Wednesday 12 April 2017

अब पछताने से क्या हुआ जब चिड़िया चुग गई खेत -----पार्ट-1

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अब पछताने से क्या हुआ जब चिड़िया चुग गई खेत  -----पार्ट-1
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मेरे प्रिय मित्रों,

     हमने अपने जीवन के कार्यकाल में अनगिनत लोगों की कुंडली देखी, उनकी समस्या का ईलाज किया । उनमे से 80-85% लोगों की समस्या का समाधान भी हुआ।
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     दूसरी बात मेरे पास आने वालों में 90% लोग अपने या अपनों की ऐसी समस्या लेकर आये जिसका समाधान समाज के अन्य प्रतिष्ठानों पर नहीं मिला और उन्होंने अंतिम मुकाम के तौर पर एस्ट्रोलॉजी को चुना जबकि वो चाहते तो एस्ट्रोलॉजी को प्रथम विकल्प के रूप में रखकर सही समय पर उस समस्या का समाधान कर सकते थे।  उदाहरण के तौर पर
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     1-यदि  किसी के बच्चे का उसकी शिक्षा के अनुरूप उसका चयन बार-बार नहीं हो पा रहा है तब  उस बच्चे का स्वर्णिम अवसर निकल जाने के बाद उनको astrology याद् आयी। पता चला तब तक उसकी उम्र तय सीमा से अधिक हो गई अथवा अत्यदिक विलम्ब के कारण उसकी समस्या जटिल हो गई।

     2-इसी प्रकार किसी की शादी नहीं हो पा रही है तो कई वर्ष तक भटकने  के बाद अथवा काफी विलम्ब से शादी कर देने के पश्चात् तलाक हो गया तब मेरे पास आए।

     3-इसी तरह किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति उस बीमारी के क्रोनिक (असाध्य रोग) बनाने के बाद अंतिम विकल्प के रूप में एस्ट्रोलॉजी को चुना ।

     4-अपने मन से कोई व्यापार में लाखों करोडो रूपये लगा कर सब कुछ गंवा कर क़र्ज़ में हो जाने के बाद हमसे तुरंत इलाज की उम्मीद लेकर आते हैं।
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     तो प्रिय मित्रों उपरोक्त जैसे हालात में एस्ट्रोलॉजर के सामने चुनौती हो जाती है कि वो क्या करे क्योंकि ऐसे व्यक्तियों को एस्ट्रोलॉजर से तुरंत समाधान की उम्मीद भी होती  हैं भले वह तीन वर्षों तक समय बर्बाद कर दिए  हों । लेकिन अस्ट्रोलोगेर को तीन माह भी नहीं दे सकते।
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     ऊपर से एस्ट्रोलॉजर द्वारा बताये गए ईलाज को करने में भी उनको तरह-तरह की भ्रम भय एवं भ्रांतियां उत्पन्न होती हैं जिसका भरपूर फायदा कम या अधूरा/ पुराना ज्ञान रखने वाले  अस्ट्रोक्लोजर उठा लेते हैं।
       क्रमशः----पार्ट-2
🙏🙏🌺🙏🙏🌺🙏🙏🌺🙏🙏
आचार्य राजेश कुमार
मोब न. 9454320396/7607718546

अब पछताने से क्या हुआ जब चिड़िया चुग गई खेत -----पार्ट-2

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अब पछताने से क्या हुआ जब चिड़िया चुग गई खेत  -----पार्ट-2
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मेरे प्रिय मित्रों,

मेरा 22 वर्ष का व्यक्तिगत अनुभव यह है कि जो  इंसान अपनी ज़िंदगी में  चारो तरफ से मुसीबत एवं  समस्याओं से घिर जाता है एवं जब चारो तरफ के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं उसकी गाड़ी बिल्कु रुक जाती है तब उसे आखिरी रास्ता ऐस्ट्रोलॉजी दिखाई पड़ती है । ऐसे लोगों को हमारे यहाँ जल्दी या थोड़ा विलम्ब से 100% सफलता मिली है।
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  उसका मुख्य कारण यह है कि वह व्यक्ति हमारे द्वारा बताये गए ईलाज/उपाय को बड़ी ही आत्मिक संलग्नता के साथ और बड़ी ही ईमानदारी से करता है यहाँ तक की किसी अन्य व्यक्ति का उस इलाज में दख़ल भी उसे बर्दाश्त नहीं होता अर्थात वह वही करता है जो पर्चे में लिखा होता है जिस कारण वह 100% सफल होता है।
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 मैंने अक्सर देखा है कि बड़े ही संभ्रांत परिवार के  लोग  बड़े अभिमान के साथ कहते हैं कि मैं तो ये सब नहीं मानता ये सब बकवास ,बेवकूफी इत्यादि शब्दो से एस्ट्रोलॉजी को पुकारा जाता है। लेकिन मित्रो आपको बता दूं कि  मनुष्य का जीवनचक्र  अधिकतर बड़ा होता है। जिस कारण हर इंसान को जीवन के किसी ना किसी मोड़ पर सारे रास्ते बंद ज़रूर मिलते हैं  चाहें वो समय कुछ ही छण के लिए आये मगर आता ज़रूर है।
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 तब उनको वही बकवास,बेवकूफी वाली एस्ट्रोलॉजी याद आती है।
 उदाहरण के लिए जैसे आम इंसान किसी गंभीर बीमारी या कोर्ट,कचहरी,मुकदमें के बारे में कभी नहीं सोचता है लेकिन जब उसके ऊपर उक्त समस्या पड़ती है तो डॉक्टर या वकील से कंसल्ट करना पड़ता है।
 मित्रो एस्ट्रोलॉजी के सम्बन्ध में मेरे द्वारा लिखा गया लेख" इंसान के जीवन में ग्रहों का खेल " का पार्ट-1 एवं पार्ट -2  आप् सभी को अवश्य पढ़ना चाहिए जो google पर search करने से  या मेरे ब्लॉग पर मिल जायेगा।
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 दूसरी बात आप सभी को यह बात बताना आवश्यक समझता हूँ की अन्य मेडिकल साइंस की तरह ही अस्ट्रोलॉजिक्ल साइंस( ज्योतिष् विज्ञानं) भी एक बहुत ही अहम् विषय है जिसका अध्ययन भारत वर्ष की विभिन्न  यूनिवर्सिटीज कराती हैं। इन्डियन एस्ट्रोलॉजर का विदेशो में अधिक डिमांड के कारण बहुत से युवा इसे अपना कैरियर बना कर अग्रिम दिशा की और बढ़ रहे हैं।

       ज्योतिष् विज्ञान के माध्यम से सभी प्राणियों के जीवन चक्र के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होती है एवं किसी भी समस्य का सटीक इलाज भी किया जाता है क्योंकि मनुष्य का शरीर 5 तत्वों  तथा ग्रह-नक्षत्रो से मिलकर बना है यह सबसे पुराना विषय एवं अथाह समुन्दर है। आज भी इस पर लगातार खोज हो रही है। इस क्षेत्र में वही एस्ट्रोलॉजर सफल होता  है जो निरंतर अध्ययन ,सेमिनार में लगा हुआ है।
       अतः आप सभी मित्रों से निवेदन है कि किसी विद्वान ज्योतिष् से समय समय पर अपने एवं अपनों का अस्ट्रोलोजीकल विश्लेषण अवश्य कराते रहें।
यादरखें वाह्यआडंबर,अधिकउम्र ,तिलक ,पोशाक से ज्योतिष् विद्वान नहीं होता है बल्कि आतंरिक व्यक्तित्व ,संपूर्ण ज्ञान  निरंतर अध्ययन से ही वह विद्वान होता है।
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       आचार्य राजेश कुमार
 Mob no-9454320396/7607718546

इंसान

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इंसान के जीवन में ग्रहों का खेल                   पार्ट-2
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मेरे प्रिय मित्रों,मैंने पिछले दिनों"इंसान के जीवन मे ग्रहों का खेल "नामक लेख आप के समक्ष अति सरल भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास किया ताकि आप "ज्योतिष् विज्ञान "के अनुसार इस समाज के बारे में जान सकें।
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उक्त लेख से संबंधित बहुत से सवाल मित्रों ने व्यक्तिगत रूप से पूछा  जिसमे से एक कॉमन सवाल का संछिप्त विवरण आपके समक्ष रखना चाहूँगा।
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प्रश्न न 1-
यदि ज्योतिष् में   सभी सामस्या का इलाज होता तो हर इंसान अपनी प्रतिकूल परिस्थिति को अनुकूल बना लेता एवं अपनी समस्या दूर कर लेता । कोई समस्या मे पड़ता क्यों?ज्योतिष् खुद अपनी समस्या दूर कर लेता।
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उत्तर-
मित्रों आपको यह जानकारी देनी आवश्यक है की ज्योतिष विज्ञान यह नहीं कहता की हर समस्या का इलाज संभव है ,मेडिकल साइंस की तरह ही ज्योतिष विज्ञान में भी या तो इलाज है या नहीं है,ये ज्योतिषी ही बता सकता है।ग्रहों की केमेस्ट्री बता देती है की अमुक व्यक्ति अमुक समस्या से ग्रसित है या होगा । उदाहरण के लिए यदि विवाह योग नहीं है या विलंब है या द्विभारया योग है इत्यादि।
यदि उस कमजोर ग्रह की केमेस्ट्री उसे मजबूत करने से ठीक हो जाती है तो विवाह अवश्य होगा परंतु विवाह का योग नहीं है और हम उस कमजोर ग्रह का पूजा-पाठ,रत्न से उपचार कर रहे हैं तो भी विवाह नहीं होगा यह तय है।
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इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति बीमार पड़ने वाला है या उसका ऐक्सिडेंट होने वाला है तो उस घटना का योग आएगा परन्तु यदि समय रहते उसका इलाज/उपचार कर लिया जाय तो वह घटना हल्के मे निपट सकती है ।
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इसके लिए मैं एक सच्ची घटना बताता हूँ।
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वर्ष-2007 में  फैज़ाबाद के एक इंजीनियर श्री ए के सक्सेना के सुपुत्र का जुलाई मांह मे मारकेस की दशा लगने वाली थी, जिस कारण उन्होंने मेरे कहने पर कुछ ज़रूरी उपाय एवं जाप कराया। पूजा के आखिरी दिन भोज रक्खा गया।  भोज से संबंधित कुछ सामान लाने हेतु उनका लड़का साईकिल से बाज़ार गया परंतु काफी समय तक वापस नहीं आया।
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तब उनके पिता उसे ढूढ़ने निकले तो आगे सब्जी/फलमंडी के पास भीड़ लगी देख कर श्री सक्सेना दिल थम कर भीड़ के बीच मे जाकर देखा की उनके सुपुत्र जिस साइकिल से गए थे,वह साइकिल ट्रक के नीचे बुरी तरह कुचली पड़ी है परंतु उनका लड़का उनको नहीं दिखा। उन्होंने डरते हुए वहां उपस्थित लोगों से पूछा तो लोग उनको वही पास मे पड़े पुवाल( घास-फुस)की तरफ उनको ले गए जहां उनके सुपुत्र को कुछ पुरुष-महिलाएं बैठ कर हवा कर रहे थे परंतु उसे एक खरोंच तक नही आई थी। दरअसल हुआ यूँ की जब लड़का चौराहा पार कर रहा था तभी अचानक तेज गति से एक ट्रक सामने से लड़के को धक्का मारती हुई तेज ब्रेक की आवाज़ से घिसटती हुई तिरछे खड़ी हो गई थी।लड़का झटके के कारण दूर जा गिरा और साइकिल ट्रक के नीचे आ गई।
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मित्रों यहां यही कहना है की उस घटना का योग आया, घटना हुई,परंतु लड़का बच गया इसे आप क्या कहेंगे .........संयोग। यदि समय रहते उपचार नहीं हुआ होता या इंजीनियर साहब मेरी बात नही माने होते तो ना जाने क्या होता।
मित्रों वैसे भी इंसान जब बीमार होता है तभी  डॉक्टर के पास जाता है और  डॉक्टर के द्वारा लिखे हर दवा को करता है क्योंकि उसको डॉक्टर पर पूरा विश्वास होता है इसलिए उनके इलाज से ठीक हो जाता है किन्तु कुछ लोग ज्योतिषी द्वारा पर्चे पर लिखे गए उपचार/उपाय को नही करते क्योंकि शायद  उनको ज्योतिषी पर विष्वास नहीं होता है।

मित्रों मुझे उम्मीद है की आपके मन-मस्तिस्क मे उठ रहे सवाल का जवाब मिल गया होगा।क्रमशः  पार्ट तीन
  कोटि-कोटि प्रणाम ,
                       जय माता की,
              टीम दिव्यांश ज्योतिष्           फोन-9454320396/7607718546
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Monday 10 April 2017

Origin of horoscope given by scientists

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Knowledgeable topic given by Astrological Scientists :-

The 4,000 Year History of Horoscopes: How Astrology Has Been Shaped Throughout the the Millennia

(Read the article on one page)

Every time ancient Greece is mentioned, most people automatically think of democracy, the Olympic Games, mythology, philosophy, technology and various sciences such as mathematics and astronomy. It seems that very few are aware that the ancient Greeks were also superstitious, despite their logical thinking. This perhaps explains why it was the Greeks who shaped the system of astrology into its modern day form, even though the first organized system of astrology arose during the 2nd millennium BC, in Babylon.

The Greeks are Introduced to Astrology

The Babylonians were the first people to systematically apply myths to constellations and astrology and describe the twelve signs of the zodiac. The Egyptians followed shortly after by refining the Babylonian system of astrology, but it was the Greeks who shaped it into its modern form. The Greeks borrowed some of their myths from the Babylonians and came up with their own. For that matter, even the word astrology – as well as the science of astronomy – is derived from the Greek word for star, “asteri.” But how and when did the Greeks were first introduced to astrology?

Looking to the Stars of Australian Aboriginal AstronomyCan Astronomy Explain the Biblical Star of Bethlehem?An Ancient Mayan Copernicus: Hieroglyphic Texts Reveal Mayans Made Major Discovery in Math, Astronomy

During the conquest of Asia by Alexander the Great, the Greeks were eventually introduced to the unknown cultures and cosmological schemes of Syria, Babylon, Persia and central Asia. It didn’t take too long after that for the Greeks to overtake cuneiform script as the international language of academic communication and part of this action was the transference of astrology from cuneiform to Greek.

Astrological clock at Venice ( CC0)
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Around 280 BC, Berossus, a priest of Bel from Babylon, traveled to the Greek island of Kos where he ended up teaching astrology and Babylonian culture to the local populations. This was the very first time that the world of astrology was transferred officially to the Hellenistic (and this Western) world of Greece and Egypt that was under Greek rule at the time. Initially, the ancient Greeks that were known for their logical way of thinking, were skeptical about astrology and wondered about many things, such as why animals weren't ruled by the same cosmic powers as humans for example.
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By the first century BC two varieties of astrology were in existence: one that required the reading of horoscopes in order to learn accurate details about the past, present and future, while the other focused to the soul's ascent to the stars and the search for human meaning in the sky. In other words, the Greeks attempted to understand general and individual human behavior through the influence of planets and other celestial objects, while some used astrology as a form of dialogue with the divine.
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The Zodiac and Ptolemy’s Contributions to Western Astrological Tradition
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Horoscopic astrology first appeared in Hellenistic Egypt. The earliest extant Greek text using the Babylonian division of the zodiac into twelve signs of thirty equal degrees each is the Anaphoricus of Hypsicles of Alexandria in 190 BC. Furthermore, the sculptured “Dendera zodiac” – a bas-relief from the ceiling of the pronaos of a chapel dedicated to Osiris in the Hathor temple at Dendera, containing images of Taurus and the Libra dating 50 BC – is the first known depiction of the classical zodiac of twelve signs.

The Dendera zodiac as displayed at the Louvre. ( Public Domain )
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A very significant role in the development of Western horoscopic astrology was played by Greek mathematician, astrologer and astronomer Ptolemy, whose work Tetrabiblos laid the foundations of the Western astrological tradition. Under Ptolemy the planets, Houses, and signs of the zodiac were first explained in great detail while their function set down hasn’t changed much compared to the present day. Ptolemy lived in the 2nd century AD, three centuries after the discovery of the precession of the equinoxes by Hipparchus around 130 BC.
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15th-century map depicting Ptolemy's description of the inhabited world, (1482, Johannes Schnitzer). ( Public Domain )
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Hipparchus of Nicaea was a Greek astronomer, geographer, and mathematician, who is credited with the invention of trigonometry, even though he’s best remembered for his incidental discovery of precession of the equinoxes. His lost work on precession, however, never didn’t move around until it was brought to prominence by Ptolemy. Moreover, Ptolemy decisively explained the theoretical basis of the western zodiac as being a tropical coordinate system, by which the zodiac is aligned to the equinoxes and solstices, rather than the visible constellations that bear the same names as the zodiac signs.
Thanks,
 Acharya Rajesh kumar

Tuesday 4 April 2017

Ashtami puja

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अष्टमी तिथि का महत्व

चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व भारत सहित दुनिया के अन्य देशों में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। नवरात्र में माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। यह पर्व चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा से आरंभ होकर नवमी तिथि को समाप्त होता है और इस बार अष्टमी तिथि आज 4 अप्रैल 2017 को पड़ रही हैं।

महागौरी देवी माँ दुर्गा का आठवाँ रूप हैं। कहते हैं माँ पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए महागौरी का जन्म लिया था। इसके लिए उन्होंने कड़ी तपस्या की थी। इस कड़े तप के कारण माँ पार्वती का रंग काला हो गया था। उसके बाद शिव जी उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और गंगा के पवित्र जल से स्नान कराया जिसके बाद देवी का रंग गोरा हो गया। तब से उन्हें महागौरी कहा जाने लगा। यह माँ दुर्गा का बेहद शांत एवं निर्मल स्वरूप है। वृषभ इनका वाहन है। सच्चे मन से यदि माँ की उपासना की जाए तो यह भक्तों के हर कष्ट को दूर करती हैं।

                       चैत्र नवरात्री की नवमी एक और महत्वपूर्ण घटना के लिए जानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु ने भगवान राम के रूप में जन्म लिया था, इसलिए इसे राम नवमी कहा जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने धरती में एक मनुष्य रूप में लिया और उन्होंने घोर अहंकारी राक्षस रावण का वध कर माता सीता को उनकी क़ैद से छुड़ाया। राम भक्त राम नवमी को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। वे इस दिन उपवास रखते हैं और विधि-विधान के साथ भगवान राम की आराधना करते हैं।
  जय माता की,
 टीम दिव्यांश ज्योतिष्
 9454320396