Sunday 1 March 2020


होली और  होलाष्टक-2020
         होली के त्‍योहार का इंतजार लोग पूरे साल करते हैं. ये हिंदू धर्म के बड़े पर्वों में से एक है . हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो जाएगा। यह तिथि 03 मार्च को पड़ रही है यानि होलाष्टक 03 मार्च से शुरु और 09 मार्च को समाप्त होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य (शादी, विवाह, वाहन खरीदना या घर खरीदना, अन्य मंगल कार्य) नहीं किए जाते हैं। हालांकि इस दौरान पूजा पाठ करने और भगवान का स्मरण और उनके भजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

होलिका दहन 2020

होलिका दहन, होली त्यौहार का पहला दिन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों से खेलने की परंपरा है जिसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि आदि नामों से भी जाना जाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है।  इसके लिए मुख्यतः दो नियम ध्यान में रखने चाहिए -

1. पहला, उस दिन भद्रान हो। भद्रा का ही एक दूसरा नाम विष्टि करण भी है, जो कि 11 करणों में से एक है। एक करण तिथि के आधे भाग के बराबर होता है।

2. दूसरा, पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए। सरल शब्दों में कहें तो उस दिन सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए।

होलिका दहन (जिसे छोटी होली भी कहते हैं) के अगले दिन पूर्ण हर्षोल्लास के साथ रंग खेलने का विधान है और अबीर-गुलाल आदि एक-दूसरे को लगाकर व गले मिलकर इस पर्व को मनाया जाता है।

होलिका दहन शुभ मुहूर्त

9 मार्च-2020

होलिका दहन मुहूर्त- 18:22 से 20:49

भद्रा पूंछ- 09:37 से 10:38

भद्रा मुख- 10:38 से 12:19

रंगवाली होली- 10 मार्च-2020

होलिका दहन का इतिहास

होली का वर्णन बहुत पहले से हमें देखने को मिलता है। प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी में 16वीं शताब्दी का चित्र मिला है जिसमें होली के पर्व को उकेरा गया है। ऐसे ही विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता है। कुछ लोग मानते हैं कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध किया था। इसी ख़ुशी में गोपियों ने उनके साथ होली खेली थी।

होलिका दहन की पौराणिक कथाये

पुराणों के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के शिवाय किसी अन्य को नहीं भजता, तो वह क्रुद्ध हो उठा और अंततः उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए; क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुक़सान नहीं पहुँचा सकती। किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत -- होलिका जलकर भस्म हो गयी और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है। होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं।

लेकिन होली की केवल यही नहीं बल्कि और भी कई कहानियां प्रचलित है।
कामदेव को किया था भस्म

होली की एक कहानी कामदेव की भी है। पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थीं लेकिन तपस्या में लीन शिव का ध्यान उनकी ओर गया ही नहीं। ऐसे में प्यार के देवता कामदेव आगे आए और उन्होंने शिव पर पुष्प बाण चला दिया।तपस्या भंग होने से शिव को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और उनके क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। कामदेव के भस्म हो जाने पर उनकी पत्नी रति रोने लगीं और शिव से कामदेव को जीवित करने की गुहार लगाई। अगले दिन तक शिव का क्रोध शांत हो चुका था, उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवित किया। कामदेव के भस्म होने के दिन होलिका जलाई जाती है और उनके जीवित होने की खुशी में रंगों का त्योहार मनाया जाता है।

महाभारत की ये कहानी

महाभारत की एक कहानी के मुताबिक युधिष्ठर को श्री कृष्ण ने बताया- एक बार श्री राम के पूर्वज रघु, के शासन मे एक असुर महिला धोधी थी। उसे कोई भी नहीं मार सकता था, क्योंकि वह एक वरदान द्वारा संरक्षित थी। उसे गली मे खेल रहे बच्चों, के अलावा किसी से भी डर नहीं था। एक दिन, गुरु वशिष्ठ, ने बताया कि- उसे मारा जा सकता है, यदि बच्चे अपने हाथों में लकड़ी के छोटे टुकड़े लेकर, शहर के बाहरी इलाके के पास चले जाएं और सूखी घास के साथ-साथ उनका ढेर लगाकर जला दे। फिर उसके चारों ओर परिक्रमा दे, नृत्य करे, ताली बजाए, गाना गाएं और ड्रम बजाए। फिर ऐसा ही किया गया। इस दिन को,एक उत्सव के रूप में मनाया गया, जो बुराई पर एक मासूम दिल की जीत का प्रतीक है।
श्रीकृष्ण और पूतना की कहानी

होली का श्रीकृष्ण से गहरा रिश्ता है। जहां इस त्योहार को राधा-कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। वहीं,पौराणिक कथा के अनुसार जब कंस को श्रीकृष्ण के गोकुल में होने का पता चला तो उसने पूतना नामक राक्षसी को गोकुल में जन्म लेने वाले हर बच्चे को मारने के लिए भेजा। पूतना स्तनपान के बहाने शिशुओं को विषपान कराना था। लेकिन कृष्ण उसकी सच्चाई को समझ गए। उन्होंने दुग्धपान करते समय ही पूतना का वध कर दिया। कहा जाता है कि तभी से होली पर्व मनाने की मान्यता शुरू हुई।



होलाष्टक क्या है

 होली से पहले के आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है। इस वर्ष होलाष्टक 03 मार्च से प्रारंभ हो रहा है, जो 09 मार्च यानी की होलिका दहन तक रहेगा। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा ​तिथि तक होलाष्टक माना जाता है। 09 मार्च को होलिका दहन के बाद अगले दिन 10 मार्च को रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया जाएगा। ज्योषित शास्त्र के अनुसार, होलाष्टक के आठ दिनों में मांगलिक कार्यों को करना निषेध होता है। इस समय किसी भी मांगलिक कार्य करने पर अपशगुन माना जाता है।

8 दिनों का होता है होलाष्टक

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार:-
होलाष्टक 03 मार्च से प्रारंभ होकर 09 मार्च को समाप्त हो रही है, ऐसे में यह कुल 7 दिनों का हुआ।

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार:-
तिथियों को ध्यान में रखकर गणना करेंगे तो यह अष्टमी से प्रारंभ होकर पूर्णिमा तक है, ऐसे में कुछ दिनों की संख्या 8 होती है।

होलाष्टक में न करें ये कार्य

1. विवाह: होली से पूर्व के 8 दिनों में भूलकर भी विवाह न करें। यह समय शुभ नहीं माना जाता है, जब तक कि कोई विशेष योग आदि न हो।

2. नामकरण एवं मुंडन संस्कार: होलाष्टक के समय में अपने बच्चे का नामकरण या मुंडन संस्कार कराने से बचें।

3. भवन निर्माण: होलाष्टक के समय में किसी भी भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ न कराएं। होली के बाद नए भवन के निर्माण का शुभारंभ कराएं।
. हवन-यज्ञ: होलाष्टक में कोई यज्ञ या हवन अनुष्ठान करने की सोच रहे हैं, तो उसे होली बाद कराएं। इस समय काल में कराने से आपको उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा।

5. नौकरी: होलाष्टक के समय में नई नौकरी ज्वॉइन करने से बचें। अगर होली के बाद का समय मिल जाए तो अच्छा होगा। अन्यथा किसी ज्योतिषाचार्य से मुहूर्त दिखा लें।

6. भवन, वाहन आदि की खरीदारी: संभवत हो तो होलाष्टक के समय में भवन, वाहन आदि की खरीदारी से बचें। शगुन के तौर पर भी रुपए आदी न दें।
होलाष्टक में पूजा-अर्चना की नहीं है मनाही

होलाष्टक के समय में अपशकुन के कारण मांगलिक कार्यों पर रोक होती है। हालांकि होलाष्टक में भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है। इस समय में आप अपने ईष्ट देव की पूजा-अर्चना, आचार्य राजेश कुमार ( www.divyanshjyotish.com)


जीवनकाल मे होने वाली विभिन्न परेशानियों से बचने के लिए होली के दिन किये जाने वाले पांच अचूक ज्योतिषीय उपाय:-
महाशिवरात्रि के पावन पर्व के बाद हर भारतीय रंगों के त्यौहार होली का बड़ी ही बेसब्री से इन्तजार करता है। हिन्दू धर्म में भी इस पर्व का बहुत अधिक महत्व होता है।


होली की रात को किए जाने वाले कुछ ज्योतिष उपाय-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा यानी की होली के दिन किए गए उपाय बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करते हैं। आज हम आपको होली पर किए जाने वाले कुछ साधारण उपाय बता रहे हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं-

1-धन की कमी से बचने का उपाय:-

होली की रात चंद्रमा के उदय होने के बाद अपने घर की छत पर या खुली जगह, जहां से चांद नजर आए, वहां खड़े हो जाएं। फिर चंद्रमा का स्मरण करते हुए चांदी की प्लेट में सूखे छुहारे तथा कुछ मखाने रखकर शुद्ध घी के दीपक के साथ धूप एवं अगरबत्ती अर्पित करें। अब दूध से चंद्रमा को अर्घ्य दें।

अर्घ्य के बाद सफेद मिठाई तथा केसर मिश्रित साबूदाने की खीर अर्पित करें। चंद्रमा से समृद्धि प्रदान करने का निवेदन करें। बाद में प्रसाद और मखानों को बच्चों में बांट दें। फिर लगातार आने वाली प्रत्येक पूर्णिमा की रात चंद्रमा को दूध का अर्घ्य दें। कुछ ही दिनों में आप महसूस करेंगे कि आर्थिक संकट दूर होकर समृद्धि निरंतर बढ़ रही है।

2-ग्रहों की शांति के लिए उपाय:
होली की रात उत्तर दिशा में बाजोट (पटिया) पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर मूंग, चने की दाल, चावल, गेहूं, मसूर, काले उड़द एवं तिल की ढेरी बनाएं। अब उस पर नवग्रह यंत्र स्थापित करें। उस पर केसर का तिलक करें, घी का दीपक लगाएं एवं नीचे लिखे मंत्र का जाप करें। जाप स्फटिक की माला से करें। जाप पूरा होने पर यंत्र को पूजा स्थान पर स्थापित करें, ग्रह अनुकूल होने लगेंगे।

मंत्र- ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरान्तकारी भानु शशि भूमि-सुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव: सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु।।

3-
व्यापार में सफलता पाने का उपाय:-


एकाक्षी नारियल को लाल कपड़े में गेहूं के आसन पर स्थापित करें और सिंदूर का तिलक करें। अब मूंगे की माला से नीचे लिखे मंत्र का जाप करें। 21 माला जाप होने पर इस पोटली को दुकान में ऐसे स्थान पर टांग दें, जहां ग्राहकों की नजर इस पर पड़ती रहे। इससे व्यापार में सफलता मिलने के योग बन सकते हैं।

मंत्र- ऊं श्रीं श्रीं श्रीं परम सिद्धि व्यापार वृद्धि नम:।

4-शीघ्र विवाह के लिए उपाय:-

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होली के दिन सुबह एक साबूत पान पर साबूत सुपारी एवं हल्दी की गांठ शिवलिंग पर चढ़ाएं तथा पीछे पलटे बगैर अपने घर आ जाएं। यही प्रयोग अगले दिन भी करें। जल्दी ही आपके विवाह के योग बन सकते हैं।

5-रोग नाश के लिए उपाय:-

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अगर आप किसी बीमारी से पीडि़त हैं, तो इसके लिए भी होली की रात को खास उपाय करने से आपकी बीमारी दूर हो सकती है। होली की रात आप नीचे लिखे मंत्र का जाप तुलसी की माला से करें।

मंत्र- ऊं नमो भगवते रुद्राय मृतार्क मध्ये संस्थिताय मम शरीरं अमृतं कुरु कुरु स्वाहा
उपरोक्त उपाय आजमा कर देखें, शीघ्रातिशीघ्र लाभ होगा।
आचार्य राजेश कुमार ( www.divyanshjyotish.com)


Wednesday 26 February 2020

कहीं आपका फोन नंबर ट्रैक तो नहीं हो रहा है? क्या हम ट्रैकिंग को, कोड्स के माध्यम से खुद पता कर सकते हैं?

हां बिल्कुल पता कर सकते हैं, आइए जानते हैं कि वह कौन सी कॉड्स है, जिससे ट्रैकिंग किए गए मोबाइल नंबर का पता लगा सकते हैं।

आपका फोन नंबर ट्रैक हो रहा है, तो इन चार कोड्स से पता कर सकते हैं।


तकनीक के इस दौर में आपको हर एक घर में कई सारे स्मार्टफोन देखने को मिलेंगे। लेकिन अब इन डिवाइसेज की सुरक्षा यूजर्स के लिए चिंता का विषय बन गई है। क्योंकि आए दिन हैकर्स यूजर्स के डिवाइसेज को ट्रैक करने से लेकर डाटा चोरी करने तक का प्रयास करते हैं। वहीं, स्मार्टफोन यूजर्स को भी जानकारी नहीं होती है कि उनका डिवाइस कोई ट्रैक कर रहा है या फिर उनकी कॉल को कहीं और फॉरवर्ड किया जा रहा है। तो ऐसे में हम आपके लिए कुछ चुनिंदा कोड्स लेकर आए हैं, जिनकी मदद से आप पता कर सकेंगे कि आपका मोबाइल कहीं ट्रैक तो नहीं हो रहा है?


कोड *#62#
जब कोई आपको कॉल करता है, तो कई बार आपका नंबर नो-सर्विस या नो-आंसर बोलता है। तो ऐसे में आप इस कोड को फोन में डायल कर चेक कर सकते हैं कि किसी ने आपके नंबर को री-डायरेक्ट तो नहीं कर दिया है। इसके अलावा आपका नंबर ऑपरेटर के नंबर पर री-डायरेक्ट भी हो जाता है।

कोड *#21#
अपने फोन में इस कोड को डायल करके आप आसानी से यह जान सकते हैं कि किसी ने आपके मैसेज, कॉल या डाटा को कहीं दूसरी जगह डायवर्ट तो नहीं कर दिया है। अगर आपके कॉल कहीं डायवर्ट किया जा रहा होगा तो इस कोड की मदद से नंबर सहित पूरी डिटेल आपको मिल जाएगी। वह नंबर भी पता चल जाएगा जिस पर आपका कॉल डायवर्ट किया गया था।

कोड ##002#
यह कोड स्मार्टफोन के लिए बेहद खास है, क्योंकि इसकी मदद से आप किसी भी फोन के सभी फॉरवर्डिंग को डी-एक्टिव कर सकते हैं। अगर आपको लगता है कि आपका कॉल कहीं डायवर्ट हो रहा है तो आप इस कोड को डायल कर डायवर्ट को बंद कर सकते है।


कोड *#*#4636#*#*
इस कोड की मदद से आप अपने फोन के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जैसे- फोन में कौन-बैटरी है, वाई-फाई कनेक्शन टेस्ट, फोन का मॉडल, रैम इत्यादि। बता दें कि इन कोड को डायल करने पर आपके पैसे नहीं कटेंगे।

Friday 21 February 2020

महा शिवरात्रि 2020 : यह शिवरात्रि है बहुत खास, जानिए इसका राज, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा / https://hindi.webdunia.com/shivratri-special/maha-shivratri-2020-shubh-muhurat-120020900018_1.html?contentType=article

Sunday 9 February 2020

महाशिवरात्रि के दिन आपकी कुंडली मे तीन – तीन ग्रह स्वराशि और उच्च  के होकर बना रहे हैं दुर्लभ संयोग / कैसे होते हैं महाशिवरात्रि के दिन जन्म लेने वाले बच्चे / इसका कैसा परिणाम मिलने वाला है आपको/ कैसे करें अपनी राशि अनुसार रुद्राभिषेक / महाशिवरात्रि की कथायेँ :-

“शिवरात्रि” का अर्थ है “भगवान शिव की महान रात्रि । ऐसे तो प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि का व्रत रखने का बड़ा महत्व है इस तरह सालभर में 12 शिवरात्रि व्रत किए जाते हैं परन्तु उन सभी में महाशिवरात्रि का व्रत रखने का खास महत्व होता है। महाशिवरात्रि व्रत काशी पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है।  इस दिन रंक हो या राजा सभी बड़ी धूमधाम से इस त्योहार को मनाते हैं । 
इस वर्ष महाशिवरात्रि 21 फरवरी 2020  को शाम को 5 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी कि 22 फरवरी दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 9 मिनट तक रहेगी। रात्रि प्रहर की पूजा शाम को 6 बजकर 57 मिनट से रात 12 बजकर 54 मिनट तक होगी। 
117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग :-
 इस बार शिवरात्रि पर 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बन रहा है। इस साल शिवरात्रि पर शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में और शुक्र ग्रह अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा।  इस साल गुरु भी अपनी स्वराशि धनु राशि में स्थित है। इस योग में शिव पूजा करने पर शनि, गुरु, शुक्र के दोषों से भी मुक्ति मिल सकती है। 21 फरवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। पूजन के लिए और नए कार्यों की शुरुआत करने के लिए ये योग बहुत ही शुभ माना गया है।

शिवरात्रि पर 28 साल बाद बनेगा विष योग :-

 शिवरात्रि को शनि के साथ चंद्रमाँ  भी रहेगा। शनि-चंद्र की युति की वजह से विष योग बन रहा है। इस साल से पहले करीब 28 साल पहले शिवरात्रि पर विष योग बना था । 
इस योग में शनि और चंद्रमाँ के लिए विशेष पूजा करनी चाहिए। शिवरात्रि पर ये योग बनने से इस दिन शिव पूजा का महत्व और अधिक बढ़ गया है। कुंडली में शनि और चंद्र के दोष दूर करने के लिए शिव पूजा करने की सलाह दी जाती है ।


शिवरात्रि के पावन पर्व में शिव मंदिरों की रौनक खूब दिखती है। प्रातःकाल से ही शिव मंदिरों में भक्तों का तांता जुटने लगता है। और सभी भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते हैं। इस दिन शिव जी को दूध और जल से अभिषेक कराने की भी प्रथा है

महाशिवरात्रि की कथायेँ :-

महाशिवरात्रि को लेकर एक या दो नहीं बल्कि हिंदू पुराणों में कई कथाएं प्रचलित हैं:-पुराणों में महाशिवरात्रि मानाने के पीछे एक कहानी है जिसके अनुसार
कथा 1- 
समुद्र मंथन के दौरान जब देवतागण एवं असुर पक्ष अमृत-प्राप्ति के लिए मंथन कर रहे थे, तभी समुद्र में से कालकूट नामक भयंकर विष निकला।
देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने भयंकर विष को अपने शंख में भरा और भगवान विष्णु का स्मरण कर उसे पी गए। भगवान विष्णु अपने भक्तों के संकट हर लेते हैं।
उन्होंने उस विष को शिवजी के कंठ (गले) में ही रोक कर उसका प्रभाव समाप्त कर दिया। विष के कारण भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया और वे संसार में नीलंकठ के नाम से प्रसिद्ध हुए।


कथा 2-
शिव पुराण में एक अन्य कथा के अनुसार एक बार ब्रह्माजी व विष्णुजी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है। ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता होने के कारण श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे और भगवान विष्णु पूरी सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ कह रहे थे। तभी वहां एक विराट लिंग प्रकट हुआ। दोनों देवताओं ने सहमति से यह निश्चय किया गया कि जो इस लिंग के छोर का पहले पता लगाएगा उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा

अत: दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग की छोर ढूढंने निकले। छोर न मिलने के कारण विष्णुजी लौट आए। ब्रह्मा जी भी सफल नहीं हुए परंतु उन्होंने आकर विष्णुजी से कहा कि वे छोर तक पहुँच गए थे। उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया। ब्रह्मा जी के असत्य कहने पर स्वयं शिव वहाँ प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी की एक सिर काट दिया, और केतकी के फूल को श्राप दिया कि शिव जी की पूजा में कभी भी केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं होगा।
चूंकि यह फाल्गुन के महीने का 14 वा दिन था जिस दिन शिव ने पहली बार खुद को लिंग रूप में प्रकट किया था। इस दिन को बहुत ही शुभ और विशेष माना जाता है और महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन शिव की पूजा करने से उस व्यक्ति को सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।

कथा 3- 
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक आदमी जो शिव का परम भक्त था, एक बार लकड़ियाँ कटाने के लिए जंगल गया, और खो गया। बहुत रात हो चुकी थी इसीलिए उसे घर जाने का रास्ता नहीं मिल रहा था। क्योंकि वह जंगल में काफी अंदर चला गया था इसलिए जानवरों के डर से वह एक पेड़ पर चढ़ गया।
लेकिन उसे डर था कि अगर वह सो गया तो वह पेड़ से गिर जाएगा और जानवर उसे खा जाएंगे। इसलिए जागते रहने के लिए वह रात भर शिवजी नाम लेके पत्तियां तोड़ के गिरता रहा। जब सुबह हुई तो उसने देखा कि उसने रात में हजार पत्तियां तोड़ कर शिव लिंग पर गिराई हैं, और जिस पेड़ की पत्तियां वह तोड़ रहा था वह बेल का पेड़ था।
अनजाने में वह रात भर शिव की पूजा कर रहा था जिससे खुश हो कर शिव ने उसे आशीर्वाद दिया। यह कहानी महाशिवरात्रि को उन लोगों को सुनाई जाती है जो व्रत रखते हैं। और रात शिव जी पर चढ़ाया गया प्रसाद खा कर अपना व्रत तोड़ते हैं।

एक कारण यह भी है इस पूजा को करने  कि यह रात अमावस की रात होती है जिसमें चाँद नहीं दीखता है और हम ऐसे मे भगवान की पूजा करते हैं ।

महाशिवरात्रि के तुरंत बाद पेड़ फूलों से भर जाते हैं जैसे सर्दियों के बाद होता है। पूरी धरती फिर से उपजाऊ हो जाती है। यही कारण है कि पूरे भारत में शिव लिंग को उत्पत्ति का प्रतीक माना जाता है। भारत के हर कोने में शिवरात्रि को अलग अलग तरीके से मनाया जाता है।

अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है़ स्नान करना या कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक ।

भगवान शिव को रुद्र कहा गया है और उनका रूप शिवलिंग में देखा जाता है। इसका अर्थ हुआ शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना।
 अभिषेक के कई रूप तथा प्रकार होते हैं। शिव जी को प्रसन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना या फिर श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा करवाना। अपनी जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना गया है।
जानिए किस धारा का अभिषेक शुभ है आपकी राशि के लिए....

कैसे करें अपनी राशि अनुसार रुद्राभिषेक -

1. मेष- शहद और गन्ने का रस

2. वृष- दुग्ध ,दही
3. मिथुन-
दूर्वा से

4. कर्क- दुग्ध, शहद

5. सिंह- शहद, गन्ने के रस से

6. कन्या- दूर्वा एवं
दही

7. तुला- दुग्ध, दही

8. वृश्चिक- गन्ने का रस, शहद, दुग्ध

9. धनु- दुग्ध, शहद

10. मकर- गंगा जल में गुड़ डाल कर मीठे रस से

11. कुंभ- दही से

12. मीन- दुग्ध, शहद, गन्ने का रस

कैसे होते हैं महाशिवरात्रि के दिन जन्मक लेने वाले बच्चे:-


क्या आपका जन्म भी महाशिवरात्रि के दिन हुआ है। महाशिवरात्रि को जन्म लेने वाले बच्चे बहुत ही दयालु और दानी होते हैं। यह बच्चे जीवन में खूब यश और प्रतिष्ठा की प्राप्ति करते हैं। हालांकि बहुत खर्चीले भी होते हैं और दान पुण्य खुले हाथ से करते हैं। ऐसे बच्चें प्रायः शासन और प्रशासन में रहते हैं।


माना जाता है कि महाशिवरात्रि पर जन्मस लेने वाले बच्चों। में जो पुत्र होते हैं वे योग्य साबित होते हैं। पुत्रियां भी यश कमाती हैं। इस दिन जन्मे बच्चे अचल और चल संपत्ति की प्राप्ति करते हैं। सुंदर व सुयोग्य होते हैं। स्वलभाव से क्रोधी भी होते हैं।


महाशिवरात्रि के दिन जन्म लेने वाले लोग कला, पत्रकारिता और फिल्म उद्योग के
क्षेत्र में बहुत यश व प्रतिष्ठा की प्राप्ति करते हैं।

आचार्य राजेश कुमार ( Divyansh Jyotish Kendra )