Monday, 19 August 2024

विवाह मुहूर्त निकालने का तरीका

विवाह वर और वधु के बीच  दोनों की कुंडलियों को मिलाया जाता है। इस व्यवस्था को कुंडली मिलान या गुण मिलना के नाम से जानते हैं। इसमें वर और कन्या की कुंडलियों को देखकर उनके 36 गुणों को मिलाया जाता है। जब दोनों के बीच 24 से 32 गुण मिल जाते हैं तो ही उनकी शादी के सफल होने की संभावना बनती है। कुंडली में जो सातवाँ घर होता है वह विवाह के विषय में बताता है।


जब कुंडली में गुण मिलान की क्रिया संपन्न हो जाती है तब वर-वधु की जन्म राशि के आधार पर विवाह संस्कार के लिए निश्चित तिथि, वार, नक्षत्र तथा समय को निकाला जाता है जो विवाह मुहूर्त कहलाता है। विवाह मुहूर्त के लिए ग्रहों की दशा व नक्षत्रों का ऐसे विश्लेषण किया जाता है -


वर अथवा कन्या का जन्म जिस चंद्र नक्षत्र में होता है उस नक्षत्र के चरण में आने वाले अक्षर को भी विवाह की तिथि ज्ञात करने में प्रयोग किया जाता है।

वर-कन्या की राशियों में विवाह के लिए एक समान तिथि को विवाह मुहूर्त के लिए लिया जाता है।


विवाह मुहूर्त 

लग्न का महत्व

शादी-ब्याह के संबंध लग्न का अर्थ होता है फेर का समय और उससे पहले होने वाले परंपरा। लग्न का निर्धारण शादी की तारीख़ तय होने के बाद ही होता है। यदि विवाह लग्न के निर्धारण में ग़लती होती है तो विवाह के लिए यह एक गंभीर दोष माना जाता है। विवाह संस्कार में तिथि को शरीर, चंद्रमा को मन, योग व नक्षत्रों को शरीर का अंग और लग्न को आत्मा माना गया है। यानि लग्न के बिना विवाह अधूरा होता है।


विवाह लग्न को निर्धारित करते समय रखें ये सावधानियाँ

वर-वधु के लग्न राशि से अष्टम राशि का लग्न, विवाह लग्न के लिए शुभ नहीं है।

जन्म कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी विवाह लग्न में स्थित न हो।

विवाह लग्न से द्वादश भाव में शनि और दशम भाव में शनि स्थित न हो।

विवाह लग्न से तृतीय भाव में शुक्र और लग्न भाव में कोई पापी ग्रह स्थित न हों।

विवाह लग्न में पीड़ित चंद्रमा न हो।

विवाह लग्न से चंद्र, शुक्र व मंगल अष्टम भाव में स्थित नहीं होने चाहिए।



चतुर्मास में विवाह मुहूर्त होता है वर्जित

हिन्दू पंचांग में चार माह का एक चतुर्मास होता है। यह चतुर्मास देवशयनि एकादशी (आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी) से प्रारंभ होकर देवउठनी एकादशी (कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी) तक होता है। शास्त्रों के अनुसार, इन चार महिनों में मांगलिक कार्य को छोड़कर जप-तप एवं ईश्वर का ध्यान करना चाहिए। पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि चतुर्मास में भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीर सागर में निद्रा आसन के चले जाते हैं। इन चार महीने की अवधि समाप्त होने के बाद जब भगवना विष्णु निद्रासन से जागते हैं तभी विवाह जैसे मांगलिक कार्य शुरु होते हैं।


विवाह - सात जन्मों का अटूट बंधन

विवाह एक सात जन्मों का बंधन है। इस अटूट बंधन में दो आत्माओं का मिलन है। सामाजिक ताने-बाने में उसे पति-पत्नी के रूप में जानते हैं। वैदिक संस्कृति में किसी भी मनुष्य के लिए चार आश्रम (ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास) बताए हैं। इन चारों में गृहस्थ आश्रम की नींव विवाह से ही पड़ती है। शादी के बाद किसी व्यक्ति के जीवन की नई पारी शुरु होती है। सामाजिक जीवन में नई जिम्मेदारियाँ आती हैं। जिस प्रकार इंद्र धनुष में सात रंग होते हैं, आकाश में सप्त ऋषि होते हैं, उसी तरह से विवाह संस्कार में सात फेरे होते हैं। शादी में सात फेरों की रस्म सबसे प्रमुख रस्म होती है। बिना फेरे के विवाह संपन्न नहीं होता है। शादी में होने वाले फेरों का एक विशेष अर्थ होता है। विवाह मुहूर्त 2024 के इस लेख के माध्यम से हम आपको विवाह मुहूर्त की उपयोगिता व आवश्यकता के बारे में बता रहे हैं।




विवाह लग्न से सप्तम भाव में कोई ग्रह नहीं होने चाहिए।

विवाह लग्न कर्तरी दोषयुक्त (विवाह लग्न के द्वितीय व द्वादश भाव में कोई भी पापी ग्रह) न हो।

पूर्ण सुखी जीवन जीने के मुख्य सूत्र :-

पूर्ण सुखी जीवन जीने के मुख्य सूत्र :-

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प्राचीन  शास्त्रों के अनुसार इस संसार मे जन्म लेने वाला हर प्राणी किसी ना  किसी दुख से पीड़ित अवश्य रहता है। यदि किसी मनुष्य के पास निम्न 16 प्रकार के सुखों की अंबार  हो तो वह संसार का अब तक का पूर्ण सुखी व्यक्ति होगा । 


1 * पहला सुख निरोगी काया *

2.*दूजा सुख घर में हो माया *

3.*तीजा सुख कुलवंती नारी।*

4.*चौथा सुख सुत आज्ञाकारी।*


5.*पाँचवा सुख सदन हो अपना।*

6.*छट्ठा सुख सिर कोई ऋण ना।*

7.*सातवाँ सुख चले व्यापारा।*

8.*आठवाँ सुख हो सबका प्यारा।*


9.*नौवाँ सुख भाई और बहन हो ।*

10.*दसवाँ सुख न बैरी स्वजन हो।*

11.*ग्यारहवाँ मित्र हितैषी सच्चा।*

12.*बारहवाँ सुख पड़ौसी अच्छा।*


13.*तेरहवां सुख उत्तम हो शिक्षा।*

14.*चौदहवाँ सुख सद्गुरु से दीक्षा।*

15.*पंद्रहवाँ सुख हो साधु समागम।*

16.*सोलहवां सुख संतोष बसे मन।*


*सोलह सुख ये होते भाविक जन।*

*जो पावैं सोइ धन्य हो जीवन।।* 🐙  

*हालांकि आज के समय में ये सभी सुख हर किसी को मिलना मुश्किल है*

*लेकिन इनमें से जितने भी  सुख मिलें उससे खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए*


आचार्य राजेश कुमार (www.divyanshjyotish.com)

वास्तु शास्त्र:- कहीं आपके घर मे भी वास्तुदोष तो नहीं है !!

वास्तु शास्त्र घर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, भवन अथवा मन्दिर निर्माण करने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसे आधुनिक समय के विज्ञान आर्किटेक्चर का प्राचीन स्वरुप माना जा सकता है। जीवन में जिन वस्तुओं का हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होता है उन वस्तुओं को किस प्रकार से रखा जाए वह भी वास्तु है वस्तु शब्द से वास्तु का निर्माण हुआ है

डिजाइन दिशात्मक संरेखण के आधार पर कर रहे हैं। यह हिंदू वास्तुकला में लागू किया जाता है, हिंदू मंदिरों के लिये और वाहनों सहित, बर्तन, फर्नीचर, मूर्तिकला, चित्रों, आदि।

दक्षिण भारत में वास्तु का नींव परंपरागत महान साधु मायन को जिम्मेदार माना जाता है और उत्तर भारत में विश्वकर्मा को जिम्मेदार माना जाता है।


उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम ये चार मूल दिशाएं हैं। वास्तु विज्ञान में इन चार दिशाओं के अलावा 4 विदिशाएं हैं। आकाश और पाताल को भी इसमें दिशा स्वरूप शामिल किया गया है। इस प्रकार चार दिशा, चार विदिशा और आकाश पाताल को जोड़कर इस विज्ञान में दिशाओं की संख्या कुल दस माना गया है। मूल दिशाओं के मध्य की दिशा ईशान, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य को विदिशा कहा गया है। वैदिक वास्तुकला के नियमों और निर्देशों का पालन करके, वास्तुकला के कार्यक्रम में आपूर्ति और आयाम की स्थापना की जाती है, जो एक सुखी और समृद्ध आवास का सृजन करते हैं।

Sunday, 28 January 2024

एग्जामिनेशन में सफल होने का अचूक उपाय

परीक्षा में सफलता पाने के लिए करें ये अचूक ज्योतिषीय उपाय


परीक्षा का मौसम शुरू होते ही बच्चों में टेंशन की एक लहर सी दौड़ पड़ती है। इसी के साथ अच्छे नंबर लाने के लिए बच्चे दिन रात मेहनत करते हैं। साथ ही साथ खुद को साबित करने के लिए वह अंदर ही अंदर घुटन भी महसूस करते हैं। एग्जाम के दिनों में बच्चो को काफी तनाव होता है। इतनी मेहनत करने के बाद भी अगर बच्चों को उनका मनचाहा परिणाम प्राप्त ना हो, तो वह निराश हो जाते हैं।आपको बता दें कि कई बार कड़ी मेहनत के बाद भी अच्छे परिणाम ना मिलने का कारण ज्योतिष में ग्रह दशा हो सकती है। यह कुंडली में ग्रहों की अशुभ दशा के कारण भी हो सकता है।


आपको बता दें कि बच्चे परीक्षा में अच्छा करने के लिए कुछ उपायों का प्रयोग कर सकते हैं। जिनके प्रयोग से बच्चों को एग्जाम में अच्छे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। साथ ही साथ वे अपने आगे आने वाले जीवन के लिए भी सही रास्ते का प्रयोग भी कर सकते हैं। चलिए जानते हैं किन – किन उपायों का प्रयोग करके छात्र अपने एग्जाम में सफलता प्राप्त कर सकते हैं –




परीक्षा में पास होने के उपाय

अगर आप अपने एग्जाम में अच्छा करना चाहते हैं, तो आपको एग्जाम से 5 दिन पहले मीठी दही का सेवन करना चाहिए।


परीक्षा में पास होने के लिए आपको अपने कमरे में सरस्वती माता का चित्र लगाना चाहिए।

पढ़ाई करने से पहले सरस्वती माता की धूपबत्ती, कपूर आदि से आपको उनकी पूजा करनी चाहिए।

सूर्य भगवान की पूजा करने से एग्जाम में अच्छे परिणाम प्राप्त होते है।

एक लोटे में जल लेकर उसमें थोड़े से चावल, लाल चंदन और फूल मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए।

यह उपाय काफी लाभदायक होता है। इसे करने से बुद्धि में वृद्धि होती है। और एग्जाम में भी सफलता मिलती है।

सबसे महत्वपूर्ण बात जब भी आप पढ़ाई करते, तो आपको अपनी स्टडी टेबल पर खाने पीने की चीजों को नहीं रखना चाहिए।

इसी के साथ आपकी स्टडी टेबल व्यवस्थित तरीके से होनी चाहिए। साथ ही आपकी किताबें खुली हुई नही होनी चाहिए।

साथ ही आपको अपनी स्टडी टेबल को साफ सुथरा रखना चाहिए।

एग्जाम देने से पहले आपको अपने इष्ट देव को जरूर याद करना चाहिए।

आपको ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पढ़ाई करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।

अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए और अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए आप अपने गले में मां सरस्वती का यंत्र भी धारण कर सकते हैं।

आपको बता दें कि इस यंत्र को धारण करने से आपको सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं और आप अपनी परीक्षा में अच्छा कर पाते हैं।

एग्जाम के दिनों में अपनी स्मरण शक्ति को अच्छा बनाने के लिए छात्रों को तुलसी के पत्तों में मिश्री मिलाकर खानी चाहिए।

एग्जाम में अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको गणेश चालीसा का पाठ करना चाहिए।

यह भी पढ़ें – अपने नाम के पहले अक्षर से जानें 


परीक्षा देने जाते समय क्या करना चाहिए?

जब भी आप परीक्षा देने के लिए बाहर जाएं, तो उससे पहले दही मिश्री जरूर खाएं।

सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान करने के बाद 108 बार गायत्री मंत्र का जाप जरुर करें।

एग्जाम सफलता प्राप्त करने के लिए आपको भाग्येश रत्न को धारण करना चाहिए।

एग्जाम देने जाने से पहले आपको भगवान की पूजा जरूर करनी चाहिए।

माना जाता है कि भगवान गणेश जी को मूंग के लड्डू का भोग लगाने से आपको आपके हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।

एग्जाम से पहले आपको पक्षियों को सात प्रकार का अनाज रोजाना खिलाना चाहिए। इससे काफी लाभदायक परिणाम प्राप्त होते हैं।

गाय को गुड़ या आटा खिलाने से आपको एग्जाम में अच्छा परिणाम प्राप्त होता है।

कोवे को रोटी खिलाने से भी आपको सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।

जिस दिन आप की परीक्षा हो उस दिन सुबह नहाने के पानी में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर स्नान करना चाहिए। इससे सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।

एग्जाम देने जाने से पहले आपको अपने बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए।

यह भी पढ़ें – अगर नया घर खरीदने की कर रहे हैं तैयारी, तो वास्तु शास्त्र की इन बातों को रखें ध्यान


जानें प्रतियोगी परीक्षा में सफलता कैसे प्राप्त करें?

आपको घर से दही- गुड़ खाकर निकलना चाहिए। साथ ही परीक्षा केंद्र पर पहुंचकर आपको अपने इष्ट देव के मंत्र जाप करना चाहिए

यदि आपका एग्जाम सोमवार के दिन पड़ रहा है, तो आपको घर से निकलने से पहले शीशे में अपना चेहरा देखकर, तुरंत एग्जाम देने के लिए निकल जाना चाहिए।

साथ ही आपको रास्ते में एक पान का पत्ता खरीद कर शिवलिंग पर जरूर चढाना चाहिए।

हनुमान जी को गुड़ चने का भोग लगाकर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से आपको काफी फायदा प्राप्त होगा।

प्रतियोगी परीक्षा में अच्छे परिणाम के लिए भगवान गणेश जी की आरती कर उन्हें दुर्वा चढ़ाएं।

माथे पर केसर का टीका लगाकर परीक्षा केंद्र जाने से आपको अच्छे परिणाम प्राप्त होने की संभावना अधिक होती है।

अगर आपका एग्जाम शुक्रवार के दिन है, तो आपको सफेद रंग के वस्त्र पहनकर जाना चाहिए।

आपको माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाना चाहिए। और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करके ही एग्जाम देने के लिए निकलना चाहिए।

शनिवार के दिन परीक्षा होने पर आपको हनुमान जी और शनिदेव को प्रणाम करके, अपनी जेब में राई रखकर एग्जाम देने जाना चाहिए।


एग्जाम के दिनों में ही पढ़ना उचित क्यों नहीं होता?

एग्जाम के दिनों में कई छात्र अधिक मेहनत करते हैं। लेकिन एग्जाम के वक्त सब कुछ भूल जाते हैं। जिसके बाद उन्हें अच्छे परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं।

अगर आप भी किसी तरह का एग्जाम देना चाहते हैं, तो आपको उसकी तैयारी पहले से ही करनी चाहिए।

एग्जाम के दिनों में आपको अपने सिलेबस का रिवीजन करना चाहिए।

एग्जाम के दिनों में आपको अधिक तनाव नहीं लेना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से आप पढ़ा हुआ भूल जाएंगे।

साथ ही अधिक तनाव लेने से आपके मस्तिष्क पर भी प्रभाव पड़ेगा।

एग्जाम के दिनों से पहले आपको अपने स्लेबस को पूरा कर लेना चाहिए।

एग्जाम के दिनों में आपको अपने द्वारा बनाए गए कुछ नोट्स को रिवाइज करना चाहिए।

साथ ही इन दिनों आपको अधिक खुश रहना चाहिए और मेहनत करनी चाहिए।

अपने जीवन में सफलता पाने के लिए आपको कडी मेहनत करनी चाहिए। साथ ही किसी भी उपाय को करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह जरुर लें।