Wednesday 4 January 2017

कैसे ग्रह नक्षत्र मनुष्य के जीवन पर प्रभाव डालते हैं


ग्रह-नक्षत्र कैसे डालते हैं मानव जीवन पर प्रभाव:-
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अक्सर यह सवाल मनुष्य के विचार में आता  है कि दूर बैठे ग्रह नक्षत्र कैसे मानव जीवन पर प्रभाव डाल सकते हैं?

       सूर्य और चंद्र सभी ओर एक साथ प्रकाशित होता है और यह सभी पर एक-सा प्रभाव डालते हैं। जब ऐसा है तो फिर कुंडली देखने या ज्योतिष द्वारा व्यक्ति विशेष पर ग्रहों के अच्छे या बुरे प्रभाव का विश्लेषण करना व्यर्थ है।
इस सवाल के उत्तर में विद्वान ज्योतिर्विद कहते हैं कि यह सही है कि सूर्य और चंद्र का प्रकाश इस धरती के एक विस्तृत भू-भाग पर एक-सा पड़ता है, लेकिन उसका प्रभाव भिन्न-भिन्न रूप में देखा जा सकता है। कहीं पर सूर्य के प्रकाश के कारण अधिक गर्मी है तो किसी ठंडे इलाके में उसके प्रकाश के कारण जीव-जंतुओं को राहत मिली हुई है। सूर्य का प्रकाश तो एक समान ही धरती पर प्रकाशित हो रहा है लेकिन धरती का क्षेत्र एक जैसा नहीं है। उसी प्रकाश से कुछ जीव मर रहे हैं तो कुछ जीव जिंदा हो रहे हैं। यदि हम यह मानें की एक क्षेत्र विशेष पर एक-सा प्रभाव होता है तो यह भी गलत है।

मान लो 100-200 किलोमीटर के एक जंगल में तूफान उठता है तो उस तूफान के चलते कुछ पेड़ खड़े रहते हैं और कुछ उखड़ जाते हैं, कुछ झुककर तुफान को निकल जाने देते हैं। इसी तरह जब सूर्य का प्रकाश पड़ता है तो कुछ जीवों को इससे राहत मिलती है, कुछ जीव उससे बीमार पड़ जाता हैं और कुछ की उससे मृत्यु हो जाती है। इस सब के बीच धरती पर गुरुत्वाकर्षण की शक्ति का प्रत्येक क्षेत्र, प्रकृति और व्यक्ति पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। वह इसलिये की प्रत्येक की प्रकृति अलग-अलग है।

इसी तरह समस्त ब्रह्मांड के ग्रह और नक्षत्र और उनकी अति सुक्ष्म हलचल का प्रभाव भी पृथ्वी पर पड़ता है। सूर्य और चंद्र के प्रभाव को तो प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है, लेकिन गुरु और शनि का प्रभाव दिखाई नहीं देता है इसलिए उसे नकारा जाना स्वाभाविक है

वैज्ञानिक कहते हैं कि सूर्य के प्रभाव से ऊर्जा और चन्द्रमा के प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है। चंद्र का प्रभाव जल पर अधिक पड़ता है। चंद्र के प्रभाव से समुद्र में अष्टमी के दिन लघु ज्वार और पूर्णिमा के दिन बृहद ज्वार उत्पन्न होता है। मनुष्य के भीतर स्थित जल पर भी चंद्र का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता था। हमारा मस्तिष्क जल में ही डूबा हुआ है। प्रत्येक व्यक्ति के भीतर जल की स्थिति भिन्न-भिन्न होती है। इस भिन्नता के कारण ही उस पर दूसरे से अलग प्रभाव होता है।

वैज्ञानिक शोधों से यह पता चला है कि पूर्णमासी के दिन अपराध, आत्महत्या और मानसिक तनाव में बढ़ोतरी हो जाती है। समुद्र में मछलियों के व्यवहार में भी परिवर्तन हो जाता है। यह भी देखा गया है कि इस दिन ऑपरेशन करने पर खून अधिक बहता है। शुक्ल पक्ष में वनस्पतियां अधिक बढ़ती है। सूर्योदय के बाद वनस्पतियों और प्राणियों में स्फूर्ति के प्रभाव को सभी भलिभांति जानते हैं।

सन 1920 में बहुत काल के शोध के बाद यह बताया कि हर 11 साल में सूर्य में विस्फोट होता है जो 1000 अणुबम के बराबर का होता है। इस विस्फोट के कारण धरती का वातारवण बदल जाता है। इस बदले हुए वातावरण के कारण धरती पर उथल-पुथल बढ़ जाती है। इस दौरान लडाई झगडे, मारकाट अधिक होते हैं। युद्ध भी इसी समय में होता है। जब ऐसा समय शुरू होता है तो फिर इस समय को शांत होने में भी समय लग जाता है। इसी दौरान पुरुषों का खून पतला हो जाता है, वृक्षों के तनों में स्थित वलय के आकार बड़े हो जाता है। इस दौरान कई तरह के घटनाक्रम देखे जा सकते हैं। तो यह कहना गलत है कि ग्रह और नक्षत्रों के मानव जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुनियों ने बहुत शोध, समझ और अनुभव के बाद यह जाना कि किस तरह प्रत्येक ग्रह और नक्षत्र का प्रभाव प्रत्येक मनुष्य पर कैसा होता है। सिर्फ ग्रह और नक्षत्रों का प्रभाव ही नहीं हमारे आसपास की प्रकृति और वातावरण से भी हमारे जीवन में उथल पुथल होती रहती है। उक्त सभी बातों को गहराई से समझने के बाद ही वास्तु अनुसार घरों का निर्माण होने लगा। योग और आयुर्वेद का सहारा लिया जाने लगा। नक्षत्रों की चाल समझकर मौसम का हाल जाना जाने लगा। जब धीरे धीरे समझ बड़ी तो ग्रहों के दुष्प्रवाव से बचने के अन्य उपाय भी ढूंढे जाने लगे। ज्योतिष जो उपाय बताते हैं वे अनुभूत सत्य पर आधारित और शास्त्र सम्मत होते हैं। यह अलग बात है कि कुछ मुट्ठीभर ज्योतिषियों के कारण इस विद्या पर संदेह किया जाता है।
    आचार्य राजेश कुमार

Saturday 24 December 2016

राजतंत्र

🍁 दुबई !


ऐसा राजतन्त्र

जिसे हम लोकतान्त्रिक प्राणी तानाशाही कहते है।




मैं भी तानाशाही में यकीन नही रखता था।


लेकिन अगर देखें तो तानाशाही ने दुबई को जन्नत बना दिया।



100 % रोजगार।


विश्व की सबसे अच्छी कानून व्यवस्था।


विश्व स्तर की स्वास्थ्य सेवाएं , हर किसी के लिए।


करप्शन फ्री देश।


न्यूनतम रिश्वतखोरी।


विश्वस्तर की हर सुविधा।



न्यूनतम नशाखोरी।


कानून तक हर किसी की पहुँच।


बलात्कार की एक नाकाम कोशिश आखिरी बार 2007 में हुई थी।

 आरोपी पठान अगले शुक्रबार को चौराहे पे लटकता हुआ पाया गया था।




एक बैंक डकैती हुई थी (नाकाम ) 2005 में।

सब के सब आरोपियों को गोली मार दी गयी थी।




ज्यादातर शो रूम्स में कांच की ही दीवारें होती है।


लोहे के भरी भरकम शटर नही।




किसी भी पब्लिक ऑफिस में आप लाइन नही लगा सकते ,


अपनी आटोमेटिक अपॉइंटमेंट पर्ची लो और सोफे पे बैठकर इंतज़ार करो।


आपका नंबर बोलकर बुलाया जायेगा।


रोड एक्सीडेंट होने पे चंद ही मिंटो में एम्बुलेंस ,


फिर पुलिस ,

 सिविल डिफेन्स।

और अगर जरूरत पड़े तो

 हेलीकाप्टर एम्बुलेंस भी हाजिर।



आधी रात को भी पश्चिमी औरतें स्कर्ट में घूमती है

 लेकिन क्या मजाल कि कोई छेड़छाड़ हो जाये।


999 में बस फोन घुमा दो।


फोन काटने से पहले ही पुलिस हाजिर।




ये वो देश है


जहाँ का राष्ट्रपति भी बिना सुरक्षा के अकेला निकल जाता है।


ये वो देश है जहाँ लोग अपने मुल्क को अपना मुल्क समझते है।



पुलिस न भी मौजूद हो


लेकिन अगर आप कुछ भी गलत करते हुए पकड़े गए तो आपकी खैर नही।


यहाँ के निवासी इस मुल्क की हर चीज को अपनी पर्सनल प्रॉपर्टी मानते है और उसका ख्याल रखते है।




और एक हमारा कथित लोकतंत्र है

 की खामिया ही खामिया।


आँखे बंद करके सोचना शुरू करदो।



अब साला दिल कहता काश ये सिस्टम भारत में भी होता।


 लोकतंत्र तो एक ढकोसला है।


हर पांच साल बाद एक लोल्लिपोप थमा देते है


और खुद नेता लोगो का खून चूसते है।
😳😳
कुछ सत्य पर कडवे सच
☺☺☺

1. भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जो अपने देश में बैठे गद्दारो पर कोई कार्यवाही नहीं करता....
😊😊😊

2. भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है. जहाँ अल्पसंख्यक समुदाय बहुसंख्यकँ समुदाय पर अत्याचार करता है....
😊😊😊

3. भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है. जिसमें सरहद पर तैनात सिपाही को एकसाल तक छुट्टी नहीं मिलती. लेकिन जेल में बंद संजय दत्त को हर 2 महीने से पैरोल पर छुट्टी मिल जाती है.....
😊😊😊

4. भारत दुनिया का ऐसा देश है, जहाँ लाखों अरबो का घोटाला करने वाले आजाद घूमते है. लेकिन जिसपे आरोप साबित नहीं हुआ है कैंसर पीडित ऐसी साध्वी को जेल मे रखते है
😊😊😊

5. भारत ऐसा देश है, जहाँ आतंकवादियों और बलात्कारियों के मानवाधिकारो के लिए लड़ने वाले मिल जाते है. लेकिन आतंकवादियों के हमलों में मरने वालों के लिए कोई मानवाधिकार की बात नहीं करता.....
😊😊😊

6. भारत ऐसा देश है जहां हिरन का शिकार करने पर कडी सजा का प्रावधान है लेकिन गौमाता जिसे हिन्दू मां मानते है की हत्या पर सब्सिडी दी जाती है
😊😊😊

7. भारत के सेकुलर नेता ऐसे है, जो आतंकवादियों को सम्मान देते है और राष्ट्रवादीयों को गालियां देते है....
😊😊😊

. 8. भारत दुनिया का ऐसा देश है, जहाँ बाहरी घुसपैठियों का घर बैठे राशन कार्ड और वोटर कार्ड बन जाते है. लेकिन इन सब के लिए चक्कर काटते काटते अपने देश के आम नागरिक की चप्पल घिस जाती है......
😊😊😊

9. भारत दुनिया ऐसा देश है जहां पांचवी पास आदमी एक स्कूल का चपरासी तो नही बन सकता लेकिन नेता बन सकता है
😊😊😊

10. भारत दुनिया का ऐसा देश है जहां के इतिहास मे भगतसिंह को आतंकवादी और भारत पर हमला करने वाले  अकबर और सिकन्दर को महान बताया गया है
😊😊😊

11. भारत दुनिया का ऐसा देश है जहां 80% अंक पाने वाला बेरोजगा र घूम सकता है और 40% से भी कम अंक पाने वाला आरक्षण के माध्यम से डाक्टर या जज बन सकता है...
😊😊😊
👆   कृपया आगे भेजकर अपने भारतीय होने का फर्ज निभायें

Friday 23 December 2016

*वाह मोदी जी वाह क्या गजब का खेल खेले हो*
कसम से इस नोटबंदी की पिक्चर में मजा आ गया
😁😛😄😜😃😃😂😆😀
*कांग्रेसी खुद ही अपना गुनाह कबूल रहे*

जो कांग्रेसी चिल्ला चिल्ला कर बोलते आ रहे थे की कांग्रेस ने देश का खूब विकास किया है ।

*अब वो खुद अपनी विकास की मार्कशीट दिखा रहे*

केशलेस इकोनोमी के विरोध के में क्या-क्या बोल रहे

*विषय 1- गरीबी*
देश की 50% जनता गरीब हे उनके पास खाते नही ?(मनमोहन सिंह)

*विषय 2 - शिक्षा*
देश की 60% जनता अनपढ़ है ऑनलाइन पेमेंट कैसे करेगी ?(राहुल गाँधी)

*विषय 3 - बेरोजगारी*
जिस देश में रोजगार ही नही वो केशलेस कैसे हो सकता है ?(अय्यर)

*विषय 4 - बिजली*
देश के 50% गावों में आज भी बिजली नही और मोदीजी केशलेस इकोनोमी की बात कर रहे ?(पी चिदम्बरम)

*विषय 5 - सुरक्षा*
जिस देश में संडास का डिब्बा भी बांधकर रखना पड़ता हे वहा ऑनलाइन पेमेंट सुरक्षित नही ?

*कांग्रेसी विरोध के चक्कर में गलती से अपनी मार्कशीट दिखा बैठे*
😃😁😜😄😀😛😆😂😝

Saturday 17 December 2016

               "दिव्यांश ज्योतिष केंद्र"
                 ग्रहों की जानकारी :-
               
नवग्रह में राहु  ग्रह का स्थान:~
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समुद्र मंथन के बाद जब भगवान विष्णु मोहिनी रूप में देवताओं को अमृत पिला रहे थे, उसी समय राहु देवताओं का भेष बना कर उनके बीच आ बैठा। पर उसको सूर्य और चन्द्रमा ने पहचान लिया और उसकी पोल खोल दी। तत्क्षण विष्णु भगवान ने सुदर्शन चक्र द्वारा उसकी गरदन काट डाली। पर तब तक उसने अमृत का घूंट भर लिया था, जिसकी वजह से वह अमर हो गया।
1 . शरीर के दो टुकड़े हो जाने पर सिर राहु कहलाया और धड़ केतु के नाम से जाना जाने लगा।

2. ब्रह्माजी ने उन्हें ग्रह बना दिया।

3. राहु का मुख भयंकर है। ये सिर पर मुकुट, गले में माला तथा काले रंग के वस्त्र धारण करता है।

4. इसके हाथों में क्रमश:- तलवार, ढ़ाल, त्रिशुल और वरमुद्रा है।

5. इसका वाहन सिंह है। राहु ग्रह मंडलाकार होता है।

6. ग्रहों के साथ ये भी ब्रह्माजी की सभा में बैठता है। पृथ्वी की छाया भी मंडलाकार होती है। राहु इसी छाया का भ्रमण करता है। ग्रह बनने के बाद भी वैर-भाव से राहु पुर्णिमा को चन्द्रमा और अमावस्या को सूर्य पर आक्रमण करता रहता है। इसे ही ग्रहण कहते हैं।

7. इसका रथ अंधकार रूप है। इसे कवच से सजे काले रंग के आठ घोड़े खींचते हैं।

8. इसकी महादशा 18 वर्ष की होती है। कुछ अपवादों को छोड़ कर यह क्लेशकारी ही सिद्ध होता है।

9. यदि कुंडली में इसकी स्थिति प्रतिकूल या अशुभ हो तो यह शारीरिक व्याधियों, कार्यसिद्धी में बाधा तथा दुर्घटनाओं का कारण बनता है। इसकी शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना श्रेयस्कर होता है।

10. इसका सामान्य मंत्र है : ॐ रां राहवे नम: इसका एक निश्चित संख्या में नित्य जप करना चाहिए। जप का समय रात्रिकाल है।
             आचार्य राजेश कुमार

Saturday 17 September 2016

श्राद्ध 2016

श्राद्ध 2016 -
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श्राद्ध परिचय- शास्त्रों में मनुष्य के लिए देव-ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण- ये तीन ऋण बतलाए गए हैं। इनमें श्राद्ध के द्वारा पितृ ऋण उतारना आवश्यक माना जाता है क्योंकि जिन माता-पिता ने हमारी आयु, आरोग्य और सुख-सौभाग्यादि की वृद्धि के अनेक यत्न या प्रयास किए उनके ऋण से मुक्त न होने पर मनुष्य जन्म ग्रहण करना निरर्थक माना जाता है। श्राद्ध से तात्पर्य हमारे मृत पूर्वजों व संबंधियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान प्रकट करना है। आश्विन कृष्णपक्ष को श्राद्ध पक्ष, पितृ पक्ष या महालय पक्ष कहा जाता है। दिवंगत व्यक्तियों की मृत्युतिथियों के अनुसार इस पक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध करने से हमारे पितृगण प्रसन्न होते हैं और6 मनुष्य का सौभाग्य बढ़ता है। पितृपक्ष को महालय के नाम से भी जाना जाता है। इस पूरे पक्ष में न तो कोई शुभ कार्य किया जाता है और न ही नए वस्त्र बनवाए अथवा ख़रीदे जाते हैं। इस पक्ष में शरीर पर तेल मालिश व बाल कटवाना भी वर्जित माना जाता है।
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श्राद्ध के दो भेद माने गए हैं- 6
1. पार्वण और 2. एकोद्दिष्ट

पार्वण श्राद्ध अपराह्न व्यापिनी (सूर्योदय के बाद दसवें मुहूर्त से लेकर बाहरवें मुहूर्त तक का काल अपराह्न काल होता है।) मृत्यु तिथि के दिन किया जाता है, जबकि एकोद्दिष्ट श्राद्ध मध्याह्न व्यापिनी (सूर्योदय के बाद सातवें मुहूर्त से लेकर नवें मुहूर्त तक का काल मध्याह्न काल कहलाता है।) मृत्यु तिथि में किया जाता है। पार्वण श्राद्ध में पिता, दादा, पड़-दादा, नाना, पड़-नाना तथा इनकी पत्नियों का श्राद्ध किया जाता है। गुरु, ससुर, चाचा, मामा, भाई, बहनोई,6 भतीजा, शिष्य, फूफा, पुत्र, मित्र व इन सभी की पत्नियों श्राद्ध एकोद्दिष्ट श्राद्ध में किया जाता है।
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मृत संबंधी व उनसे जुड़ी श्राद्ध तिथि-
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जिस संबंधी की मृत्यु जिस चंद्र तिथि को हुई हो उसका श्राद्ध आश्विन कृष्णपक्ष की उसी तिथि के दुबारा आने पर किया जाता है। सौभाग्यवती स्त्रियों का श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाता है। सन्यासियों का श्राद्ध द्वादशी तिथि को किया जाता है। विमान दुर्घटना, सर्प के काटने, जहर, शस्त्र प्रहार आदि से मृत्यु को प्राप्त हुए संबंधियों का श्राद्ध चतुर्दशी को करना चाहिए। जिन संबंधियों की मृत्यु तिथि पता न हो उनका श्राद्ध आश्विन अमावस्या को किया6 जाता है। जिन लोगों की मृत्यु तिथि पूर्णिमा हो उनका श्राद्ध भाद्रपद पूर्णिमा अथवा आश्विन अमावस्या को किया जाता है। नाना, नानी का श्राद्ध आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को किया जाता है।
श्राद्ध करने की विधि-
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         श्राद्ध तिथि के दिन प्रातःकाल उठकर किसी पवित्र नदी अथवा घर में ही स्नान करके पितरों के नाम से तिल, चावल(अक्षत) और कुशा घास हाथ में लेकर पितरों को6 जलांजलि अर्पित करें। इसके उपरांत मध्याह्न काल में श्राद्ध कर्म करें और ब्राह्मणों को भोजन6 करवाकर स्वयं भोजन करें। शास्त्रानुसार जिस स्त्री के कोई पुत्र न हों वह स्वयं अपने पति का श्राद्ध कर सकती है। इस दिन गया तीर्थ में6 पितरों के निमित्त श्राद्ध करने के विशेष माहात्म्य माना जाता है। प्रायः परिवार का मुखिया या सबसे बड़ा6 पुरुष ही श्राद्ध कार्य करता है।
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उपरोक्त विधि से जिस परिवार में श्राद्ध किया जाता है, वहां यशस्वी लोग उत्पन्न होते हैं और व्यक्ति आरोग्य रहता है। ऐसा विश्वास है कि श्राद्ध से प्रसन्न होकर पितृगण श्राद्धकर्ता को आयु, धन, विद्या, सुख-संपति आदि प्रदान करते हैं। पितरों के पूजन से मनुष्य को आयु, पुत्र, यश-कीर्ति, लक्ष्मी आदि की प्राप्त6 सहज ही हो जाती है।
  सधन्यवाद,
         

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