Monday 6 August 2018

12 ज्योतिर्लिंगों मे बैद्यनाथ धाम की उत्पत्ति,स्थापना एवं महिमा:-

मित्रों आजकल सावन के महीने मे मंदिरों ,घरो यानि चारो तरफ देवाधिदेव महादेव अर्थात शिव की महिमा का गुणगान ,पूजा अर्चना हो रही है । हम सभी भली भांति जानते हैं की इस पृथ्वी पर कुल 12 स्वयं भू शिव लिंग अर्थात कुल 12 ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं । इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों मे झारखंड राज्य के देवघर मे बाबा वैद्यनाथ धाम का सिद्धपीठ ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं । इस शिव लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है । इस सावन के महीने मे लाखों भक्तगण जिसे हम कांवरिया भी कहते हैं ,देवघर से लगभग 100 किलोमीटर दूर सुल्तानगंज से जल भरकर बाबा वैद्यनाथ का जलाभिषेक करने आते हैं और शिव की कृपा का पात्र बनते हैं ।
वैद्यनाथ धाम मे स्थित शिव लिंग की पौराणिक कहानी कुछ इस प्रकार है ----
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रकांडविद्वान रावण भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर घोर तपस्या कर रहा था। वह एक एक करके अपना सर शिवलिंग पर चढ़ा रहा था। नौ सर चढ़ाने के बाद जब रावण अपना दसवां सर काटने वाला ही था तब भोलेनाथ को प्रसन्न होकर रावण को दर्शन दिए। और उससे वर मांगने को कहा। रावण को सोने की लंका के अलावा तीनों लोकों में शासन करने की शक्ति तो थी। साथ ही साथ उसने कई देवता यक्ष और ऋषि-मुनि को कैद करके लंका में रखे हुए था। इसी वजह से रावण ने यह इच्छा जताई कि भगवान शिव भी कैलाश छोड़कर लंका में ही रहे इसलिए रावण ने भगवान शिव शंकर से कामना लिंग को ही लंका ले जाने का वरदान मांग लिया। शिव जी ने अनुमति इस चेतावनी के साथ दी, की यदि वह इस कामना लिंग को पृथ्वी के मार्ग में कहीं रख देगा तो वह वही अचल होकर स्थापित हो जाएगा।

महादेव के इस चेतावनी को सुनने के बावजूद भी दशानन रावण कामना लिंग को अपने नगरी लंका ले जाने के लिए तैयार हो गया। इधर भगवान शिव के कैलाश छोड़ने की बात सुनते हैं सभी देवता चिंतित हो गए। इस समस्या के समाधान के लिए सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए। तब श्री हरि ने अपनी लीला रची उन्होंने वरुणदेव को आचमन के जरिए रावण के पेट में घुसने को कहा। जब रावण आचमन करके शिवलिंग को लंका की ओर ले चला तो उसे देवघर के पास लघुशंका लग गई। शिवलिंग को हाथ में लेकर लघुशंका करना उसे उचित नहीं लगा, इसलिए उसने अपने आसपास देखा कि कहीं कोई मिल जाए, जिसे वह शिवलिंग थमाकर लघुशंका कर सके कुछ देर के बाद ही उसे एक ग्वाला नजर आया जिसका नाम बैजू था। कहते हैं उस बैजू नाम के ग्वाले के रूप में भगवान विष्णु वहां आए थे। रावण ने उस ग्वाले से कहा कि वह शिव लिंग को पकड़ कर रखें ताकि वह लघुशंका से निर्मित हो सके। और साथ ही साथ उसने यह भी कहा शिवलिंग को भूल से भी भूमि पर मत रखना।
रावण जब लघुशंका करने लगा तब उसी लघुशंका से एक तालाब बन गया। लेकिन रावण की लघुशंका नहीं समाप्त हुई।ग्वाले के रूप में मौजूद भगवान विष्णु ने रावण से कहा कि अब बहुत देर हो चुकी है, अब मैं और शिवलिंग उठाये खड़ा नहीं रह सकता, इतना कहकर उसने शिवलिंग को भूमि पर रख दिया इसके बाद रावण की लघुशंका भी समाप्त हो गई। जब रावण लौट कर आया तो वह अपने लाख कोशिश के बावजूद भी शिवलिंग को उठा नहीं पाया। तब उसे भगवान की लीला समझ में आ गई। और तब रावण क्रोधित होकर उस शिवलिंग को अंगूठे से दबाकर वहां से चला गया । उसके बाद देवताओं ने आकर शिवलिंग की पूजा की । शिव जी का दर्शन होते ही सभी देवताओं ने शिवलिंग के उसी स्थान पर स्थापना कर दी। और तभी से महादेव कामना लिंग के रूप में देवघर में विराजते हैं।
आचार्य राजेश कुमार

Sunday 5 August 2018

[8/5, 17:21] Divyansh Jyotish Kendra: "दिव्यांश ज्योतिष केंद्र"
           अति आवश्यक सूचना
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प्रिय मित्रों,
 अपार हर्ष के साथ सूचित किया जाता है की हमारी संस्था ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है की प्रत्येक रविवार एवं बुद्धवार को अपरान्ह 2 बजे से शाम 5 बजे तक आप अपनी किसी भी प्रकार की समस्या {ऐस्ट्रोलोजीकल समस्या (पारिवारिक ,आर्थिक ,शारीरिक, वैवाहिक, कैरियर, व्यवसाय ,वास्तु संबंधित इत्यादि ) } संबंधित समस्या के समाधान हेतु संपर्क करते है तो कोई शुल्क नहीं पड़ेगा ।आप संस्था को अपनी इक्षानुसार जो दान देना चाहे ,दे सकते हैं। इसके लिए आपको निम्न नियम एवं शर्त का अनुसरण करना होगा।
 
1-  यह सुविधा पहले आओ,पहले पाओ के आधार पर रहेगी।

 2- एक व्यक्ति को एक ही व्यक्ति के विश्लेषण करने इजाजत होगी।

3-  यदि आप पहले से जुड़े हैं तो पुराना पर्चा लाना अनिवार्य होगा।

4- इसके लिए प्रत्येक रविवार एवं बुद्धवार को 1.30 बजे तक संस्था के  मुख्यद्वार पर उपस्थित राजिस्ट्रर में अपना विवरण  लीखना अनवार्य होगा। कार्यालय 12.30 बजे खुलेगा। फ़ोन के माध्यम से केवल पेड कस्टमर को ही अपॉइंटमेंट मिलेगा।

  किसी भी जानकारी हेतु आप संपर्क करें।
  मोब-9454320396/8318953026

 New Address:-

  Divyansh jyotish kendra
.........................................................
  UGF-6, Husna Plaza, near Vikas Nagar Power house chauraha, besides awas vikas office, Vikas Nagar       Lucknow-226022
  ‎
  ‎Note:- appointment is compulsory before visit.

Timing-
 1.30 pm to 8.30 pm
                ‎   

 
  आज्ञा से
  दिव्यांश ज्योतिष केंद्र
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Monday 30 July 2018

साढेसाती ,राहु, केतु, शनि एवं  अन्य कष्ट प्रद  ग्रहों को शांत करने का महीना सावन 28 जुलाई-2018 से प्रारम्भ-
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                इस साल सावन का महीना 27 जुलाई-2018 से शुरू हो रहा है, लेकिन उदयातिथि यानी 28 जुलाई -2018 से मानी जाएगी। सावन के महीने का समापन रक्षाबंधन के त्योहार यानी 26 अगस्त के साथ होगा। इस दौरान कांवड यात्रा भी आरंभ होती है।

सावन का नाम आते ही मन में रिमझिम बौछारों के साथ ही भगवान शिव की छवि उभरकर आती है। साथ ही विचार आते हैं कि हम ऐसा क्‍या करें कि भगवान शिव प्रसन्‍न हो जाएं और हम पर कृपा बरसाएं।

 इन उपायों से होते हैं भोले नाथ प्रसन्न :-
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1-कुंवारी कन्‍याएं शीघ्र विवाह के लिए सावन के महीने में दूध में कुमकुम  मिलाकर रोज शिवलिंग पर चढ़ाएं।



2-सावन में नंदी बाबा को रोज हरा चारा खिलाएं। भगवान शिव निश्चित आप पर प्रसन्‍न होंगे और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।



3-रोज सुबह स्‍नान करने के पश्‍चात मंदिर जाएं और यहां शिवलिंग पर जलाभिषेक के साथ बिल्वपत्र,भांग,धतूरा,शमीपत्र                                तिल इत्यादि से पूजा करें। ऐसा करने से भोले बाबा प्रसन्‍न होते हैं।



 इस विधि से करें व्रत, भगवान शिव देंगे ये वरदान:-

सर्वशक्तिमान परम पिता परमात्मा एक है परंतु उसके रुप अनेक हैं। भगवान शिव की शक्ति अपरम्पार है वह सदा ही कल्याण करते हैं। वह विभिन्न रूपों में संसार का संचालन करते हैं। सच्चिदानंद शिव एक हैं, वे गुणातीत और गुणमय हैं। एक ओर जहां ब्रह्म रूप में वह सृष्टि की उत्पत्ति करते हैं वहीं विष्णु रूप में सृष्टि का पालन करते हैं तथा शिव रुप में वह सृष्टि का संहार भी करते हैं। भक्तजन अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान शिव की उपासना करते हुए शिवलिंग का पूजन करते हैं।

 कैसे करें व्रत?
प्रत्येक सोमवार को मंदिर जाकर शिव परिवार की धूप, दीप, नेवैद्य, फल और फूलों आदि से पूजा करके सारा दिन उपवास करें। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाकर उनका दूध से अभिषेक करें। शाम को मीठे से भोजन करें। अगले दिन भगवान शिव के पूजन के पश्चात यथाशक्ति दान आदि देकर ही व्रत का पारण करें। अपने किए गए संकल्प के अनुसार व्रत करके उनका विधिवत उद्यापन किया जाना चाहिए। जो लोग सच्चे भाव एवं नियम से भगवान की पूजा, स्तुति करते हैं वह मनवांछित फल प्राप्त करते हैं। इन व्रतों में सफेद वस्त्र धारण करके सफेद चन्दन का तिलक लगाकर ही पूजन करना चाहिए तथा सफेद वस्तुओं के दान की ही सर्वाधिक महिमा है।

दान करने वाली वस्तुएं- बर्फी, सफेद चन्दन, चावल, चांदी, मिश्री, गाय का घी, दूध, दही, खीर, सफेद पुष्पों का दान सायंकाल में करने से जहां मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं वहीं घर में खुशहाली भी आती है।

क्या खांए- खीर ,पूरी, दूध दही, चावल। व्रत में नमक नहीं खाना चाहिए।

किस मंत्र का करें जाप- "ओम नम: शिवाय"एवं "महा मृत्युंजय" मंत्र के अतिरिक्त चन्द्र बीज मंत्र ‘ओम श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:’ और चन्द्र मूल मंत्र ‘ओम चं चन्द्रमसे  नम:’।

व्रत से मिलने वाले लाभ- मानसिक सुख एवं शांति का शरीर में प्रवाह होगा। व्यापार में वृद्घि होगी, परिवार में खुशहाली आएगी। जिस कामना से व्रत किया जाऐगा वह अवश्य पूरी होगी।
आप शनि के प्रकोप से पीड़ित हैं तो इस श्रावण माह के प्रथम दिन सच्चे मन से शिव जी से अपनी पीड़ा कहें। इससे वह आपकी पीड़ा जरूर सुनेंगे और उसे दूर करेंगे। आइये इस विषय पर जाने-माने ज्‍योतिष के जानकार सुजीत जी महाराज से जानते हैं कि इस महान संयोग का लाभ कैसे उठा सकते हैं।



शारीरिक कष्टों से दिलाएंगे मुक्‍ती-
यदि जन्मकुंडली में शनि,राहु,केतु व अन्य कष्टकारी ग्रह  शारीरिक कष्ट इत्यादि दे रहे हैं तो आपको सावन के पहले ही दिन से शिव पूजा प्रारंभ कर देनी चाहिए।

शनि की साढ़े साती होगी दूर
वे लोग जिनकी शनि की साढ़े साती है। या फिर धनु, वृश्चिक और मकर राशि वाले शनि की साढ़े साती से परेशान हैं तो, ऐसे लोग प्रथम दिवस रुद्राभिषेक अवश्य करें और शिवलिंग के सामने बैठकर शनि के बीज मंत्र का जप करें। इसके अलावा उन्‍हें सुंदरकांड का पाठ भी करना चाहिए।

तकनीकी शिक्षा से जुड़े लोग करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप :-
शनि से बनने वाले मारकेश की स्थिति में आप महामृत्युंजय मंत्र के जप के साथ साथ शनि के बीज मंत्र का जप भी करें।शनि तकनीकी शिक्षा और विधि की शिक्षा का कारक ग्रह है। इस फील्ड से जुड़े जातक शिव पूजा करें तो उनको सफलता मिलेगी।

आचार्य राजेश कुमार
















Friday 27 July 2018

    आज दिनांक 27 जुलाई-2018 कोमंगल केतु और चंद्रमा एक साथ मकर राशि में - सबसे लंबी अवधि का चंद्र ग्रहण-भारत में प्राकृतिक आपदा की संभावना-- आज गुरु पुर्णिमा के दिन करें अपने गुरु का सम्मान--
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    आज 27 जुलाई 2018 को मध्य रात्रि में सबसे लंबी अवधि का चंद्रग्रहण होगा इसकी पूर्ण अवधि लगभग 3घंटे 54 मिनट 35 सेकेंड की होगी जो रात्रि 11.56 से सुबह लगभग 3.47 तक रहेगी यह अब तक का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण माना जा रहा है। इस दौरान मंगल, पृथ्वी के बेहद करीब होगा साथ ही मकर राशि में मंगल केतु और चंद्रमा तीनो होने के कारण त्रिग्रही योग बनेगा जिस कारण  प्राकृतिक आपदा की संभावना बानी रहेगी।
    इस ग्रहण का सूतक 27 जुलाई को दोपहर 2.54 से प्रारम्भ हो जाने के कारण गुरु पूर्णिमा की पूजा सूतक प्रारम्भ से पूर्व ही कर लेनी चाहिए।

ग्रहण काल के समय घर में उपस्थित भोज्य पदार्थों में तुलसी पत्ती जरूर डालें।
ग्रहण के दौरान क्या करें क्या ना करें-
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ग्रहण की समाप्ति पर घर,दफ्तर इत्यादि जगहों पर गंगा जल अवश्य छिड़कें।
 गर्भवती महिलाएं घर से बाहर ना निकलें
  और साग सब्जी फल ना काटें।
   
 " गुरु पुर्णिमा के दिन करें अपने गुरु का सम्मान"
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जब आषाढ महीने का अंतिम दिन होता है तो उस दिन गुरु पूर्णिमा का त्योहार पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 27 जुलाई दिन  शुक्रवार को है। हिन्दू धर्म में गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर माना जाता है।

1-महर्षि वेदव्यास को प्रथम गुरु माना जाता है कहा जाता है कि आषाढ़ पूर्णिमा को वेद व्यास का जन्म हुआ था।

2- जिस माता-पिता ने हमें जन्म दिया है वे ही आपके प्रथम गुरु हैं ।

3-हमेशा ज्ञान देने वाला शिक्षक को  गुरु के बराबर  सम्मान देना चाहिए। क्योंकि शिक्षक ही हमें कई विषयो के बारे में हमे शिक्षित करता है।

4-जो हमे ज्ञान देता है उसका आदर करना धर्म माना जाता है। यही नहीं उनकी सेवा करने का भी कोई मौका नहीं छोड़ना चाहिए।

5-मनु स्मृति के अनुसार, सिर्फ वेदों की शिक्षा देने वाला ही गुरु नहीं होता। हर वो व्यक्ति जो हमारा सही मार्गदर्शन करे, उसे भी गुरु के समान ही समझना चाहिए।

6-ऐसा व्यक्ति जिसने आपको नौकरी दिलाने में मदद की हो, वो आपका सबसे बड़ा गुरु होता है। फिर चाहे वो दफ्तर में ही क्यों न हों। हमेशा उनसे सलाह लेनी चाहिए।

7-जो व्यक्ति धर्म के कार्यो में हमेशा लगा रहता है उसे भी गुरु के बराबर का दर्जा देने चाहिए। अगर धर्मात्मा व्यक्ति कभी कोई सलाह दे तो उसे भी गुरु के समान समझकर उसका पालन करना चाहिए।

8- जिनसे आप गुरु दीक्षा लेते हैं वे है आपके गुरु ।

इसीलिए कबीर दास जी ने कहा है कि -

 "गुरु-गोविंद दोउ खड़े, काके लागौ पाय ।
 बलिहारी गुरु आपने,गोविंद दियो बताय ।।

 आचार्य राजेश कुमार








Wednesday 25 July 2018

    आंखों से चश्मा हटाने का अचूक व कारगर उपाय:--
"चाक्षुषोपनिषद(चक्षुसी विद्या )  से  "​आँखों के रोग मिटाएं, दृष्टि तेज करें :--
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मित्रों हमारे जीवन में आंखों की ज्योति के बिना जीवन नरक के समान है । आप सभी को जानकर हैरत होगी कि पुराने ज़माने में सैकड़ो वर्ष पूर्व आंखों का चश्मा नही होता था तब भी लोगों की आंखें या तो उम्र बढ़ने की वजह से या बीमारी की वजह से कमज़ोर होती थीं लेकिन लोग वेद मंत्रो चाक्षुषोपनिषद(चक्षुसी विद्या ) के द्वारा अपनी आंखों की रोशनी ठीक या स्थिर कर लेते थे। ऋषियों-मुनि यों की आंखे बिल्कुल स्वस्थ होती थीं। 

        सूर्य नेत्रों, बुद्धि और तेज के देवता हैं और उनकी उपासना से आँखों के रोग नष्ट होकर नेत्र ज्योति बढ़ती है, बुद्धि का विकास होता है और व्यक्ति का ओज-तेज बढ़ता है।

सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं। जो भी व्यक्ति सूर्य की उपासना करता है वह आकर्षक व्यक्तित्व का धनी हो जाता है।

संसार में ऎसा व्यक्ति जिस किसी से मिलता है वह प्रिय हो जाता है और उसके सारे कार्य सहज ही सरलतापूर्वक होते जाते हैं।

आँखों की ज्योति बढ़ाने और नेत्र रोगों के शमन के लिए वैदिक परम्परा से चाक्षुषोपनिषद कारगर प्रयोग है।

रोजाना भोर में सूर्य के सम्मुख तीन बार जल से अर्घ्य चढ़ाने के बाद यदि इसका पाठ किया जाए तो अद्भुत लाभ अनुभव किया जा सकता है।

संभव हो तो रविवार को इसके ग्यारह या इससे अधिक पाठ करें। इसके नित्य प्रयोग से चश्मे का नंबर तक कम हो जाता है। इसे आजमाएँ और अपने अनुभवों से अवगत कराएं।

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चाक्षुषोपनिषद(चाक्षुषी विद्या)

विनियोग – ॐ अस्याश्चाक्षुषी विद्याया अहिर्बुध्न्यऋषिः, गायत्री छन्दः, सूर्यो देवता, चक्षूरोग निवृत्तये विनियोगः।
ॐ चक्षुः चक्षुः चक्षुः तेजः स्थिरो भव। मां पाहि पाहि। त्वरितं चक्षूरोगान् शमय शमय। मम जातरूपं तेजो दर्शय दर्शय। यथा अहम् अन्धो न स्यां तथा कल्पय कल्पय। कल्याणं कुरु कुरु। यानि मम पूर्वजन्मोपार्जितानि चक्षुः प्रतिरोधकदुष्कृतानि सर्वाणि निर्मूलय निर्मूलय।

ॐ नमः चक्षुस्तेजोदात्रे दिव्याय भास्कराय। ॐ नमः करुणाकरायामृताय। ॐ नमः सूर्याय। ॐ नमो भगवते सूर्यायाक्षितेजसे नमः। खेचराय नमः। महते नमः। रजसे नमः। तमसे नमः। असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मा अमृतं गमय। उष्णो भगवानञ्छुचिरूपः। हंसो भगवान शुचिरप्रतिरूपः।
य इमां चाक्षुष्मतीविद्यां ब्राह्मणो नित्यमधीते न तस्याक्षिरोगो भवति। न तस्य कुले अन्धो भवति। अष्टौ ब्राह्मणान् सम्यग् ग्राहयित्वा विद्यासिद्धिर्भवति। ॐ नमो भगवते आदित्याय अहोवाहिनी अहोवाहिनी स्वाहा।

॥ श्रीकृष्णयजुर्वेदीया चाक्षुषी विद्या॥

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इस चाक्षुषी विद्या के श्रद्धा-विश्वासपूर्वक पाठ करने से नेत्र के समस्त रोग दूर हो जाते हैं। आँखों की ज्योति स्थिर रहती है। इसका नित्य पाठ करने वाले के कुल में कभी कोई अन्धा नहीं होता। पाठ के अंत में गन्धादियुक्त जल से सूर्य को अर्घ्य  देकर नमस्कार करना चाहिए।

इस मंत्र का प्रतिदिन पाठ करने से आँखों की रौशनी ठीक रहती है तथा पुरानी आंखों की समस्या से भी मुक्ति मिल सकती है|

ॐ नमो| भगवते सूर्याय अक्षय तेजसे नमः|

ॐ खेचराय नमः|

ॐ महते नमः|

ॐ रजसे नमः|

ॐ असतोमासद्गामय| तमसोमा ज्योतिर्गमय| मृत्योर्मामृतंगामाया|

उष्णो भगवानम शुचिरुपः| हंसो भगवान हंसरुपः|

इमाम चक्शुश्मती विध्याम ब्राम्हणोंनित्यमधिते|

न तस्याक्षिरोगो भवति न तस्य कुलेंधो भवति|

अष्टो ब्राम्हानान प्राहाइत्व विध्यासिद्धिर्भाविश्यती|

ॐ विश्वरूपा घ्रिनानतम जातवेदा सन्हीरान्यमयाम ज्योतिरूपमायाम|

सहस्त्रराशिम्भिः शतधा वर्तमानः पुनः प्रजाना|

मुदयातेश्य सूर्यः|

ॐ नमो भगवते आदित्याय अहोवाहन वाहनाय स्वाहा|

हरिओम तत्सत ब्राम्हानें नमः|

ॐ नमःशिवाय|

ॐ सूर्यायअर्पणमस्तु|

आचार्य राजेश कुमार
Mail id-
rajpra.infocom@gmail.com

Sunday 3 June 2018

june 2018 ke tyohar

जून 2018 की शुरुआत हो चुकी है। इस माह कई महत्वपूर्ण व्रत पड़ेंगे। जिससे करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।  जून 2018 में होने वाले पर्व और त्यौहार के बारें में बताया गया है। जून महीने में होने वाले सभी पर्व और त्यौहार हिन्दू पंचाग के अनुसार निम्नानुसार है।


1 जून गुरुवार  : श्री दुर्गा अष्टमी व्रत, दश महाविद्या माता श्री धूमावती जी की जयंती, मेला क्षीर भवानी (जम्मू-कश्मीर), मेला स्थूल-मंडोल (हिमाचल)

2 शुक्रवार : श्री उमा ब्राह्मणी व्रत

4 रविवार : श्री गंगा दशहरा, श्री गंगा दशमी, दस दिनों के श्री गंगा व्रत-स्नान दशहरा समाप्त, श्री रामेश्वरम् प्रतिष्ठा दिवस, श्री रामेश्वरम् यात्रा दर्शन पूजन, सोपोर यात्रा धारलदा (ऊधमपुर), मेला श्री गंगा दशहरा महापर्व (हरिद्वार)

5 सोमवार : निर्जला एकादशी व्रत, मेला नमाणी एकादशी नौंवे गुरु बरहे (भटिंडा, पंजाब), श्री भीमसैनी एकादशी, श्री गायत्री जयंती, मेला पिपलु, हमीरपुर (हिमाचल), श्री रुक्मिणि विवाह; (ओडिशा)

6 मंगलवार : भौम प्रदोष व्रत, वट सावित्री व्रत (पूर्णिमा पक्ष), चम्पक द्वादशी

8 वीरवार : श्री सत्यनारायण व्रत

9 शुक्रवार : स्नानदान आदि की ज्येष्ठ की पूर्णिमा (आज ज्येष्ठा नक्षत्र होने से ज्येष्ठी योग है), देव स्नान पूर्णिमा, संत शिरोमणि भक्त कबीरदास जी की जयंती, मेला श्री शुद्ध महादेव यात्रा ऊधमपुर (जम्मू-कश्मीर)

10 शनिवार : आषाढ़ कृष्ण पक्ष प्रारम्भ

11 रविवार : श्री ऋषभदेव जी की जयंती

13 मंगलवार : संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत, अंगारकी चतुर्थी, चंद्रमा रात 10 बजकर 30 मिनट पर उदय होगा

15 गुरुवार  : सूर्योदय से पहले प्रात: 4 बजकर 28 मिनट पर पंचक प्रारम्भ, प्रात: 5 बजकर 32 मिनट पर सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करेगा, सूर्य की मिथुन संक्रांति एवं आषाढ़ महीना प्रारम्भ, संक्रांति का पुण्यकाल दोपहर 11 बजकर 56 मिनट तक है, मेला भुंतर (कुल्लू) एवं मेला पांडवों का बाड़ी मेला सरयांझ (सोलन)

17 शनिवार : मासिक काल अष्टमी व्रत, शहादत-ए-श्री हजरत अली जी, मेला माता श्री शूलिनी प्रारम्भ (सोलन)

19 सोमवार : सायं 5 बजकर 26 मिनट पर पंचक समाप्त

20 मंगलवार : योगिनी एकादशी व्रत

21 बुधवार : प्रदोष व्रत, सूर्य ‘सायण’ कर्क राशि में प्रवेश करेगा, सूर्य ‘दक्षिण अयन’ एवं वर्षा ऋतु प्रारम्भ

22 गुरुवार  : मासिक शिवरात्रि व्रत, श्री संगमेश्वर महादेव अरुणाय-पिहोवा (हरियाणा) के शिव त्रयोदशी पर्व की तिथि, राष्ट्रीय महीना आषाढ़ प्रारम्भ

23 शुक्रवार : शब-ए-कद्र एवं जमात-उल-विदा (रमजान का आखिरी जुम्मा)

 24 शनिवार : स्नानदान आदि की आषाढ़ की अमावस, शनैश्चरी (शनिवार) की अमावस, प्रात: 8 बजकर एक मिनट के बाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रारम्भ एवं आषाढ़ महीने के माता के गुप्त नवरात्रे प्रारम्भ, श्री ध्यानूं भगत जी की जयंती, विद्यादिक सम्मेलन प्रारम्भ श्री भैणी साहिब जी नामधारी पर्व (चंडीगढ़ रोड, लुधियाना)

25 रविवार : रथयात्रा-रथ महोत्सव (ओडिशा-श्री जगन्नाथपुरी जी), प्रारम्भ, मनोरथ द्वितीया, श्री जगन्नाथ पुरी (ओडिशा) में  श्री सुभद्रा जी-श्री बलराम जी एवं श्री जगदीश जी का भव्य रथ महोत्सव का शुभ प्रारम्भ, चंद्र दर्शन

27 मंगलवार : सिद्धि विनायक श्री गणेश चतुर्थी व्रत

29 गुरुवार  : स्कन्द षष्ठी, कुमार षष्ठी, श्री महावीर च्यवन दिवस (जैन पर्व), शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह जी की बरसी

30 जून शुक्रवार : विवस्वत् सप्तमी, विवस्वत् (सूर्य) पूजा।

 

दिव्यांश ज्योतिष केंद्र

 

जून माह में सूर्य, मंगल ,बुध और शुक्र बदलेंगे अपनी चाल:- जून में कई ग्रह बदलेंगे अपना स्थान, किन राशियों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा



जून का महीना शुरू हो चुका है और इस महीने में कई ग्रह अपना स्थान परिवर्तन करने वाले हैं। ज्योतिष के अनुसार सभी 9 ग्रह समय-समय पर एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। इन ग्रहों के परिवर्तन से सभी राशियों पर इसका प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं जून महीने में ग्रहों के परिवर्तन का सभी 12 राशियों पर क्या होगा असर।आइये जानते हैं:-

सूर्य:-
ग्रहों के राजा माने जाते हैं और लगभग एक महीने में एक राशि से दूसरी राशि में अपना स्थान परिवर्तन करते है। सूर्य जून के पहले 15 दिनों तक वृष राशि में रहेंगे इसके बाद मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।

मंगल :-
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जून के शुरुआती समय में मकर राशि में गोचर करेंगे फिर इसके बाद 27 जून को यह ग्रह वक्री होगा। 
बुध:-
-अगर बात बुध ग्रह की कीजाय तो 10 जून को यह मिथुन राशि में प्रवेश करेगा फिर इसके बाद कर्क राशि में प्रवेश करेगा।

शुक्र:-
8 जून को शुक्र कर्क राशि में प्रवेश करेगा। बाकी ग्रहों की स्थिति पहले जैसी रहेगी।

माह जून- में ग्रहों के परिवर्तन से राशियों पर क्या होगा असर:-


मेष- तनाव बढ़ सकता है। परिवार और दोस्तों के बीच मनमुटाव रहेगा। सरकारी क्षेत्र में परेशानी होगी। व्यवसाय में लाभ कम होगा।

वृष- अचानक कहीं से धन की प्राप्ति हो सकती है या फिर कोई पुराना पैसा वापस आपको मिल सकता है।

मिथुन- किसी विशेष व्यक्ति से मुलाकात संभव है जो भविष्य में आपके फायदे दिला सकता है।

कर्क- आपके साथ कोई दुर्घटना हो सकती है वाहन चलाते समय सावधानी बरतें।

सिंह- नौकरी में पदोन्नति मिलने की प्रबल संभावना है।

कन्या- कोई शुभ समाचार मिलने के संकेत है।

तुला- मन प्रसन्न रहेगा। प्रतिकूल स्थितियों पर विजय मिलेगी। व्यवसाय में धन लाभ होगा। घर में खुशी होगी।

वृश्चिक- आत्मबल बढ़ेगा। विरोधी परास्त होंगे। नौकरी में वर्चस्व बना रहेगा। व्यावसायिक लाभ व साख बढ़ेगी।

धनु- नौकरी में सम्मान बना रहेगा। राजकाज में सफलता मिलेगी। व्यवसाय में लाभ कम होगा। घर में शांति रहेगी।

मकर- स्वास्थ्य का ध्यान रखें। कार्य क्षेत्र में वरिष्ठों से मतभेद रहेंगे। व्यवसाय में लाभ होगा। मन अशांत रहेगा।

कुंभ- उत्साह में वृद्धि होगी। कार्य विशेष में सफलता मिलेगी। नौकरी में मन लगेगा। व्यवसाय में लाभ होगा।

मीन- धर्म कर्म में रुचि रहेगी। चली आ रही चिंता से मुक्ति मिलेगी।व्यावसायिक स्थिति व लाभ से संतुष्ट रहेंगे।
आचार्य राजेश कुमार