व तथा फल रहता है. इस दिन गंगा इत्यादि पवित्र नदियों और तीर्थों में स्नान करने का विशेष फल प्राप्त होता है. यज्ञ, होम, देव-पितृ तर्पण, जप, दान आदि कर्म करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.

अक्षय तृ्तिया के दिन गर्मी की ऋतु में खाने-पीने, पहनने आदि के काम आने वाली और गर्मी को शान्त करने वाली सभी वस्तुओं का दान करना शुभ होता है. इस्के अतिरिक्त इस दिन जौ, गेहूं, चने, दही, चावल, खिचडी, ईश (गन्ना) का रस, ठण्डाई व दूध से बने हुए पदार्थ, सोना, कपडे, जल का घडा आदि दें. इस दिन पार्वती जी का पूजन भी करना शुभ रहता है.

अक्षत तृतीया व्रत एवं पूजा | Fast and rituals for Akshaya Tritya



इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान इत्यादि नित्य कर्मों से निवृत होकर व्रत या उपवास का संकल्प करें. पूजा स्थान पर विष्णु भगवान की मूर्ति या चित्र स्थापित कर पूजन आरंभ करें भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं, तत्पश्चात उन्हें चंदन, पुष्पमाला अर्पित करें.

पूजा में में जौ या जौ का सत्तू, चावल, ककडी और चने की दाल अर्पित करें तथा इनसे भगवान विष्णु की पूजा करें. इसके साथ ही विष्णु की कथा एवं उनके विष्णु सस्त्रनाम का पाठ करें.  पूजा समाप्त होने के पश्चात भगवान को भोग लाएं ओर प्रसाद को सभी भक्त जनों में बांटे और स्वयं भी ग्रहण करें. सुख शांति तथा सौभाग्य समृद्धि हेतु इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती जी का पूजन भी किया जाता है.

धर्म शास्त्रों में इस पुण्य शुभ पर्व की कथाओं के बारे में बहुत कुछ विस्तार पूर्वक कहा गया है. इनके अनुसार यह दिन सौभाग्य और संपन्नता का सूचक होता है.  अक्षय तृतीया  को  सर्वसिद्धि मुहूर्त भी कहा जाता है. क्योंकि इस दिन किसी भी शुभ कार्य करने हेतु पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती. अर्थात इस दिन किसी भी शुभ काम को करने के लिए आपको मुहूर्त निकलवाने की आवश्यकता  नहीं होती. अक्षय अर्थात कभी कम ना होना वाला इसलिए मान्यता अनुसार इस दिन किए गए कार्यों में शुभता प्राप्त होती है. भविष्य में उसके शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं.

पूरे भारत वर्ष में अक्षय तृतीया की खासी धूम रहती है. हए कोई इस शुभ मुहुर्त के इंतजार में रहता है ताकी इस समय किया गया कार्य उसके लिए अच्छे फल लेकर आए. मान्यता है कि इस दिन होने वाले काम का कभी क्षय नहीं होता अर्थात इस दिन किया जाने वाला कार्य कभी अशुभ फल देने वाला नहीं होता. इसलिए किसी भी नए कार्य की शुरुआत से लेकर महत्वपूर्ण चीजों की खरीदारी व विवाह जैसे कार्य भी इस दिन बेहिचक किए जाते हैं.

नया वाहन लेना या गृह प्रेवेश करना, आभूषण खरीदना इत्यादि जैसे कार्यों के लिए तो लोग इस तिथि का विशेष उपयोग करते हैं. मान्यता है कि यह दिन सभी का जीवन में अच्छे भाग्य और सफलता को लाता है. इसलिए लोग जमीन जायदाद संबंधी कार्य, शेयर मार्केट में निवेश रीयल एस्टेट के सौदे या कोई नया बिजनेस शुरू करने जैसे काम भी लोग इसी दिन करने की चाह रखते हैं.

 इस तिथि के दिन महर्षि गुरु परशुराम का जन्म दिन होने के कारण इसे "परशुराम तीज" या "परशुराम जयंती" भी कहा जाता है. इस दिन गंगा स्नान का बडा भारी महत्व है. इस दिन स्वर्गीय आत्माओं की प्रसन्नाता के लिए कलश, पंखा, खडाऊँ, छाता,सत्तू, ककडी, खरबूजा आदि फल, शक्कर आदि पदार्थ ब्राह्माण को दान करने चाहिए. उसी दिन चारों धामों में श्री बद्रीनाथ नारायण धाम के पाट खुलते है. इस दिन भक्तजनों को श्री बद्री नारायण जी का चित्र सिंहासन पर रख के मिश्री तथा चने की भीगी दाल से भोग लगाना चाहिए. भारत में सभी शुभ कार्य मुहुर्त समय के अनुसार करने का प्रचलन है अत: इस जैसे अनेकों महत्वपूर्ण कार्यों के लिए इस शुभ तिथि का चयन किया जाता है, जिसे अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है।इस त्योहार का वर्णन भविष्य पुराण एवं पद्म पुराण में प्रमुखता से मिलता है।
    सधन्यवाद,
                   जय माता की,
                   आचार्य राजेश कुमार
                   9454320396

Friday, 21 April 2017

आपके जीवन में ग्रहों का खेल-2

https://youtu.be/yn8mS9utN9E

Dear friends, kindly see this video for yourself and please share it to your nearer and dearer.
Lot of thanks.