Saturday 17 September 2016

श्राद्ध 2016

श्राद्ध 2016 -
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
श्राद्ध परिचय- शास्त्रों में मनुष्य के लिए देव-ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण- ये तीन ऋण बतलाए गए हैं। इनमें श्राद्ध के द्वारा पितृ ऋण उतारना आवश्यक माना जाता है क्योंकि जिन माता-पिता ने हमारी आयु, आरोग्य और सुख-सौभाग्यादि की वृद्धि के अनेक यत्न या प्रयास किए उनके ऋण से मुक्त न होने पर मनुष्य जन्म ग्रहण करना निरर्थक माना जाता है। श्राद्ध से तात्पर्य हमारे मृत पूर्वजों व संबंधियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान प्रकट करना है। आश्विन कृष्णपक्ष को श्राद्ध पक्ष, पितृ पक्ष या महालय पक्ष कहा जाता है। दिवंगत व्यक्तियों की मृत्युतिथियों के अनुसार इस पक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध करने से हमारे पितृगण प्रसन्न होते हैं और6 मनुष्य का सौभाग्य बढ़ता है। पितृपक्ष को महालय के नाम से भी जाना जाता है। इस पूरे पक्ष में न तो कोई शुभ कार्य किया जाता है और न ही नए वस्त्र बनवाए अथवा ख़रीदे जाते हैं। इस पक्ष में शरीर पर तेल मालिश व बाल कटवाना भी वर्जित माना जाता है।
🐠🐠🐠🐠🐠🐠🐠
श्राद्ध के दो भेद माने गए हैं- 6
1. पार्वण और 2. एकोद्दिष्ट

पार्वण श्राद्ध अपराह्न व्यापिनी (सूर्योदय के बाद दसवें मुहूर्त से लेकर बाहरवें मुहूर्त तक का काल अपराह्न काल होता है।) मृत्यु तिथि के दिन किया जाता है, जबकि एकोद्दिष्ट श्राद्ध मध्याह्न व्यापिनी (सूर्योदय के बाद सातवें मुहूर्त से लेकर नवें मुहूर्त तक का काल मध्याह्न काल कहलाता है।) मृत्यु तिथि में किया जाता है। पार्वण श्राद्ध में पिता, दादा, पड़-दादा, नाना, पड़-नाना तथा इनकी पत्नियों का श्राद्ध किया जाता है। गुरु, ससुर, चाचा, मामा, भाई, बहनोई,6 भतीजा, शिष्य, फूफा, पुत्र, मित्र व इन सभी की पत्नियों श्राद्ध एकोद्दिष्ट श्राद्ध में किया जाता है।
🌞🌞🌞🌞🌞🌞
मृत संबंधी व उनसे जुड़ी श्राद्ध तिथि-
🌴🌱🌿☘🍀🍃
जिस संबंधी की मृत्यु जिस चंद्र तिथि को हुई हो उसका श्राद्ध आश्विन कृष्णपक्ष की उसी तिथि के दुबारा आने पर किया जाता है। सौभाग्यवती स्त्रियों का श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाता है। सन्यासियों का श्राद्ध द्वादशी तिथि को किया जाता है। विमान दुर्घटना, सर्प के काटने, जहर, शस्त्र प्रहार आदि से मृत्यु को प्राप्त हुए संबंधियों का श्राद्ध चतुर्दशी को करना चाहिए। जिन संबंधियों की मृत्यु तिथि पता न हो उनका श्राद्ध आश्विन अमावस्या को किया6 जाता है। जिन लोगों की मृत्यु तिथि पूर्णिमा हो उनका श्राद्ध भाद्रपद पूर्णिमा अथवा आश्विन अमावस्या को किया जाता है। नाना, नानी का श्राद्ध आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को किया जाता है।
श्राद्ध करने की विधि-
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
         श्राद्ध तिथि के दिन प्रातःकाल उठकर किसी पवित्र नदी अथवा घर में ही स्नान करके पितरों के नाम से तिल, चावल(अक्षत) और कुशा घास हाथ में लेकर पितरों को6 जलांजलि अर्पित करें। इसके उपरांत मध्याह्न काल में श्राद्ध कर्म करें और ब्राह्मणों को भोजन6 करवाकर स्वयं भोजन करें। शास्त्रानुसार जिस स्त्री के कोई पुत्र न हों वह स्वयं अपने पति का श्राद्ध कर सकती है। इस दिन गया तीर्थ में6 पितरों के निमित्त श्राद्ध करने के विशेष माहात्म्य माना जाता है। प्रायः परिवार का मुखिया या सबसे बड़ा6 पुरुष ही श्राद्ध कार्य करता है।
🌻🌻🌻🌻🌻🌻
उपरोक्त विधि से जिस परिवार में श्राद्ध किया जाता है, वहां यशस्वी लोग उत्पन्न होते हैं और व्यक्ति आरोग्य रहता है। ऐसा विश्वास है कि श्राद्ध से प्रसन्न होकर पितृगण श्राद्धकर्ता को आयु, धन, विद्या, सुख-संपति आदि प्रदान करते हैं। पितरों के पूजन से मनुष्य को आयु, पुत्र, यश-कीर्ति, लक्ष्मी आदि की प्राप्त6 सहज ही हो जाती है।
  सधन्यवाद,
         

🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Thursday 25 August 2016

"दिव्यांश ज्योतिष् केंद्र"
🌺🌸🌻🍁🌸🍃
जन्माष्टमी 2016: पूजा करने का सही मुहूर्त एवं समय:-
भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी इस बार 25 अगस्त को है। ज्योतिषियों के मुताबिक 24 अगस्त को रात 10:17 मिनट से ही अष्टमी लग जायेगी। लेकिन व्रत रखने का अच्छा दिन गुरूवार को ही है इसलिए जन्माष्टमी का   व्रत इसी दिन यानी 25 अगस्त को ही रखे।

भगवान श्रीकृष्ण श्री विष्णु के आठवें अवतार हैं। यह भगवान श्रीकृष्ण का 524वां जन्मोत्सव है। जन्माष्टमी पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त 12 बजे से लेकर 12:45 तक है। यूं तो पारण का समय 26 तारीख को सुबह 10 बजकर 52 मिनट है लेकिन जो लोग पारण को नहीं मानते वो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद और उनकी पूजा करने के बाद यानी कि 25 अगस्त को ही रात 12:45 बजे के बाद अपना व्रत तोड़ सकते हैं।

इस दिन भगवान स्वयं  पृथ्वी पर अवतरित हुए थे इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी अथवा जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन स्त्री-पुरुष रात्रि बारह बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान कृष्ण को झूला में झुलाया जाता है।

सभी लोग इस दिन अलग-अलग तरीके से पूजा-पाठ करते हैं। लेकिन इस दिन इन मंत्रों का जाप बहुत शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। सात अक्षरी, आठ अक्षरी और बारह अक्षरी मंत्र बोलने और जप करने में बड़े सरल और मंगलकारी हैं और ये मंत्र हैं -
ऊं क्रीं कृष्णाय नमः
'गोकुल नाथाय नम:'
'ऊँ नमो भगवते श्री गोविन्दाय'
'गोवल्लभाय स्वाहा'
सधन्यवाद,
   आचार्य राजेश कुमार🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Wednesday 17 August 2016

wWHEN U WILL GET MARRIAGE

शादी कब होगी! यह प्रश्न भले है छोटा है लेकिन हमारे समाज के लिए यह एक अहम प्रश्न है. बच्चों के जन्म के साथ ही माता पिता उनकी शादी का सपना संजोने लगते हैं. जब युवावस्था में बच्चे पहुंचते हैं तो माता पिता अपने बच्चों के लिए योग्य जीवनसाथी की तलाश करने लगते हैं. यह तलाश जब लम्बी होने लगती है तो मन में प्रश्न उठने लगता है शादी कब होगी?

विवाह के कारक ग्रह और स्थिति (Marriage Karakas and Planetary Positions)


पति पत्नी का रिश्ता ईश्वर तय करता है. ईश्वर द्वारा निर्धारत समय में ही विवाह सम्बन्ध होता है लेकिन अपने कर्तव्य से बंधकर हर माता पिता अपने बच्चों का घर बसाने के लिए चिंतित होते हैं. इस चिंता का निवारण तब होता है जब ग्रह की स्थिति अनुकूल होती है. ज्योतिषीय विधान में विवाह के विषय में सप्तम भाव और सप्तमेश के साथ विवाह के कारक बृहस्पति और शुक्र की स्थिति को देखा जाता है (The karakas for marriage are seventh house, seventh lord, Jupiter and Venus). सप्तम भाव और सप्तमेश अशुभ ग्रहों के द्वारा पीड़ित हो अथवा कमजोर स्थिति में हो तो विवाह में विलम्ब की संभावना रहती है. लग्न और लग्नेश भी इस विषय में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं.

प्रश्न कुण्डली में विवाह समय का निर्घारण (Ascertaining the time of marriage through the Prashna Kundali)


अगर विवाह में विलम्ब हो रहा है और इसका कारण जानने के लिए प्रश्न कुण्डली देखते हैं तो पाएंगे कि गुरू जिस भाव में है उस भाव से चौथे घर में क्रमश: चन्द्रमा और शुक्र स्थित होंगे (There's a delay if Moon or Venus are placed in fourth house from Jupiter). अगर इस प्रकार की स्थिति नहीं है तो कई अन्य स्थितियों का भी जिक्र प्रश्न कुण्डली में किया गया है जिनसे मालूम होता है कि व्यक्ति की शादी में अभी विलम्ब की संभावना है जैसे लग्न से अथवा चन्द्र राशि से पहले, तीसरे, पांचवें, सातवें और दसवें घर में शनि बैठा हो. प्रश्न कुण्डली के छठे, आठवें अथवा द्वादश भाव में अशुभ ग्रहो की उपस्थिति भी इस बात का संकेत होता है कि जीवनसाथी को पाने के लिए अभी इतजार करना होगा. सप्तम भाव में अशुभ ग्रह विराजमान हो और शनि अथवा मंगल अपने ही घर में आसन जमाकर बैठा हो तो यह समझना चाहिए कि जीवनसाथी की तलाश अभी पूरी नहीं हुई है यानी अभी विवाह में विलम्ब की संभावना है. सातवें घर में राहु और आठवें घर में मंगल भी इस तरह का परिणाम दिखाता है.

प्रश्न कुण्डली विवाह के विषय में सप्तम भाव के साथ ही द्वितीय और एकादश भाव से भी विचार करने की बात करता है. यही कारण है कि जब चन्द्रमा और शनि की युति प्रथम, द्वितीय, सप्तम अथवा एकादश भाव में होता है (Conjunction of Moon and Saturn in 1st, 2nd, 7th or 11th house causes a delay) तो प्रश्न कुण्डली विवाह में विलम्ब की संभावना को दर्शाता है. ज्योतिष की इस शाखा में मंगल को भी स्त्री की कुण्डली में विवाह कारक ग्रह के रूप में देखा जाता है. अगर कुण्डली में मंगल और शुक्र की युति पंचवे, सातवें अथवा ग्यारहवें भाव में बनती है और शनि उसे देखता है तो निकट भविष्य में विवाह की संभावना नही बनती है.

प्रश्न कुण्डली से विवाह के विषय में उदाहरण (Examples of timing marriage from the Prashna Kundali)


अनुपमा अपनी शादी को लेकर काफी चिंतित थी. कई जगह बात बनते बनते बिगड़ गई थी. इस स्थिति में अनुपमा ने प्रश्न कुण्डली के माध्यम से जानना चाहा कि विवाह कब होगा. इन्हों ने अपना प्रश्न 25 मई 2009 को 5 बजकर 10 मिनट पर पूछा. प्रश्न के अनुसार जो कुण्डली बनी उसमें लग्न तुला और राशि वृष आया. इस कुण्डली में लग्न और राशि दोनों का स्वामी शुक्र है. नक्षत्र कृतिका आया जिसका स्वामी सूर्य हे. कुण्डली विश्लेषण से ज्ञात होता है कि अनुपमा की शादी में अभी कुछ वक्त लग सकता है क्योंकि कुण्डली के निमानुसार इनकी कुण्डली में सातवें घर में मंगल स्वराशि में बैठा है. अष्टम भाव में चन्द्रमा अशुभ ग्रहों के साथ है.

Tuesday 9 August 2016

सड़क दुर्घटनाओं में अहम भूमिका

मित्रों वैसे तो सड़क दुर्घटना के तो बहुत से कारण हैं जिसमे एक बहुत बाद कारण सड़क पर सामने से आती गाड़ी से निकलती बहुत तेज़ रोशनी..........जिस कारण उस गाड़ी के विपरीत दिशा से आने वाले व्यक्ति  को गाड़ी चलने में अत्यधिक असुविधा उत्पन्न होने के कारण कभी कभी उसकी गाड़ी अनियंत्रित होकर दुर्घटना का शिकार हो जाती है।
   शायद आप में  से कुछ लोगों को याद होगा लगभग 20 वर्ष पूर्व सभी गाड़ियों की हेड light को भारत सरकार द्वारा ऊपर से ब्लैक कर दिया जाता था। तब हेड light की पूरी रोशनी सड़क पर पड़ने के कारण रोड बिल्कुल साफ दिखाई देती थी एवं सामने वाले को असुविधा नहीं होती थी परन्तु पिछली सरकारों ने इस नियम को बदल दिया।

  तो मित्रों यदि आप मेरी बात समझ गए हों तो कृपया इस पोस्ट को सरकार तक पहुचने में मदद करें ताकि सड़क पर गाड़ी चलाने वाले लोगों को असुविधा उत्पन्न नहीं हो।


Thursday 4 August 2016

Nagpanchami

🌻🌺🍁🍂🍃🌸🌼
नागपंचमी पर कैसे करें पूजा:-
 -------------------------
--------------------------
धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर प्रमुख नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और भक्त नागदेवता के दर्शन व पूजन करते हैं। सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर-घर में इस दिन नाग देवता की पूजा करने का विधान है।
ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन श्रद्धा व भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है उसे व उसके परिवार को कभी भी सर्प भय या कलशरपदोश का भय नहीं होता। इस बार यह पर्व 07अगस्त, रविवार को है। इस दिन नाग देवता की पूजा किस प्रकार करें, इसकी विधि इस प्रकार है-
🌎🌎🌎🌎🌎🌎🌎
 पूजन विधि:~
नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें इसके बाद नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें-
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
- इसके बाद व्रत-उपवास एवं पूजा-उपासना का संकल्प लें। नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, पुष्प, धूप, दीप से पूजन करें तथा सफेद मिठाई का भोग लगाएं। सफेद कमल का फूल पूजा मे रखें  और यह प्रार्थना करें-
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जाप करें-
ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।
इसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करें-
ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:.....
  कलयुग में यह पूजा जीवन के हर क्षेत्र में ( आर्थिक,पारिवारिक,शारीरिक,सामाजिक, वैवाहिक, व्यावसायिक, नौकरी इत्यादि) श्रेष्ठ एवं शुभ फल प्रदान करती है। आज के दिन शिव मंदिर या अपने निवास स्थान पर रुद्राभिषेक करवाना  , शिव अमोघ कवच का पाठ करना अत्यंत ही लाभप्रद सिद्ध होता है।एक बार अवश्य कर के देखें । खुद समझ जाएंगे। वैसे आप चाहें तो बाज़ार से नागपंचमी पूजा की किताब खरीद लें।
  जय माता की,
  आपका आचार्य राजेश कुमार🙏🙏

Naag panchami parv

🌻🌺🍁🍂🍃🌸🌼
नागपंचमी पर कैसे करें पूजा:-
 -------------------------
--------------------------
धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर प्रमुख नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और भक्त नागदेवता के दर्शन व पूजन करते हैं। सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर-घर में इस दिन नाग देवता की पूजा करने का विधान है।
ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन श्रद्धा व भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है उसे व उसके परिवार को कभी भी सर्प भय या कलशरपदोश का भय नहीं होता। इस बार यह पर्व 07अगस्त, रविवार को है। इस दिन नाग देवता की पूजा किस प्रकार करें, इसकी विधि इस प्रकार है-
🌎🌎🌎🌎🌎🌎🌎
 पूजन विधि:~
नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें इसके बाद नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें-
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
- इसके बाद व्रत-उपवास एवं पूजा-उपासना का संकल्प लें। नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, पुष्प, धूप, दीप से पूजन करें तथा सफेद मिठाई का भोग लगाएं। सफेद कमल का फूल पूजा मे रखें  और यह प्रार्थना करें-
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जाप करें-
ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।
इसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करें-
ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:.....
  कलयुग में यह पूजा जीवन के हर क्षेत्र में ( आर्थिक,पारिवारिक,शारीरिक,सामाजिक, वैवाहिक, व्यावसायिक, नौकरी इत्यादि) श्रेष्ठ एवं शुभ फल प्रदान करती है। आज के दिन शिव मंदिर या अपने निवास स्थान पर रुद्राभिषेक करवाना  , शिव अमोघ कवच का पाठ करना अत्यंत ही लाभप्रद सिद्ध होता है।एक बार अवश्य कर के देखें । खुद समझ जाएंगे। वैसे आप चाहें तो बाज़ार से नागपंचमी पूजा की किताब खरीद लें।
  जय माता की,
  आपका आचार्य राजेश कुमार🙏🙏

Naag panchami parv

🌻🌺🍁🍂🍃🌸🌼
नागपंचमी पर कैसे करें पूजा:-
 -------------------------
--------------------------
धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर प्रमुख नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और भक्त नागदेवता के दर्शन व पूजन करते हैं। सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर-घर में इस दिन नाग देवता की पूजा करने का विधान है।
ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन श्रद्धा व भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है उसे व उसके परिवार को कभी भी सर्प भय या कलशरपदोश का भय नहीं होता। इस बार यह पर्व 07अगस्त, रविवार को है। इस दिन नाग देवता की पूजा किस प्रकार करें, इसकी विधि इस प्रकार है-
🌎🌎🌎🌎🌎🌎🌎
 पूजन विधि:~
नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें इसके बाद नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें-
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
- इसके बाद व्रत-उपवास एवं पूजा-उपासना का संकल्प लें। नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, पुष्प, धूप, दीप से पूजन करें तथा सफेद मिठाई का भोग लगाएं। सफेद कमल का फूल पूजा मे रखें  और यह प्रार्थना करें-
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जाप करें-
ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।
इसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करें-
ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:.....
  कलयुग में यह पूजा जीवन के हर क्षेत्र में ( आर्थिक,पारिवारिक,शारीरिक,सामाजिक, वैवाहिक, व्यावसायिक, नौकरी इत्यादि) श्रेष्ठ एवं शुभ फल प्रदान करती है। आज के दिन शिव मंदिर या अपने निवास स्थान पर रुद्राभिषेक करवाना  , शिव अमोघ कवच का पाठ करना अत्यंत ही लाभप्रद सिद्ध होता है।एक बार अवश्य कर के देखें । खुद समझ जाएंगे। वैसे आप चाहें तो बाज़ार से नागपंचमी पूजा की किताब खरीद लें।
  जय माता की,
  आपका आचार्य राजेश कुमार🙏🙏